Tuesday, April 16, 2024

दलितों और मुसलमानों की चट्टानी एकता देगी फासीवादी हमलों का असली जवाब: शमशुल इस्लाम

जनचौक ब्यूरो

वाराणसी। प्रख्यात रंगकर्मी व इतिहासकार डॉ. शमशुल इस्लाम ने बीजेपी-आरएसएस पर इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि एक साजिश के तहत देश को नफरत की राजनीति की प्रयोगशाल बनाया जा रहा है। आज चौतरफा दलितों और मुस्लिमों पर हमले हो रहे है। उन्होंने कहा कि इन हमलों का जवाब इन समाजों की चट्टानी एकता से देने का वक्त आ गया है। शमशुल इस्लाम ने ये बातें वाराणसी में सीपीआई (एमएल) समेत अन्य संगठनों की ओर से आयोजित दलित-मुस्लिम एकता सम्मेलन में कही।

सम्मेलन में बिहार के माले विधायक सत्यदेव राम ने कहा कि मौजूदा फासीवादी-तानाशाही के दौर में दलित-मुस्लिम एकता की नींव बनारस में पड़ी है, देश के लोकतंत्र व संविधान की रक्षा के लिए सिर्फ पीड़ित समुदायों की एकता व संघर्ष ही रास्ता है। अब बनारस के अलावा पूरे पूर्वांचल में इस एकता को बनाने के लिए जगह-जगह किए जाने वाले सम्मेलन इस दशा में एक मजबूत कदम साबित होंगे।

एबीएसएस के एसएन प्रसाद ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस के हिंदू राष्ट्रवाद में गरीब, दलित और मुसलमानों के लिए कोई स्थान नहीं है। सरकारी संरक्षण के कारण मनुवादी-सामंती ताकतों का हौसला बुलंद है। दलितों-मुस्लिममों की हत्याओं व उन पर हमलों का जवाब अब दोनों समुदायों के लोग सड़क पर साथ-साथ उतर कर देंगे।

वक्ताओं ने कहा कि यह कोई ढंकी-छुपी बात नहीं है कि मुस्लिमों के प्रति नफरत को आधार बनाकर भाजपा देश एवं प्रदेश में सत्तारूढ़ हुई है और अब जबकि सत्ता उसके पास है तो आरएसएस जैसे जहरीले संगठन खुलेआम अपनी फासीवादी सरगर्मियों को अंजाम दे रहे हैं। कोढ़ में खाज यह कि कभी आरएसएस को धर्मांध कट्टरपंथी संगठन बताने वाला मीडिया आज उसे हाथों-हाथ ले रहा है। मोहन भागवत के भाषण को मीडिया में प्रमुखता से दिखाया-प्रकाशित किया जा रहा है। यहाँ यह बताना अप्रासंगिक नहीं होगा कि अतीत में फासीवाद चुनावों के जरिए सत्ता में आया है। उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज होने के लिए भाजपा ने दलितों के मध्य जबर्दस्त तोड़फोड़ की और उसके एक हिस्से को हिंदुत्व के नाम पर अपने से जोड़ने में कामयाब रही। मीडिया रिपोर्टें बताती हैं कि भाजपा की दंगाई ब्रिगेड मुस्लिमों के खिलाफ दलितों का बढ़ चढ़कर इस्तेमाल करती रही है। 

वाराणसी में आयोजित दलित-एकता सम्मेलन।

इसी पृष्ठभूमि में भाकपा-माले ने पूर्वांचल में विभिन्न जनसंगठनों को मिलाकर बनारस में इस दलित-मुस्लिम जन एकता सम्मेलन का आयोजन किया। सांप्रदायिक फासीवाद से लड़ने की अपनी रणनीति के तहत भाकपा-माले और इंसाफ मंच के कार्यकर्ताओं ने पूर्वांचल के अलग-अलग हिस्सों में सघन अभियान चलाया था। इंसाफ मंच के प्रदेश संयोजक अमान अख्तर बताते हैं कि सपा-बसपा की तरह भाकपा माले सिर्फ चुनावों के दिनों में सक्रिय होने वाली पार्टी नहीं है।

पार्टी निरंतर यह कोशिश कर रही है कि दलितों-अल्पसंख्यकों के खिलाफ होने वाले किसी भी हमले के प्रतिवाद में लोगों को सड़कों पर उतारा जा सके, इसी की तैयार की जा रही है। इंकलाबी नौजवान सभा (आरवाईए) के राज्य उपाध्याक्ष सागर गुप्ता ने कहा कि सांप्रदायिक ताकतों के हौसले जिस तरह से सत्ता की सरपरस्ती में बुलंद होते जा रहे हैं उसका मुकाबला करने के लिए प्रगतिशील ताकतों की गोलबंदी तेज करनी होगी। उन्होंने कहा कि फासीवाद से अंतिम लड़ाई तो सड़कों पर होगी और उसके लिए नौजवानों को विचारधारात्मक स्तर पर तैयार करना होगा।

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles