बस्तर। नारायणपुर जिले में जल, जंगल और जमीन को लेकर अबुझमाड़ के ग्रामीण फिर से लामबंद होते दिख रहे हैं। इस बार नेशनल हाईवे के सड़क को लेकर अबुझमाड़ में आग सुलग रही है। नेशनल हाईवे के सर्वे में 12 पीढ़ी से चला आ रहा ग्रामीणों का देव स्थल प्रभावित हो रहा है। अबुझमाड़ के ताडोनार में बांस के घने जंगलों को यहां के ग्रामीण अपना देव स्थल मानते हैं। देव कार्यों के लिए यहाँ के बांस का उपयोग किया जाता है। यहां के बांस से जात्रा में देव ध्वज लगाया जाता है। जिसे देव डांग कहा जाता है। रविवार को इस ग्राम सभा में तीन परगना के दर्जनों गांवों के हजारों ग्रामीण पारम्परिक हथियार के साथ मौजूद थे।

बांस को काटते समय होता है सामूहिक आयोजन
अंचल की मान्यता के अनुसार बांस की जरूरत होने पर काटने के लिए बांस जंगल की पूजा अर्चना के लिए गांव के अधिकृत चार व्यक्तियों (गायता) की अनुमति लिया जाता है। इससे देवता के उपयोग के लिए बांस की मांग करने वाले व्यक्ति को एक दिन निश्चित कर आमंत्रित किया जाता है। इससे उसी दिन पूजा सामग्री के साथ उपस्थित होना अनिवार्य होता है। बांस को काटने के समय सामूहिक आयोजन किया जाता है। इसमें अबुझमाड़ के नेडनार, कलमानार, हिकपाड, ताडोनार के ग्रामीण सहपरिवार उपस्थित होते है। ग्राम देवी की पूजा-अर्चना के बाद बांस को काटने के लिए हांडा देव से बिनती की जाती है। इसके बाद सामूहिक भोज का आयोजन होता है।

जिला मुख्यालय से अबुझमाड़ कुतुल मार्ग की का सड़क चौड़ीकरण किया जाना प्रस्तावित है। इस सड़क चौड़ीकरण को लेकर विभाग ने अपनी कार्यवाही शुरू कर दी है। इससे चौड़ीकरण की जद में आ रहे पेड़ों की मार्किंग की गई है। इससे कोडकानार स्थित देव बांस का जंगल भी चौड़ीकरण की जद में आ रहा है। इससे विभाग ने देव बांस के जंगल की भी मार्किंग कर दी है।

इसकी भनक लगने के कारण अबुझमाड़ के ग्रामीण देव बांस के जंगल को लेकर लामबंद हो गए हैं। इससे सैकड़ों ग्रामीणों ने कस्तूरमेटा गांव में एकत्रित होने के बाद रैली के शक्ल में कोडकानार स्थित देव बांस के जंगल स्थल पर पहुंचे। जहां पर सैकड़ों ग्रामीणों की उपस्थिति में देव बांस के जंगल को बचाने की रणनीति बनाई गई। इसमें अबुझमाड़ के सैकड़ों ग्रामीणों का एक प्रतिनिधि मंडल जिला मुख्यालय आकर जिला प्रशासन को देव बांस का जंगल नहीं काटने के लिए ज्ञापन सौंपेगा। इसके बावजूद यदि प्रशासन द्वारा देव बांस के जंगल को बचाने के लिए कोई कारगर कदम नहीं उठाने की स्थिति पर उग्र आंदोलन करेगा। जानकारी के अनुसार जिला मुख्यालय से अबुझमाड़ कुतुल जाने वाले मार्ग का चौड़ीकरण किया जाना है। इस चौड़ीकरण को लेकर सबंधित विभाग ने अपनी कार्यवाही शुरू कर दी है।

नारायणपुर जिले के अबुझमाड़ इलाके के कुतुल,कलमानार,नेलनार,नेडनार,मुरनार,मोहंदी,हिकपाड़,धुरबेड़ा,इरकभट्टी,पोकानार समेत दर्जनों गांव के ग्रामीणों के द्वारा सर्व समाज के बैनर तले ताडोनार में अपनी व्यवस्था के तहत ग्राम सभा का आयोजन किया गया। जिममें निर्णय लिया गया कि गांव के गायता,पुजारी, मांझी,मुखिया,पंच और सरपंच की अनुमति के बगैर देव स्थल में कदम तक रखने नहीं देंगे। क्योंकि नारायणपुर पांचवीं अनुसूची क्षेत्र अंतर्गत आता है जिसका पालन होना चाहिए, ग्रामीणों ने देव स्थल को बचाने का संकल्प लेते हुए कहा है कि सरकार को सड़क निर्माण करने से पहले ग्रामीणों की इच्छाओं को ध्यान में रखना चाहिए।
अबूझ कहे जाने वाले अबुझमाड़ को बूझने अब शासन इलाके में कनेक्टिविटी यानी पक्की सड़कों का निर्माण करने का प्रयास कर रहा है, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण अपनी संस्कृति को बचाने का हवाला देते लामबंद नजर आ रहे हैं , उन्होंने ग्रामीणों की अनुमति के बगैर उनकी संस्कृति से खिलवाड़ करने पर आंदोलन करने की चेतावनी दी है। सरकार से संस्कृति का ख्याल रखने की अपील ग्रामीणों के द्वारा की गई है।
(बस्तर से जनचौक संवाददाता तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट।)
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