पलामू: माले विधायक की सभा के साथ ही धजवा पहाड़ बचाने का संघर्ष हुआ और तेज

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झारखंड के पलामू में धजवा पहाड़ को बचाने का आंदोलन तेज होता जा रहा है। बचाओ संघर्ष समिति के नेतृत्व में 74 दिनों से जारी आंदोलन को चौतरफा समर्थन मिल रहा है। इसी कड़ी में बगोदर विधानसभा के विधायक कामरेड विनोद सिंह भी धजवा पहुंचे और आंदोलनकारियों का मनोबल बढ़ाया। इस मौके पर उन्होंने एक जन सभा को संबोधित किया। जिसमें पहाड़, जंगल और पर्यावरण बचाने के संकल्प के साथ पांडू बिश्रामपुर एवं उंटारी रोड प्रखंड के हजारों ग्रामीण, महिला, पुरुष, और बच्चे शामिल हुए। आंदोलन की तीव्रता को इस बात से समझा जा सकता है कि आस-पास के लोग अपने घरों में ताले बंद करके सभा में पहुंचे थे। आपको बता दें कि माले शुरुआत से ही इस आंदोलन को अपना समर्थन दे रही है।

सभा को संबोधित करते हुए कामरेड विनोद सिंह ने कहा कि इस महीने झारखंड विधान सभा के शीतकालीन सत्र में वह पुरज़ोर तरीके से धजवा पहाड़ के मुद्दे को उठाएंगे एवं आंदोलनकारियों की मांगों को लेकर व्यक्तिगत रूप से खनन सचिव झारखंड सहित मुख्यमंत्री से भी बात करेंगे।  सभा से आंदोलनकारियों का भी मनोबल बढ़ गया है। समिति के पदाधिकारियों का कहना था कि जनसमर्थन सभा से लोगों में गर्मजोशी का माहौल है एवं विनोद सिंह सकारात्मक वक्तव्य से आंदोलन को काफी बल मिला है। उन्होंने इस बात का संकल्प जाहिर किया कि आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक कि धजवा पहाड़ के फर्जी लीज को रद्द कर संवेदक के ऊपर कानूनी कार्रवाई नहीं की जाती एवं आंदोलनकारियों पर हुए फर्जी मुकदमे वापस नहीं लिए जाते।

आपको बता दें कि पलामू में पांडू प्रखंड के बरवाही गांव में स्थित धजवा पहाड़ पर शिवालया कंपनी व उससेस सम्बंधित ठेकेदारों द्वारा पत्थर के अवैध खनन के खिलाफ लगातार ढाई महीने से “धजवा पहाड़ बचाओ संघर्ष समिति” के बैनर तले कुटमू में धरना चल रहा है। लेकिन इस गैर-क़ानूनी खनन के विरुद्ध अभी तक सरकार व प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गयी।

आरटीआई के जरिये हासिल सूचना के मुताबिक ठेकेदार को प्लाट संख्या 1046 में खनन करने का लीज मिला था। लेकिन कंपनी ने इसके बजाय प्लाट संख्या 1048 (धजवा पहाड़) में खनन शुरू कर दिया। इतना ही नहीं इस खनन के लिए न तो ग्राम सभा से सहमति ली गयी और न ही उसे सूचित किया गया। इसके विरोध में पिछली 16 नवंबर, 2021 से ग्रामीण व कई जन संगठन ‘धजवा पहाड़ बचाओ संघर्ष समिति’ के बैनर तले धरने पर बैठे हैं। लेकिन महीनों तक प्रशासन ने उसका कोई संज्ञान नहीं लिया। लिहाजा बाद में आंदोलकारियों को मजबूरन इसको और तेज करना पड़ा उसके तहत उन्होंने पिछली 19 दिसम्बर, 2021 से अनिश्चितकालीन क्रमिक भूख हड़ताल शुरू कर दिया।

आन्दोलनकारी युगल पाल बताते हैं कि “धजवा पहाड़ को निगलने के लिए पत्थर माफियाओं द्वारा किए गये कागजी प्रयास जाली साबित हो चुके हैं। प्रखंड के अंचलाधिकारी ने नापी के हवाले से स्पष्ट कर दिया है कि लीज जिस प्लॉट का हुआ है, उसमें पत्थर नहीं धान की फसल लगी है। ग्राम सभा फर्जी, प्लाट फर्जी, जमीन मालिक के साथ एग्रीमेंट फर्जी लेकिन माफियाओं को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, वे पुलिस, अफसरों व लठैतों के बल पर पहाड़ को चबाने को आतुर दिख रहे हैं। बावजूद इसके हम ग्रामीण डटे हैं। हम पानी के स्रोत पहाड़, उसके पास बने आहर, पर्यावरण व अपने पुरखों के आध्यात्मिक स्थल धजवा पहाड़ को बचाने के लिए कटिबद्ध हैं”।

यहां यह बताना जरूरी हो जाता है कि धजवा पहाड़ बचाओ संघर्ष समिति कूटमू पिछले 63 दिनों से संघर्षरत है, जिसमें वे 1 माह लगातार पहाड़ पर ही धरने के रूप में संघर्षरत रहे और पिछले 19 दिसंबर से क्रमिक भूख हड़ताल जारी है। संघर्ष को और भी तेज करने के लिए विधि सम्मत मांगों की पूर्ति हेतु आगे की रणनीति बनाई गई। और उनके पूरे होने तक समिति एवं प्रगतिशील संगठनों ने संघर्ष को जारी रखने का निर्णय लिया। उनका कहना था कि किसी भी परिस्थिति में पर्यावरण, जल व जंगल की छाती पर किए जा रहे दमन को वे बर्दाश्त नहीं करेंगे। इसके लिए चाहे संवैधानिक संघर्ष सालों साल चलाना पड़ा। किसी को यह नहीं भूलना चाहिए कि जल, जंगल, जमीन व पहाड़ों की सुरक्षा के लिए इस देश में अनेकों कुर्बानियां दी गई हैं। अनेकों आंदोलन चले हैं। चाहे वह तिलकामांझी का आंदोलन हो या बिरसा मुंडा का आंदोलन, नीलांबर-पितांबर का आंदोलन हो या वर्तमान में 1 वर्ष से भी ज्यादा चला किसान आंदोलन हो, सभी में किसानों की ही विजय हुई है और इस आंदोलन में भी किसान विजयी होंगे।

आन्दोलनकारियों का कहना था कि देश के भूतपूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जब देश में अन्न कमी थी, देश असुरक्षित महसूस कर रहा था, उस समय उन्होंने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया और किसानों एवं सुरक्षाकर्मियों का हौसला अफजाई की और किसानों ने देश में अन्न के भंडार भर दिए और सुरक्षाकर्मियों ने अपनी जान न्योछावर करते हुए देश की सीमा को सुरक्षित किया। परंतु वर्तमान सरकार, स्थानीय जिला प्रशासन अपने निजी स्वार्थ और लाभ में किसान और जवान दोनों के हक छीन रहे हैं बल्कि जल, जंगल, जमीन, पहाड़ व पर्यावरण को धता बताते हुए कंपनी बिचौलिया दलाल ठेकेदारों के पक्ष में काम कर रहे हैं। इतना ही नहीं सरकार ने दमन का रास्ता अख्तियार कर लिया है।

इस कड़ी में आंदोलनकारियों के खिलाफ फर्जी मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं, जो अमानवीय एवं असंवैधानिक है। उपायुक्त के द्वारा समिति अध्यक्ष के तिरस्कार निंदनीय है। यहां तक कि ईमानदार सुरक्षाकर्मियों की साजिश रच कर हत्या की जा रही है और उसे आत्महत्या का रूप देकर लीपापोती कर दोषियों को बचाया जा रहा है। समिति सरकार के सामने पांच सूत्रीय मांगें रखी हैं। जिसमें जल, जंगल जमीन, नदी, बालू, पहाड़ और पर्यावरण की सुरक्षा एवं संवर्धन करना; धजवा पहाड़ के अवैध उत्खनन कर्ता पत्थर माफिया सूरज सिंह एवं शिवालया कंपनी पर कानूनी कार्रवाई करने, धजवा पहाड़ के नजदीक लगाए गए पत्थर तोड़ने के क्रेशर प्लांट को हटाने, किसानों के जमीन के फर्जी एग्रीमेंट कराने वाले संवेदक सूरज सिंह और फर्जी लीज करने वाले गिरेंद्र प्रसाद सिन्हा पर मुकदमा दर्ज कर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने तथा लीज को रद्द करने, धजवा पहाड़ बचाओ संघर्ष समिति के आंदोलनकारियों पर झूठे एवं फर्जी मुकदमे वापस लिए जाने तथा दोषी पुलिस पदाधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई करने की मांगें शामिल हैं।

अब तक इस विशाल जनाक्रोश बल में मुख्य रूप से विभिन्न जन संगठनों, प्रगतिशील राजनीतिक संगठनों के नेता एवं बुद्धिजीवी भाग ले चुके हैं।

(झारखंड से वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)

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