प्रयागराज। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) के बाहर छात्रों का प्रदर्शन आखिरकार रंग लाया। आयोग के कार्यालय के सामने चार दिन से चल रहे आंदोलन के बीच हुई उच्चस्तरीय बैठक में आयोग ने आरओ/एआरओ परीक्षा को पूर्व की भांति एक ही दिन में कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। बैठक के बाद लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष संजय श्रीनेत ने आंदोलनकारी छात्रों को आश्वस्त किया कि उनकी सभी मांगों पर सकारात्मक निर्णय लिया जाएगा और उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा।
गुरुवार सुबह प्रदर्शन स्थल पर सादी वर्दी में पहुंचे पुलिस अधिकारियों ने धरने पर बैठे छात्रों के साथ सख्ती बरती, जिससे छात्रों में रोष फैल गया। पुलिस ने कुछ छात्रों को जबरन उठाने की कोशिश की, जिसमें दो छात्राओं समेत पांच लोगों को हिरासत में लिया गया। इसके बाद स्थिति और बिगड़ गई, जब पुलिस की इस कार्रवाई का विरोध करते हुए छात्राएं उनसे भिड़ गईं। इस दौरान विकलांग छात्रा गौरी को गंभीर चोटें आईं और कई अन्य छात्राएं भी घायल हो गईं। स्थिति उस समय नियंत्रण से बाहर हो गई जब पुलिस ने छात्रों को हटाने के लिए बल प्रयोग की कोशिश की, लेकिन भारी संख्या में मौजूद छात्रों के सामने पुलिस बेबस नजर आई।
आंदोलन का विस्तार और समर्थन
प्रयागराज में शुरू हुआ यह आंदोलन अब लखनऊ, मेरठ, गोरखपुर, वाराणसी, जालौन और लखीमपुर खीरी जैसे कई शहरों तक फैल चुका था। छात्रों की प्रमुख मांग यह थी कि पीसीएस और आरओ/एआरओ परीक्षाओं को एक ही दिन में आयोजित किया जाए ताकि सभी परीक्षार्थियों के साथ समानता का व्यवहार हो सके। छात्रों का कहना है कि दो दिनों में परीक्षा कराने से असमानता पैदा होती है और नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया से उनकी रैंकिंग और चयन प्रक्रिया पर असर पड़ता है।

धरने पर बैठे छात्रों ने अपने हाथों में नारे लिखी तख्तियां पकड़ी हुई थीं, जिनमें से कुछ नारे थे – “बंटेंगे नहीं, हटेंगे नहीं, न्याय मिलने तक एक रहेंगे” और “एक दिन, एक परीक्षा”। इस आंदोलन में न केवल स्थानीय बल्कि दिल्ली और पटना जैसे दूर के शहरों के छात्र भी शामिल हो गए हैं। गुरुवार शाम छात्रों ने आयोग के बाहर कैंडल मार्च भी निकाला, जिससे उनके संघर्ष को और मजबूती मिली।
पुलिस बैरिकेड तोड़कर प्रदर्शन
आंदोलन के चौथे दिन छात्रों ने पुलिस द्वारा लगाई गई बैरिकेडिंग को तोड़ दिया, जिसके बाद पुलिस और छात्रों के बीच टकराव की स्थिति बन गई। छात्रों ने कहा कि उनकी मांगों पर न्याय नहीं हो रहा है, इसलिए वे अब हाई कोर्ट में अपनी अर्जी दाखिल करने की योजना बना रहे हैं। छात्रों का आरोप था कि पुलिस ने जानबूझकर उन्हें भड़काने का प्रयास किया और उनके साथ दुर्व्यवहार किया। पुलिस की रोकथाम के बावजूद छात्र पूरी तरह से अपने अधिकारों के लिए अड़े रहे।
आखिरकार, छात्रों के दबाव और लगातार विरोध के चलते UPPSC ने उनकी प्रमुख मांग स्वीकार कर ली। आयोग ने घोषणा की कि आरओ/एआरओ परीक्षा एक ही दिन में आयोजित की जाएगी, जिससे छात्रों में संतोष की लहर है। यह निर्णय छात्रों की एक बड़ी जीत मानी जा रही है, जिन्होंने अपने अधिकारों और न्याय के लिए धैर्य और साहस का परिचय दिया।

इस आंदोलन ने प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और निष्पक्षता की मांग को नई ऊंचाई दी है। छात्रों का संघर्ष यह दर्शाता है कि जब वे एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिए खड़े होते हैं, तो बड़े से बड़ा बदलाव संभव हो सकता है। सरकार और प्रशासन के लिए यह एक सीख भी है कि छात्रों की आवाज़ को अनसुना करना उनके भविष्य से खिलवाड़ करना है।
परीक्षाओं की पारदर्शिता पर सवाल
इस आंदोलन ने उत्तर प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था और प्रतियोगी परीक्षाओं की पारदर्शिता पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। छात्रों का संघर्ष यह साबित करता है कि वे अपने अधिकारों और न्याय के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। अब यह देखना बाकी है कि यूपीपीएससी और सरकार उनकी समस्याओं को किस तरह से हल करती है।
उत्तर प्रदेश में प्रतियोगी छात्रों का आंदोलन इस वक्त एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। प्रयागराज में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) के सामने चल रहे धरने को राजनीतिक समर्थन भी मिलने लगा है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर निशाना साधते हुए आंदोलनकारी छात्रों का समर्थन किया है।
पिछले मंगलवार रात को पुलिस ने 11 छात्रों को हिरासत में लिया था, जिन पर कोचिंग संस्थान की होर्डिंग में तोड़फोड़ और सरकारी कार्य में बाधा डालने का आरोप है। इनमें से तीन छात्रों को जेल भेज दिया गया है। पुलिस का कहना है कि ये छात्र अन्य छात्रों को भड़काने का भी प्रयास कर रहे थे।

प्रयागराज के डीसीपी सिटी ने दावा किया कि आंदोलन के दौरान कुछ अराजक तत्वों ने छात्रों के बीच घुसपैठ कर उन्हें भड़काने का प्रयास किया। डीसीपी ने कहा, “छात्रों के शांतिपूर्ण आंदोलन में कुछ अराजक तत्व शामिल हो गए थे, जो छात्रों को उकसाने का प्रयास कर रहे थे। उन्हें हिरासत में लिया गया है और इस पर आगे भी कड़ी कार्रवाई जारी रहेगी।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी महिला को हिरासत में नहीं लिया गया है।
छात्रों के इस आंदोलन ने न केवल प्रयागराज बल्कि प्रदेश के कई अन्य जिलों में भी आग पकड़ ली है। छात्रों को उम्मीद है कि उनके संघर्ष का परिणाम जल्द ही सकारात्मक रूप में सामने आएगा और उन्हें न्याय मिलेगा। छात्रों की मांग है कि पीसीएस और आरओ/एआरओ प्री परीक्षाओं को एक ही दिन और एक ही शिफ्ट में आयोजित किया जाए। इस आंदोलन में न केवल स्थानीय छात्र बल्कि दिल्ली और पटना जैसे दूरस्थ स्थानों से भी प्रतियोगी छात्र शामिल हो रहे हैं।
अखिलेश ने कहा-बेजीपी सरकार निर्दयी
अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक दिव्यांग छात्रा की बैसाखी छीनने की घटना का जिक्र करते हुए योगी सरकार को “निर्दयी और संवेदनहीन” कहा। उन्होंने लिखा, “इलाहाबाद में एक आंदोलनकारी दिव्यांग छात्रा की बैसाखी पुलिस ले गई है। ये ख़बर बताती है कि भाजपाई और उनकी सरकार कितनी निर्दयी और संवेदनहीन है। ऐसी सरकार को बने रहने का कोई हक़ नहीं है। भाजपा घमंड के हिमालय पर चढ़ी हुई है। जो जितनी ऊँचाई पर होता है, उसका पतन भी उतना ही नीचे और तेज़ी से होता है। दिव्यांग कहे आज का, नहीं चाहिए भाजपा!” अखिलेश यादव के इस बयान ने सरकार की नीतियों पर सवाल खड़ा कर दिया है और छात्रों के आंदोलन को और मजबूती दी है।

इस आंदोलन को नगीना के सांसद चंद्रशेखर आजाद का भी समर्थन मिला है। उन्होंने कहा, “जब भाजपा ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की बात करती है, तो छात्रों की परीक्षाएं ‘वनडे, वन शिफ्ट’ में क्यों नहीं कराई जा सकती?” उन्होंने यह भी कहा कि छात्रों का नारा “अगर पेपर बंटेंगे तो नंबर कटेंगे” बिल्कुल सही है और सरकार को उनकी मांग पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने अपनी मजबूरी जाहिर करते हुए कहा कि अगर राजनीतिक कारण न होते, तो वे छात्रों के साथ धरने पर बैठकर उनका समर्थन करते।
यह आंदोलन प्रयागराज के साथ-साथ अब प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी फैलता जा रहा है। दिल्ली, पटना और अन्य शहरों से प्रतियोगी छात्र आंदोलन में शामिल हो रहे हैं। शाम को छात्रों ने आयोग के बाहर कैंडल मार्च निकाला और यह संकल्प लिया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती, वे धरना स्थल नहीं छोड़ेंगे और इस आंदोलन को पूरे प्रदेश में फैलाएंगे।
उच्च न्यायालय का हस्तक्षेप
इस बीच, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आगामी 8 दिसंबर को होने वाली उत्तर प्रदेश हायर जुडिशियल सर्विस (HJS) 2023 प्री परीक्षा को टालने का निर्णय लिया है। यह घोषणा हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जुडिशियल मानवर्धन द्वारा की गई, हालांकि परीक्षा स्थगित करने का कारण स्पष्ट नहीं किया गया है।
छात्रों का यह आंदोलन न केवल परीक्षा प्रणाली में सुधार की मांग कर रहा है बल्कि प्रदेश में शिक्षा के प्रति प्रशासन की गंभीरता को भी सवालों के घेरे में ला रहा है। राजनीतिक समर्थन और छात्रों का व्यापक एकजुटता इस आंदोलन को और मजबूती दे रही है। अब यह देखना होगा कि सरकार और प्रशासन छात्रों की मांगों पर क्या कदम उठाते हैं और कैसे इस आंदोलन को समाप्त करने का प्रयास करते हैं।
छात्रों के इस प्रदर्शन को भाजपा नेता और भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह का भी समर्थन मिला है। उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि इस प्रदर्शन को हल्के में नहीं लेना चाहिए। उन्होंने कहा, “ये सब हमारे ही बच्चे हैं। सरकार को इस प्रदर्शन को गंभीरता से लेना चाहिए।” साथ ही, उन्होंने छात्रों पर बल प्रयोग की घटना को गलत ठहराया और अपील की कि सरकार छात्रों की मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक और गंभीरता से विचार करे। बृजभूषण शरण सिंह का यह बयान छात्रों की मांगों के प्रति सरकार के रुख पर दबाव डाल सकता है।
(आराधना पांडेय स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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