हरियाणा के मुख्यमंत्री फ़रीदाबाद में दो दिन बिताकर चले गए लेकिन उन्हें खोरी के उजाड़े गए लोगों का दुख दर्द जानने की फुरसत नहीं मिली। करोड़ों रूपये की लागत से बनने जा रहे भाजपा दफ़्तर का शिलान्यास करने और भूमि पूजन के लिए मुख्यमंत्री के पास समय था। खट्टर ने खोरी से पाँच सौ मीटर दूर सूरजकुंड के सरकारी पाँच सितारा होटल राजहंस में शनिवार की रात बिताई और रविवार को दोपहर में वहाँ से गए लेकिन खोरी के लोगों का दर्द साझा करने का वक्त उनके पास नहीं था। सीएम ने अफ़सरों से यह तक नहीं पूछा कि जिस जोऱ शोर से खोरी के लोगों के पुनर्वास की घोषणा की गई थी, उसकी स्थिति क्या है?
खोरी में अब तक 5000 मकान तोड़े जा चुके हैं। रविवार को यहाँ एक बड़ा चर्च नगर निगम फ़रीदाबाद ने गिरा दिया। अभी कम से कम पाँच हज़ार मकान और तोड़े जाने हैं और मस्जिद सहित कई अवैध धार्मिक स्थलों को गिराया जाना है। यूनाइटेड नेशन के स्पेशल रिपोर्टयर एड्यूक्येट हाउसिंग ने भारतीय दूतावास को पत्र लिखकर खोरी के घटनाक्रम पर चिंता जताई और भारत सरकार व हरियाणा सरकार से तुरंत बेदखली रोकने की अपील की। इसके बावजूद सरकार का दिल नहीं पसीजा।

वन विभाग की ज़मीन पर आबाद खोरी को अवैध निर्माण घोषित करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस जगह को ख़ाली कराने का आदेश 7 जून को दिया था। इसके लिए सरकार को डेढ़ महीने का समय मिला है। मुख्यमंत्री ने इन सभी के पुनर्वास का वादा जोर शोर से किया था। नगर निगम फ़रीदाबाद ने पुनर्वास नीति घोषित भी की लेकिन वो इतनी लचर है कि उससे भ्रष्टाचार बढ़ेगा। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उस पर काम भी शुरू नहीं हुआ है।
इस बीच ज़िला प्रशासन ने खोरी में मीडिया प्रवेश पर और फ़ोटोग्राफ़ी पर बैन लगा दिया है। कवरेज के लिए गए कई पत्रकारों से पुलिस ने अभद्र भाषा में बात की और अंदर घुसने नहीं दिया। इस वजह से अंदर क्या हो रहा है, इसका पता मुश्किल से चल पा रहा है।

मजदूर आवास संघर्ष समिति खोरी गांव के सदस्य निर्मल गोराना ने बताया की कभी मीडियाकर्मी तो कभी सामाजिक संगठनों के खोरी में प्रवेश पर रोक लगाकर आखिर हरियाणा सरकार कौन से सामाजिक न्याय की स्थापना कर रही है।
गोराना ने कहा कि यदि इस संकट में सरकार खोरी वालों से मिलने भी आती तो मजदूरों को लगता कि उन्हें पुनर्वास निश्चित रूप से मिलेगा। लेकिन मुख्यमंत्री का फरीदाबाद में आना और खोरी के मजदूर परिवारों से न मिलना इस बात को स्पष्ट करता है कि मंत्री एवं सांसद इन्हीं गरीब मजदूर परिवारों से वोट लेते हैं और जीतने के बाद उनका मुंह तक देखना पसंद नहीं करते हैं।

मजदूर आवास संघर्ष समिति के सदस्य मोहम्मद सलीम खान ने बताया कि अभी तक नगर निगम करीब 5000 से ज्यादा घरों को तोड़ चुका है। लेकिन 5 फीसदी लोगों को भी नगर निगम अस्थाई रूप से आश्रय नहीं दे पाया और ना ही 5000 परिवारों का पुनर्वास के लिए पंजीकरण करवा पाया।
ख़ास बात यह है कि नगर निगम के अधिकारी खुद मीडिया को बता रहे हैं कि 100 लोगों ने आकर अपना आवेदन जमा कराया है। इस बात से साफ जाहिर होता है कि प्रशासन एवं नगर निगम ने मजदूर परिवारों का संयुक्त सर्वे नहीं किया। जिसके पीछे साजिश यह रही कि कम से कम लोगों को पुनर्वास की सुविधा देनी पड़े। हालाँकि मजदूर आवास संघर्ष समिति का कहना है कि हमारी पूरी कोशिश होगी कि खोरी में रहने वाले हर परिवार को पुनर्वास की सुविधा हरियाणा सरकार से दिलाई जाए। इसके लिए मजदूर आवास संघर्ष समिति खोरी गांव को यदि सड़क पर भी उतरना पड़ेगा तो वह पीछे नहीं हटेगा।

आज पांचवें दिन भी खोरी गांव में नगर निगम ने लगभग 10 से ज्यादा बुलडोजर लेकर दो हजार से ज्यादा घरों को तोड़ दिया। खोरी में बना हुआ चर्च भी आज नगर निगम के निशाने पर रहा।
अपने घर को टूटता देखकर बेबी बानो ने बताया कि मेरे मासूम बच्चे हैं और मैं दिल की मरीज हूं। लेकिन नगर निगम की ओर से कोई पुनर्वास की सुविधा नहीं दी गई। बेबी का कहना यह भी है कि प्रशासन उसे घर देगा या नहीं उसे नहीं पता है क्योंकि उसका हरियाणा सरकार से विश्वास उठ चुका है।

मजदूर आवास संघर्ष समिति खोरी गांव की सदस्य फुलवा ने बताया कि पुलिस एवं नगर प्रशासन के अधिकारी उन्हें जबरदस्ती एक आश्रम में धकेलने का प्रयास कर रहे हैं जबकि खोरी के लोग वहाँ जाना पसंद नहीं कर रहे हैं। ज़िला प्रशासन को फ़ौरन प्लास्टिक लगाकर या टिन शेड लगाकर अस्थाई आश्रय तैयार करना चाहिए ताकि इस भयंकर गर्मी एवं बरसात में हमारे बच्चों को सिर ढकने की जगह मिल जाए। नगर निगम कम से कम इतना जरूर करे कि हम तमाम लोगों को तब तक भोजन देता रहे जब तक कि कोर्ट कोई फैसला नहीं सुना देती। बेदखल परिवारों को तत्काल पुनर्वास वाले घर की चाबी थमाई जाए।
(यूसुफ किरमानी वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं।)
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