रायपुर में सीएए और एनआरसी के खिलाफ़ उमड़ा जनसैलाब, इमरान प्रतापगढ़ी’ सदफ ज़फ़र और अरविंद नेताम ने अवाम की आवाज़ के साथ मिलाई आवाज़

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रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में सीएए और एनआरसी के खिलाफ़ गांधी मैदान में कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में इमरान प्रतापगढ़ी और सदफ ज़फ़र ने पहुंचकर लोगों की आवाज़ में आवाज़ मिलाई। नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के खिलाफ संविधान बचाओ-देश बचाओ मंच ने शुक्रवार को रायपुर के गांधी मैदान में सर्वधर्म सभा का आयोजन किया। विधायक प्रतिनिधि एसएम शफीक, हैदर अली और साहिल खान से मुलाकात कर कार्यक्रम बाबत जानकारी प्राप्त की गई। 

कार्यक्रम दोपहर ढाई बजे से शुरू हुआ और देर शाम तक चला। अंधेरा होते देख हुजूम ने मोबाइल फोन की फ्लश लाइट जलाकर उजाला करने के साथ ही अपना प्रतिरोध भी प्रदर्शित किया। संविधान बचाओ, देश बचाओ मंच की जनसभा में सविनय अवज्ञा की वकालत की, तो वहीं हजारों की संख्या में पहुंचे लोगों ने सविनय अवज्ञा को आंदोलन का हथियार बनाने की शपथ ली। लोगों ने नारे लगाए, चाहे कुछ भी हो, वे कागज नहीं दिखाएंगे।

इमरान प्रतापगढ़ी और सदफ जफर

आंदोलन को धार देने के लिए आदिवासी समाज के प्रमुख नेता व पूर्व मंत्री अरविंद नेताम, शायर व कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी और सदफ जफर शामिल हुई। वहीं सभा में फैज का तराना गूंजता रहा ‘हम देखेंगे..लाजिम है कि हम भी देखेंगे।

ये किसने कहा आपसे आंधी के साथ हूं, मैं गोडसे के दौर में गांधी के साथ हूं : इमरान प्रतापगढ़ी –

इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा, मगरूरियत और गुरूर में एक इंच पीछे नहीं हटने का दावा करने वाली वर्तमान केंद्र सरकार शाहीन बाग आंदोलन से डरी हुई है। आप सड़कों पर मोर्चा निकालेंगे तो पुलिस दल बल का डर दिखायेगी, आंसू गैस का गोला छोड़ेगी। आप ने एक कंकड़ उठा लिया तो वे गोली मारने के लिए तैयार बैठे हैं। इसलिए आंदोलन के दौरान इस बात का ज़रूर ख्याल रखें। लेकिन शाहीन बाग की खातूनों के सवालों का जवाब उनके पास नहीं है। वे देश में जलियावालां बाग बनाना चाहते हैं, आप शाहीन बाग बनाते चले जा रहे हैं।

अब देश के सभी वर्गों के लोग शामिल हो रहे हैं, दिल खोलकर उनका स्वागत करिए। शायर और कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा, अगर आप हमें नागरिक मानने से इंकार करते हैं तो हम आपको सरकार मानने से इंकार कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ये लोग सोच रहे हैं कि इनकी ताकत बाबा साहेब के पसीने से लिखे संविधान से ज्यादा है, लेकिन किसी मोदी-शाह में संविधान को बदलने की ताकत नहीं है। एक कागज यह तय नहीं कर सकता कि हम

हिंदुस्तानी हैं या नहीं।  इमरान ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को निशाने पर लेते हुए कहा कि ‘आप अपने बेटे को बीसीसीआई का सचिव बनाएंगे और वोटरों के बच्चों के हाथ में कट्टा थमाएंगे जो जामिया के बच्चों पर चलाएगा। ऐसा नहीं चलेगा। यह गांधी का देश है, इस मिट्टी में फिरकापरस्ती बहुत दिन नहीं चल सकती।

जबरदस्त अशआर और तरानों से इमरान प्रतापगढ़ी ने माहौल में जोशोखरोश भर दिया। तरन्नुम लहज़े पर लोग फिदा हो गए, एक एक लाइन पर लोगों ने आवाज़ से आवाज़ मिलाई कि गांधी मैदान से लेकर काफी दूर तक गूंज सुनाई देती रही। इमरान प्रतापगढ़ी ने बात खत्म करते करते कहा कि शुक्रिया रायपुर मेरी आवाज़ से आवाज़ मिलाने के लिये। आपकी मुहब्बत और अपनाईयत का मैं कायल हो गया, आपने अहसास कराया कि दिल्ली से लेकर रायपुर तक हम सब एक हैं।

एनआरसी से ज्यादा खतरनाक है एनपीआर : सदफ जफर –

कांग्रेस नेता सदफ जफर ने कहा, नेशनल पापुलेशन रजिस्टर तो एनआरसी से ज्यादा खतरनाक है। इसमें पूछा जाएगा कि आपके माता-पिता कहां से आए। उनकी जन्मतिथि क्या है, जन्मस्थान कौन सा है। आप नहीं बता पाए तो ये आपके पीछे पड़ जाएंगे। इसके खिलाफ सिविल नाफरमानी ही एक रास्ता है। जो एनपीआर के लिए हमारे दरवाजे पर आएंगे वे अपनी डयूटी कर रहे होंगे। उन्हें हम पानी पिलाएंगे, मिठाई खिलाएंगे लेकिन किसी सवाल का जवाब नहीं देंगे। किसी को कुछ न बताना हमारा हक है। इसका परिणाम क्या होगा। सरकार जेल में डाल देगी। लेकिन यह सरकार कई करोड़ लोगों को जेल में रख नहीं पाएगी।

आदिवासियों ने इतिहास नहीं लिखा लेकिन इतिहास बताता है कि भागवत के पुरखे भी मध्य एशिया से आए : अरविंद नेताम –

पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने कहा, पिछली बार सरकार ने प्रवासियों को दंडकारण्य विकास प्राधिकरण के माध्यम से आदिवासी इलाकों में बसाया था। इसकी वजह से वहां दिक्कते हैं। अभी तक यह खुलासा नहीं हुआ है कि सरकार जिन 12-13 लाख लोगों को नागरिकता देने जा रही है, उन्हें कहां बसाएंगे।  संदेह है कि पिछली बार की तरह उन्हें छत्तीसगढ़, ओडिशा और महाराष्ट्र के आदिवासी इलाकों में बसाया जाएगा। लेकिन हम अब ऐसा नहीं होने देंगे। आदिवासी समाज को इस बारे में आगाह कर दिया गया है। नेताम ने कहा, नागपुर वाले आजादी की लड़ाई से गायब रहे, लेकिन जिनके पुरखों ने आजादी की लड़ाई लड़ी उनकी नागरिकता पर प्रश्नचिन्ह लगाया जा रहा है। 

उन्होंने कहा, आदिवासियों ने इतिहास नहीं लिखा, लेकिन इतिहास बताता है कि भागवत के पुरखे भी मध्य एशिया से आए थे। अभी भी हमारे आपके बीच के ही कुछ लोग उनके साथ खड़े होते हैं, उन्हें अपना इतिहास पढ़ना चाहिए कि बाबा डॉ भीमराव अंबेडकर ने उन्हें क्या अधिकार दिया है। अब यही अधिकार उनसे छीनने की कोशिशें की जा रही हैं।  अगर यही अधिकार नहीं रहेगा तो आपके पास क्या बचेगा। इतिहास में झंकिए अन्यथा आगे फिर से वही पुरानी परिस्थिति पैदा हो जाएगी, थूंकने के लिए गले में हांडी और पीछे झाड़ू बांधकर चलना स्वीकार कर पाएंगे, जैसा हमारे आपके पुरखों ने भोगा है, ना पढ़ने को मिलेगा, ना सरकारी नौकरी मिलेगी और ना ही बराबरी का अधिकार मिलेगा।सीएए, एनसीआर और एनपीआर उसी साजिश का प्रमुख हिस्सा है।  लेकिन हम सभी ऐसा नहीं होने देंगे, किसी की तानाशाही नहीं चलेगी। ये देश संविधान से चलेगा ना कि दो लोगों के आदेश पर। जागो और घरों से निकलो।

(रायपुर से जनचौक संवाददाता तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट।)

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