मेरी सरकार को गिराने के लिए भारत में बैठकें हो रही हैं: नेपाली पीएम ओली

Estimated read time 1 min read

नई दिल्ली। नेपाल में नया राजनीतिक संकट खड़ा हो सकता है। नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के कल के बयान से कुछ ऐसा ही लगता है। उन्होंने कहा है कि उनकी सरकार को अपदस्थ करने की साजिश की जा रही है। उन्होंने बिल्कुल साफ-साफ इशारे में भारत पर आरोप लगाया है। बताया जा रहा है कि सत्ता के लिए केपी शर्मा ओली और नेपाली सत्तारूढ़ पार्टी के को चेयरपर्सन पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ के बीच खींचतान शुरू हो गयी है। और उसमें भारत प्रचंड का साथ दे रहा है। शर्मा ने कल साफ-साफ आरोप लगाया कि उनके प्रतिद्वंद्वियों को भारत शह दे रहा है।

एक कार्यक्रम में बोलते हुए ओली ने आरोप लगाया कि कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को अपने नक्शे में शामिल कर संविधान संशोधन के नेपाल के फैसले के खिलाफ दिल्ली में बैठकें आयोजित की जा रही हैं।

अपनी सरकार को गिराए जाने की साजिश के बारे में बताते हुए ओली ने कहा कि “यह बिल्कुल सोच से परे है…..संविधान के बदलाव के खिलाफ दिल्ली में जो कुछ हो रहा है…..दिल्ली मीडिया को सुनिए। भारत में होने वाली बैठकों की तरफ देखिए।” उन्होंने कहा कि “आप सभी को जानना चाहिए की नेपाल का राष्ट्रवाद इतना कमजोर नहीं है कि बाहर की शक्तियां इसे ध्वस्त करने में सक्षम हो जाएं….”

आपको बता दें कि नेपाल की संसद ने हाल में एक संविधान संशोधन पारित किया है जिसमें उसने देश के नये नक्शे पर मुहर लगायी है और इसमें कुछ ऐसे क्षेत्रों को शामिल कर लिया है जिन पर भारत भी अपना दावा जताता रहा है या फिर उसके कुछ क्षेत्र भारत के कब्जे में है। जिसके चलते दोनों देशों के बीच विवाद खड़ा हो गया है। इस विधेयक पर राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने 18 जून को हस्ताक्षर कर दिया है।

ओली ने ये बातें अपने सरकारी आवास पर नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के लोकप्रिय नेता रहे मदन भंडारी के 69वें जन्मदिन पर आयोजित कार्यक्रम में कहीं। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार को बहुमत हासिल है और उनको हटाने की कोई भी योजना सफल नहीं होने जा रही है।

यह कहते हुए कि उनकी हमेशा के लिए पद पर बने रहने की कोई इच्छा नहीं है लेकिन साथ ही यह भी कहा कि तत्काल इस मौके पर हटने का कोई सवाल ही नहीं उठता है। उन्होंने कहा कि ‘अगर मैं सत्ता से अलग होता हूं तो देश में कोई ऐसा नेता नहीं होगा जो राष्ट्रवाद और जमीन के मुद्दे को उठा पाएगा’। यह बात उन्होंने पार्टी में चल रहे मतभेदों की तरफ इशारा करते हुए कही।

भारत की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि कुछ लोगों का मानना है कि नेपाल का नया नक्शा एक अपराध है। इसके साथ ही उन्होंने 2016 में भी अपनी सरकार के गिराए जाने के पीछे किसी साजिश की बात कही। सोचते हुए उन्होंने कहा कि उस समय सरकार इसलिए गिरी क्योंकि वह चीन चले गए थे और उसके साथ यातायात संबंधी कुछ समझौतों पर हस्ताक्षर कर दिए थे जिसने भारत के साथ जमीनी स्तर की निर्भरता को बहुत कम कर दिया। उन्होंने कहा कि “मुझे साफ-साफ याद है कि मैं उस समय हटाया गया जब मैंने चीन के साथ ट्रांजिट समझौते पर हस्ताक्षर किया।“

उन्होंने कहा कि “आपने जरूर यह सुना होगा कि प्रधानमंत्री 15 दिनों में बदल जाएगा। अगर मैं इस समय हटाया जाता हूं तो कोई भी नेपाल के पक्ष में बोलने का साहस नहीं कर सकेगा क्योंकि उस शख्स को तुरंत बर्खास्त कर दिया जाएगा। मैं अपने लिए नहीं बोल रहा हूं। मैं देश के लिए बोल रहा हूं। हमारी पार्टी, हमारा संसदीय दल इस तरह के किसी जाल में नहीं फंसेंगे। जो लोग प्रयास कर रहे हैं उन्हें प्रयास करने दीजिए।”

दरअसल चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ गठबंधन को लेकर नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी में मतभेद हो गया है।

नये नक्शे से जुड़ी लोकप्रिय और भावनात्मक पहल होने के बावजूद नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी की स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ गुट के नेताओं ने ओली की आलोचना की है। यह बैठक पिछले तीन दिनों से जारी थी। दोनों गुटों के बीच जारी तनाव शुक्रवार को उस समय सामने आ गया जब ओली ने स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में हिस्सा नहीं लिया। हालांकि बताया जा रहा है कि दो दिन बैठक से अलग रहकर ओली ने तीसरे दिन बैठक में हिस्सा जरूर लिया लेकिन उन्होंने कुछ बोला नहीं।

इसके अलावा कमेटी के सदस्य नेपाल में कोविड-19 की हैंडलिंग को लेकर भी ओली की आलोचना कर चुके हैं। ऐसा समझा जाता है कि 44 सदस्यीय कमेटी में को चेयर प्रचंड के समर्थकों की संख्या 30 है लिहाजा इसे ओली के लिए बड़ी चुनौती माना जा रहा है।

संसद में नक्शे पर बहस के दौरान नेपाल के राजनीतिक दलों ने एक साझा मोर्चा बना लिया था लेकिन इसमें उस समय बिखराव पैदा हो गया जब नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के भीतर प्रधानमंत्री ओली के नेतृत्व को लेकर बहस शुरू हो गयी। आपको बता दें कि पीएम ओली के पास प्रधानमंत्री और सत्तारूढ़ पार्टी का चेयरमैन दोनों पद है। ऐसी संभावना जतायी जा रही है कि प्रचंड जो ओली की तरह उतने लोकप्रिय नहीं हैं, को विपक्ष और संसद के मधेसी सदस्यों का समर्थन हासिल है। 

(कुछ इनपुट इंडियन एक्सप्रेस और कुछ द हिंदू से लिए गए हैं।) 

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author