कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवानी कांग्रेस में शामिल

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“कांग्रेस को निडर लोगों की ज़रूरत है। बहुत सारे लोग हैं जो डर नहीं रहे हैं… कांग्रेस के बाहर हैं.. उनको अंदर लाओ और जो हमारे यहां डर रहे हैं, उनको बाहर निकालो…चलो भैया जाओ। आरएसएस के हो, जाओ भागो, मजे लो। नहीं चाहिए, ज़रूरत नहीं है तुम्हारी। हमें निडर लोग चाहिए। ये हमारी आइडियोलॉजी है।”

उपरोक्त बातें 16 जुलाई 2021 को कांग्रेस के सोशल मीडिया इकाई की बैठक को संबोधित करते हुये राहुल गांधी ने कहा था। आज अपने’ कहन’ को साकार करते हुये पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने अपनी मौजूदगी में ऐसे ही दो निडर युवा नेता पूर्व सीपीआई नेता कन्हैया कुमार और गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी को राजधानी दिल्ली में कांग्रेस की सदस्यता दिलायी।

दोनों युवा नेताओं को पार्टी सदस्यता दिलाते हुए पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि “झूठ के साम्राज्य में सच से ही क्रांति आती है”।

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे कहा कि “नए-पुराने सभी साथियों को मिलकर इस सत्याग्रह में भाग लेना होगा। हमारे पूर्वजों ने भारत के विचार को बचाने के लिए निडर होकर संघर्ष किया। हम एक साथ खड़े होंगे –एकजुट और निडर –ऐसा ही करने के लिए।”

वहीं कांग्रेस सदस्यता ग्रहण करने के अवसर पर कन्हैया कुमार ने कहा कि “मैं कांग्रेस में शामिल हो रहा हूं क्योंकि यह सिर्फ़ एक पार्टी नहीं है, यह एक विचार है। यह देश की सबसे पुरानी और सबसे लोकतांत्रिक पार्टी है, और मैं ‘लोकतांत्रिक’पर जोर दे रहा हूं… ।”

कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद कन्हैया कुमार ने कहा कि ‘मुझे या देश करोड़ों युवाओं को लगने लगा है कि अगर कांग्रेस नहीं बची तो देश नहीं बचेगा। इसलिए कांग्रेस ज्वाइन की। कांग्रेस देश की सबसे बड़ी विपक्षी है, उसे बचाने की जिम्मेदारी है”।

उन्होंने आगे कहा कि “अगर बड़ा जहाज नहीं बचेगा तो छोटे जहाज भी नहीं बचेंगे। देश में इस समय के वैचारिक संघर्ष को कांग्रेस पार्टी ही नेतृत्व दे सकती है।”

मूल रूप से बिहार से ताल्लुक रखने वाले कन्हैया जेएनयू में में छात्र संघ अध्यक्ष रह चुके हैं। वह 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार की बेगूसराय लोकसभा सीट से केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के ख़िलाफ़ भाकपा के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़े थे। जबकि उना आंदोलन से उभरकर आये दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाले जिग्नेश मेवानी गुजरात के वडगाम विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें समर्थन किया था। और उनके ख़िलाफ़ कोई प्रत्याशी नहीं उतारा था।
इससे पहले उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने सीएए विरोधी आंदोलन को नेतृत्व प्रदान करने वाले कई युवा नेताओं को पार्टी सदस्यता और जिम्मेदारी दी है।

वहीं दूसरी ओर जो लोग कांग्रेस छोड़कर जा रहे हैं कांग्रेस उन्हें मनाने की भी कोशिश नहीं कर रही है।
(जनचौक ब्यूरो की रिपोर्ट।)

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