अमेरिका के चुनाव और भारत समेत दुनिया पर उसके संभावित परिणाम के मायने 

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अमेरिका की जटिल पूंजीवादी व्यवस्था में उसके चुनाव भी उतने ही जटिल हैं। अमेरिका में मंगलवार 5 नवंबर 2024 को 47 वां राष्ट्रपति ही नहीं उपराष्ट्रपति और कांग्रेस (संसद) के निम्न सदन प्रतिनिधि सभा की सभी 435 सीटों और उच्च सदन सीनेट की 100 में से 34 सीटों के अलावा 50 में से तेरह राज्यों, प्रादेशिक गवर्नरशिप और कई अन्य राज्य के स्थानीय चुनाव भी होंगे।

गौरतलब है कि प्राचीन यूनानी दार्शनिक प्लेटो के ‘द रिपब्लिक’ किताब लिखने से भी पहले दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र बिहार के वैशाली में रहा। अमेरिका स्वयं को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने का दावा करता है, पर अमेरिका में ही पैदा हुए लेखक और टेलीविजन कमेंटेटर हॉवर्ड फास्ट के सच्चे वृतांत के आधार पर लिखे उपन्यास  ‘द अमेरिकन्स’ में साबित कर दिया गया कि अमेरिकी लोकतंत्र एक छलावा है। 

2020 की जनगणना की जनसंख्या के आधार पर 2024 के इन चुनावों में सीनेट की 100 में से 34 सीटें सामान्य श्रेणी की हैं और बाकी अमेरिका सीटें विशेष श्रेणी की हैं। हाउस ऑफ रिप्रेसेंटेटिव्स (प्रतिनिधि सभा) की सभी 435 सीटें हैं, जिनके अलावा  6 ‘ नॉन वोटिंग ‘ सीटें भी हैं।

अमेरिका के 50 राज्यों में से 11 राज्य के गवर्नर 5 में से 2 के प्रादेशिक गवर्नर भी चुने जाएंगे। स्वतंत्र विश्लेषकों के अनुसार अमेरिका के चुनावों में विदेशी हस्तक्षेप भी होते हैं। रूस, चीन और ईरान समेत कई देशों ने अमेरिका के पिछले चुनावों में अप्रत्यक्ष रूप से हस्तक्षेप किया था।

रूस के व्लादिमीर पुतिन ने स्वयं कोरोना कोविड 19 महामारी की आड़ में स्वयं को आजीवन राष्ट्रपति निर्वाचित करवा कर डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रत्याशी और पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की पत्नी हिलेरी क्लिंटन को हराने के लिए अपने देश की खुफिया एजेंसियों के जरिए उगाहे अरबों पेट्रो डॉलर खर्च किए थे।

यही नहीं सैन्यतांत्रिक जिओनिस्ट (नस्लवादी) इजरायल के अमेरिका में मौजूद समर्थक समूहों ने अरब क्षेत्र और खासकर जॉर्डन नदी के पश्चिमी तट पर गजा पट्टी में बसे फिलिस्तीनियों  पर इजरायली सेना के बमों आदि से किए गए हमलों की आलोचना करने वाले उम्मीदवारों के खिलाफ बहुत धनराशि खर्च की थी।  

न्यूयॉर्क टाइम्स का सर्वे 

अमेरिका के न्यूयॉर्क टाइम्स अखबार द्वारा 21 से 26 सितम्बर के बीच कराए गए प्री-पोल सर्वे के अनुसार मिशिगन और विस्कॉन्सिन में हैरिस और ट्रम्प बराबरी पर हैं। इस सेव में पाया गया है कि कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रम्प के बीच मुकाबला 2 उत्तरी चुनावी क्षेत्रों में कड़ा हो गया है।

सर्वे मे यह पूछने पर कि राष्ट्रपति चुनाव आज हो तो आप किसे वोट देंगे विस्कॉन्सिन के 680 मतदाताओं, मिशिगन के 688 मतदाताओं , ओहियो के 687 मतदाताओं और नेब्रास्का के 680 मतदाताओं के बीच कमला हैरिस को ट्रम्प पर बढ़त मिली।

आर्थिक मुद्दों पर ट्रम्प का समर्थन कम हो गया है। इस बार के चुनाव में आर्थिक मुद्दा बड़ा हो गया है। मिशिगन में मुकाबला बराबरी पर है जहां कमल हैरिस को 48 प्रतिशत और ट्रम्प को उनसे कुछ कम 47 प्रतिशत समर्थन मिला।

विस्कॉन्सिन में डेमोक्रेटिक पार्टी का प्रभुत्व रहा है और वहां भी  कमला हैरिस को ट्रम्प के 47 प्रतिशत के मुकाबले 49 प्रतिशत समर्थन मिला। सर्वे के अनुसार  मिशिगन , विस्कॉन्सिन और पेंसिल्वेनिया में कमला हैरिस के आगे और ट्रम्प  के पीछे रहने की संभावना है।

सर्वे के अनुसार ट्रम्प कोरोना कोविड 19 महामारी के दौरान उनकी उल-जलूल भूमिका के कारण पसंद नहीं किया जाता है लेकिन कमला हैरिस को उन लोगों का समर्थन जुटाने में मुश्किल हो रही है जो उनको ‘लेफ़्टिस्ट’ बताने के ट्रम्प के बयानों के असर में हैं।

उनसे जीतने में चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, जो पूर्व राष्ट्रपति का समर्थन करने के लिए खुद को तैयार नहीं कर सकते हैं। मिशिगन के वेस्टलैंड में बिजली कंपनी के कर्मचारी 65 वर्षीय मैट हेंडरसन ने कहा कि वह कमला हैरिस को वोट नहीं देंगे क्योंकि वह राजनीतिक रूप से कमजोर हैं। हेंडरसन ने कहा कि ‘ 6 जनवरी, 2021 को साबित हो गया कि वह देशद्रोही हैं। 

गर्भपात  का मुद्दा 

इस बार के चुनाव में महिलाओं के गर्भपात कराने को अमेरिका के सभी राज्यों में कानूनी अधिकार बनाना भी बड़ा मुद्दा है जिसका कमला हैरिस समर्थन करती है। इस मुद्दे पर जनमत के दवाब से ट्रम्प को पूर्व के अपने रूख से पलटना पड़ा है।

बहरहाल यह तय है कि इस बार के चुनाव में जीत रिपब्लिकन पार्टी की होती है या फिर डेमोक्रेटिक पार्टी की अमेरिका की आर्थिक, राजनीतिक, विदेश और सैन्य नीतियों में खास बदलाव नहीं आ सकता क्योंकि अमेरिका की जटिल पूंजीवादी व्यवस्था में अंतर्निहित आलोकतांन्त्रिक शासन पद्धति का प्रभुत्व बरकरार है। 

(चंद्र प्रकाश झा स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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