नई दिल्ली। मणिपुर में मैतेई और कुकी-जोमी समुदाय के बीच हिंसक संघर्ष तीन महीने बाद भी थमा नहीं है। इस बीच लोगों की सुरक्षा में तैनात असम राइफल्स पर राज्य पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। कुकी-मैतेई संघर्ष में जहां एन. बीरेन सिंह सरकार मैतेई समुदाय के पक्ष में खड़ी है वहीं अब वह इस विवाद में राज्य से असम राइफल्स को हटाने का षडयंत्र शुरू कर दिया है। मैतेई संगठन मीरा पैबी और भाजपा असम राइफल्स को हटाने का आभियान चला रहे हैं। और राज्य सरकार विवाद को खत्म करने की बजाए उसे हवा देने में जुट गई है।
मणिपुर पुलिस ने असम राइफल्स के खिलाफ केस भी दर्ज किया है। एफआईआर असम राइफल्स की 9वीं बटालियन के सैनिकों के खिलाफ दर्ज की गई है, जो भारतीय सेना के अधिकारियों की कमान वाला एक अर्धसैनिक बल है। 9वीं बटालियन बिष्णुपुर जिले के कुछ हिस्सों में तैनात है, जिसमें क्वाक्टा और निकटवर्ती चुराचांदपुर जिले के कुछ हिस्से शामिल हैं।
पुलिस ने असम राइफल्स पर सर्च ऑपरेशन में बाधा डालने का आरोप लगाया है। वहीं सेना ने इसे असम राइफल्स की छवि खराब करने की कोशिश बताया है।
मणिपुर पुलिस ने शनिवार सुबह तीन मैतेई पुरुषों की हत्या में शामिल होने के आरोपी कुकी समुदाय के लोगों का पीछा कर रही पुलिस टीमों को कथित रूप से बाधित करने के आरोप में असम राइफल्स के सैनिकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
असम राइफल्स के जवानों के खिलाफ पुलिस एफआईआर 5 अगस्त को फौगाकचाओ इखाई पुलिस स्टेशन के एक उप-निरीक्षक द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत पर दर्ज की गई थी।
शिकायत में आरोप लगाया गया है कि राज्य पुलिस की टीमें क्वाक्टा वार्ड नंबर 8 के साथ फोलजांग रोड की ओर “आगे बढ़ रही थीं, जहां मैतेई पुरुषों की हत्याएं हुई थीं, ताकि आरोपी कुकी का पता लगाने के लिए एक तलाशी अभियान” चलाया जा सके, जिन्होंने संभवतः शरण ले रखी थी। क्वाक्टा और फोलजांग गांव के बीच का निकटवर्ती क्षेत्र।
शिकायत में दावा किया गया है कि, क्वाक्टा वार्ड नंबर 8 स्थित कुतुब वली मस्जिद पहुंचने पर, राज्य पुलिस टीमों को 9 असम राइफल्स के कर्मियों ने “क्वाक्टा-फोलजांग रोड के बीच में अपने कैस्पर वाहन को पार्क करके” रोक दिया और अवरुद्ध कर दिया।
इसमें आरोप लगाया गया कि असम राइफल्स के जवानों के इस “अहंकारी कृत्य” ने “आरोपी कुकी उग्रवादियों को सुरक्षित क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से भागने का मौका दिया।”
इसलिए, जांच के लिए आईपीसी की कई धाराओं के तहत बिष्णुपुर जिले के मोइरांग उप-मंडल के तहत फौगाकचाओ इखाई पीएस द्वारा स्वत: संज्ञान मामला “पंजीकृत” किया गया था। पुलिस ने आईपीसी की धाराओं में 166 (लोक सेवक द्वारा किसी व्यक्ति को चोट पहुंचाने के इरादे से कानून की अवज्ञा करना), 186 (स्वेच्छा से किसी लोक सेवक को कर्तव्य निर्वहन से रोकना), 189 (लोक सेवक को चोट पहुंचाने की धमकी देना), 341 (गलत तरीके से रोकना), 353 (लोक सेवक को कर्तव्य निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल), 506 (आपराधिक धमकी) और 34 (समान इरादे से कई व्यक्तियों द्वारा आपराधिक कृत्य) के तहत मुकदमा दर्ज किया है।
बात यहीं तक सीमित नहीं है। इसके बीच में भाजपा भी कूद पड़ी है। भाजपा की मणिपुर इकाई ने अन्य शिकायतों का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राज्य में “आम जनता के हित में” असम राइफल्स को “स्थायी रूप से” किसी अन्य अर्धसैनिक बल द्वारा प्रतिस्थापित करने का आग्रह किया है।
सोमवार को मीरा पैबी (महिला मशाल धारकों) ने मणिपुर से असम राइफल्स को हटाने की मांग को लेकर इंफाल घाटी के कई इलाकों में विरोध प्रदर्शन किया था। यह विरोध प्रदर्शन 3 अगस्त को मीरा पैबी के खिलाफ की गई कथित ज्यादतियों के खिलाफ था, जब उन्होंने 35 कुकी-ज़ो लोगों के प्रस्तावित दफन के विरोध में फोगाकचाओ इखाई (बिष्णुपुर सीमा) से तोरबुंग बांग्ला (चुरचांदपुर जिला) तक मार्च करने की कोशिश की थी, जिसे बाद में स्थगित कर दिया गया था।
मीरा पैबी कार्यकर्ताओं ने कहा कि “सभी मीरा पैबी असम राइफल्स को हटाना चाहती हैं, वे कुकी हथियारबंद लोगों का समर्थन कर रहे हैं जिन्होंने कई निर्दोष लोगों की हत्या की है। वे कभी कुकियों की हिंसा पर नियंत्रण नहीं रखते। उनकी जगह कुछ अन्य बलों को तैनात किया जा सकता है। हम केवल यही चाहते हैं कि कोई पक्षपात न हो।”
मणिपुर में पुलिस और असम राइफल्स के बीच विवाद का कारण बहुत ही अफ़सोसनाक है। असम राइफल्स ने मणिपुर पुलिस को कुकी समुदाय का उत्पीड़न करने से रोक दिया। इस पर अब मणिपुर पुलिस असम राइफल्स पर सरकारी काम में बाधा डालने का आरोप लगा रही है।
जबकि सच्चाई यह है कि मणिपुर में असम राइफल्स के जवान हिंसा को रोक रहे हैं। वे बिना किसी जातीय-समुदाय में भेद किए हिंसा को काबू में रखने की कोशिश में लगे हैं। अभी हाल ही में एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। जिसमें कुकी महिलाएं असम राइफल्स के जवानों का पांव पकड़ कर रो रही थीं, क्योंकि उनको वहां से हटाया जा रहा था।
(जनचौक की रिपोर्ट।)