किट घोटाला बना योगी के गले की फांस, विपक्षी दलों ने शुरू की घेरेबंदी, प्रदर्शन के दौरान कई कांग्रेस कार्यकर्ता गिरफ्तार

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘आपदा को अवसर में बदलने’ की अपील को उन्हीं की पार्टी की उत्तर प्रदेश सरकार ने गंभीरता से ले लिया और इस मौके का फायदा उठाते हुए किट घोटाला कर डाला है। 

बता दें कि कोरोना संक्रमण काल के दौरान घर-घर सर्वे के लिए सरकार ने राज्य के करीब-करीब सभी जिलों में दो पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मल स्कैनर खरीदने के आदेश दिए थे। आरोप है कि गाज़ीपुर, सुल्तानपुर समेत कई ज़िलों में तय कीमत से पांच-पांच गुना ज्यादा दाम पर खरीदा गया है।  

पीपीई किट पहनकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने घोटाले के खिलाफ़ विरोध-प्रदर्शन किया    

कोरोना वैश्विक महामारी के समय में उत्तर प्रदेश में हो रहे पीपीई किट, सैनेटाइजर घोटाले के विरोध में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने आज पीपीई किट पहनकर लखनऊ में विरोध-प्रदर्शन करते हुए राजभवन का घेराव किया। विधानसभा के सामने कांग्रेस कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन पर यूपी पुलिस ने बल प्रयोग करते हुए लाठीचार्ज किया। और प्रदर्शनकारी कांग्रेस कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करके ले गई। 

मेडिकल खरीद में हुए घोटालों के विरोध में कांग्रेसियों ने विधानसभा का घेराव किया। कार्यकर्ताओं ने हाथ में पोस्टर लेकर योगी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। उन्होंने लगाया कि यूपी सरकार में कोरोना महामारी के दौरान घोटाले हो रहे हैं और सरकार घोटालेबाजों को बचाने में लगी है। 

इससे पहले कल शुक्रवार को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने योगी सरकार पर हल्ला बोलते हुए अपने ट्वीट में लिखा था- “न्यूज़ रिपोर्ट के मुताबिक उप्र में कोरोना किट खरीदी में घोटाला हुआ है। क्या पंचायत चुनावों के साल में जिले-जिले वसूली केंद्र बना दिए गए हैं? PPE किट घोटाला, 69K घोटाला, बिजली घोटाला.. पहले घोटाला, फिर सख्ती का नाटक और फिर घोटाला दबाना…अजीब दास्ताँ है ये, कहाँ शुरू कहाँ खत्म..।”

कल के सिलसिले को आज भी आगे बढ़ाते हुए प्रियंका गांधी ने ट्वीट करते हुए लिखा- “ आपदा के समय आम जनता के लिए योजनाओं में, भत्तों में, कटौती करने वाली भाजपा सरकार घोटाले करने में सरपट भाग रही है। नतीजा है आज यूपी के लगभग हर जिले में कोरोना किट घोटाले का आरोप लग रहा है।  यूपी कांग्रेस ने प्रदर्शन कर सरकार को चेतवनी दी कि घोटालेबाजों को बचाना बंद करे।” 

प्रियंका गांधी ने आरोप लगाते हुए कहा है कि- “यूपी के लगभग सभी जिलों में कोरोना किट घोटाला हुआ है।  कोरोना आपदा के समय जब लाखों लोगों की रोजी-रोटी पर खतरा है उस समय प्रदेश सरकार के अफसरों ने करोड़ों का वारा-न्यारा कर दिया। सवाल ये है कि क्या प्रदेश सरकार की रुचि हर बार घोटालेबाज को बचाने की ही होती है? ”

आम आदमी पार्टी ने की मांग जांच सीबीआई को सौंपा जाए या सिटिंग जज की अध्यक्षता में एसआईटी गठित हो 

आम आदमी पार्टी नेता संजय सिंह ने प्रेस कान्फ्रेंस करके पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है। साथ ही वैकल्पिक रास्ता सुझाते हुए उन्होंने कहा है कि एसआईटी से ही जांच करानी है तो सिटिंग जज की अध्यक्षता में एसआईटी गठित की जाए। 

उन्होंने योगी सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए आगे कहा- “क्या यह असंभव है कि योगी जी रोज़ाना 11 बजे अपनी टीम की बैठक कर रहे हो और उन्हें थर्मामीटर-ऑक्सीमीटर आदि के रेट ना बताए गए हों। उन्हें इस महामारी के दौरान हुई तमाम खरीदारियों का पता ना हो? 

इस घोटाले की जांच के लिए योगी सरकार की ओर से एसआईटी गठित करने की बात कही गई है लेकिन यह महज लोगों की आंखों में धूल झोंकने की रणनीति है। योगी सरकार ऐसा करके भ्रष्टाचार के मामले पर पर्दा डालना चाहती है।”

संजय सिंह ने आगे कहा- “यूपी के अस्पतालों में मेडिकल उपकरण सप्लाई करने वाली राज्य स्तरीय सरकारी संस्था यूपी मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन ने ऑनलाइन 1800 रुपये में मिलने वाले थर्मामीटर को पूरे 5200 रुपये में खरीदा है और ऑनलाइन 800 रुपये में मिलने वाले ऑक्सीमीटर के लिए 1,300 रुपये चुकाए हैं। मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन की ओर से 300 से 400 गुना ज्यादा कीमत पर चिकित्सीय उपकरणों की खरीद की जा रही थी। इन घोटालों की लिस्ट काफी लंबी है जिनमें ऑक्सीमीटर की खरीद में घोटाला, थर्मामीटर की खरीद में घोटाला, एनैलाइजर की खरीद में घोटाला, पीपीई किट खरीद में घोटाला और यहां तक कि टूथपेस्ट और ब्रश खरीदने में भी घोटाला सामने आया है।”

भाजपा विधायक देव मणि द्विवेदी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर किया था घोटाले का भंडाफोड़

मंगलवार 8 सितंबर, 2020 को बीजेपी के विधायक देवमणि द्विवेदी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि डीएम सी इंदुमति ने ऑक्सीमीटर और आईआर थर्मामीटर की किट खरीद में भ्रष्टाचार किया है। और उन्हें तुरंत पद से हटाकर उनके खिलाफ़ जांच बैठाई जाए। मंगलवार को भेजी गई चिट्ठी में विधायक देवमणि द्विवेदी ने लिखा है कि सीएम से शिकायत के बाद डीएम सुल्तानपुर ने उन्हें झूठा साबित करने का प्रयास किया। विधायक ने यह भी कहा कि भ्रष्टाचार की शिकायत के बावजूद जिलाधिकारी ने भुगतान पर कोई रोक नहीं लगाई। ऐसे में उनकी मंशा संदिग्ध है। इससे पहले चिकित्सा उपकरणों की खरीद में भ्रष्टाचार के आरोप में सुल्तानपुर के जिला पंचायत राज अधिकारी के निलंबित किया गया था।

उन्होंने आरोप लगाया कि ग्राम पंचायतों में शासनादेश है कि 2800 रुपये में किट खरीदी जाए लेकिन इसके स्थान पर डीएम ने 9950 रुपये में यह किट खरीदने के गांव की पंचायतों पर दबाव बनाया। किट आपूर्ति करने वाली फर्म को डोंगल लगवाकर भुगतान भी करा दिया गया।

घोटाला सामने आने के बाद सरकार बनाई SIT
घोटाले के सामने आने के बाद सुल्तानपुर और गाजीपुर के जिला पंचायत अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया है उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर मुख्य सचिव (राजस्व) की अध्यक्षता में एसआईटी गठित कर दी गयी है। साथ ही एसआईटी को पूरे प्रकरण की जांच कर 10 दिनों में करके अपनी रिपोर्ट सौंपने का कहा गया है। आईएएस रेणुका कुमार को एसआईटी का प्रमुख बनाया गया है।

भ्रष्टाचार के मामले में प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री संजय प्रसाद ने अपर मुख्य सचिव पंचायती राज को पत्र लिखकर मामले की जांच कराकर आख्या उपलब्ध कराने को कहा है। 

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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