धक्का तो मोदी-शाह को लगा है जी

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संसद परिसर अब अखाड़े में परिवर्तित हो गया है। संसद के मकर द्वार पर सौ से अधिक भाजपा सांसदों द्वारा इंडिया गठबंधन के ख़िलाफ़ बाबा साहेब को लेकर जो रास्ता रोकने का प्रयास किया उसमें हुई धक्का-मुक्की में दो भाजपा सांसद अस्पताल पहुंचे हैं जिनमें एक मुकेश राजपूत का तड़पते हुए कहना है कि इसमें राहुल गांधी की कोई ग़लती नहीं है।

जबकि दूसरे उड़ीसा के सांसद सारंगी हैं जो इसके लिए राहुल को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। वे वही बजरंगी हैं जिनका नाम ग्राहम स्टेंस साहब और उनके नन्हें बच्चों को कार में ज़िंदा जला देने वालों में शुमार था। यानि ये परम अंधभक्त हैं। उनकी बात का यकीन नहीं किया जा सकता।

धक्का-मुक्की में इस तरह घायल होना एक अकल्पनीय घटना है। यकीन नहीं हो पा रहा। आश्चर्यजनक रूप से इस घटना के लिए भी राहुल गांधी ही निशाने पर हैं उनके खिलाफ जान से मारने की एफआईआर दर्ज भी कराई जा चुकी है। नागालैंड की भाजपा सांसद ने तो बेशर्मी के साथ राहुल पर धकियाने का आरोप लगाया है।

वास्तविकता तो ये है ये सब झूठ भाजपा द्वारा फैलाया जा रहा है संसद भवन के इस द्वार पर पहले से यह सुनियोजित कार्यक्रम रखा गया था। अम्बेडकर प्रतिमा से आए सांसदों को जब संसद में प्रविष्ट नहीं होने दिया तब ही भाजपा सांसदों ने धक्के मारे जिससे खड़गे जी गिरते-गिरते बैठ गए।

जो भाजपा सांसद अपने को संभाल नहीं पाए वो अल्प चोटिल हैं जिन्हें अस्पताल भेजकर एक पूरा स्वांग रचा गया है।

यह पिछले दिन कांग्रेस द्वारा गृहमंत्री को बर्खास्त करने की मांग को लेकर हुआ है। जिसमें प्रत्यक्ष तौर पर अमित शाह दोषी हैं।अपने दोष छिपाने,अडानी पर चर्चा ना होने देने की यह एक ख़तरनाक साज़िश है। राहुल गांधी की बढ़ती लोकप्रियता से आहत भाजपा उन्हें किसी ना किसी जुर्म में जेल भेजने पर आतुर है। इसलिए षड्यंत्र का सैलाब चहुंओर फैला रहे हैं।

अब सारा दारोमदार इस द्वार पर लगे सीसीटीवी पर है यदि उनसे छेड़छाड़ ना हो तो सच सामने आ सकता है। बाकी झूठ दर झूठ की लंबी कतार के बीच देखिए ये कैमरे सच दिखा पाते हैं या नहीं।

वाकई यह धक्का भाजपा के दो कथित रूप से घायल सांसदों को नहीं लगा है बल्कि बड़बोले मोदी शाह को लगा है और वे बौखलाहट में ऐसे वैसे धक्कों से राहुल की छवि दूषित करने पर तुले हुए हैं। हालांकि राहुल का ये बाल बांका नहीं कर सकते क्योंकि उनके साथ इनकी घिनौनी हरकतों को देश दुनिया बखूबी देख और समझ रही है।

(सुसंस्कृति परिहार लेखिका और एक्टिविस्ट हैं।)

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