एंटीलिया केस में जाँच एजेंसियों को कोई टेररिस्ट लिंक नहीं मिला

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मुकेश अंबानी के घर के बाहर मिली विस्फोटक से भरी कार के मामले में मुंबई पुलिस अधिकारी सचिन वाजे को गिरफ्तार कर लिया गया है, वहीं जांच एजेंसियों का कहना है कि इस केस में कोई टेररिस्ट लिंक सामने नहीं आया है। फिर इस मामले की जाँच एनआईए क्यों कर रही है?

यह बड़ा सवाल है कि क्या किसी मामले को एनआईए को सौंपने के लिए किसी कथित आतंकी संगठन से किसी घटना की जिम्मेदारी लिवा दी जाए। चूँकि महाराष्ट्र सरकार ने सीबीआई को दी गयी सहमति वापस ले ली है इसलिए बिना आतंकी एंगिल लाये केंद्र सरकार एनआईए को जाँच सौंप नहीं सकती थी। तिहाड़ से एक आतंकी संगठन ने संदेश जारी करके घटना की जिम्मेदारी ली और आनन फानन में एनआईए को जाँच सौंप दी गयी। और अब टेररिस्ट लिंक का मामला फुस्स हो गया है, क्योंकि लक्ष्य महारष्ट्र सरकार,शिवसेना और सचिन वाजे हैं।

गौरतलब है कि भारत में आंतकवाद से लड़ने के लिए सरकार ने एनआईए का गठन किया था। यह आंतकवाद के मामलों की जांच करने वाली राष्ट्रीय जांच एजेंसी है। यह एजेंसी देश में आंतकवाद से जुड़ी किसी भी जांच के लिए स्वतंत्र है इसके लिए इसे राज्यों की मंजूरी की जरूरत नहीं है। 31 दिसंबर, 2008 को संसद में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी एक्ट 2008 पास किया गया। इसके बाद इसका गठन किया गया था। मुंबई हमले के बाद एक ऐसी एजेंसी की जरूरत महसूस की जा रही थी जो स्वतंत्र रुप से आंतकवाद से जुड़े मामलों की जांच करे।

इंडिया टुडे की ख़बर के मुताबिक मुकेश अंबानी के घर के बाहर मिली विस्फोटकों से भरी कार के मामले का आतंकवादी लिंक नहीं है। ऐसा कहना है जांच एजेंसियों का। जांच एजेंसियों ने साफ कर दिया है कि जैश-उल-हिंद के नाम से जो टेलीग्राम मैसेज आए थे, जिनमें आतंकवादी संगठन ने विस्फोटकों से भरी कार वहां पहुंचाने की ज़िम्मेदारी ली थी, वे फेक थे। ये मैसेज जांच को गुमराह करने के लिए सर्कुलेट किए गए थे। जांच अधिकारियों का तो यहां तक कहना है कि जैश-उल-हिंद नाम का कोई आतंकवादी संगठन है ही नहीं। फिर जाँच मुंबई पुलिस से लेकर एनआईए को सौंपने के पीछे क्या कारण है? इस पर कयास लगने शुरू हो गये हैं।

दरअसल जब अंबानी के घर के बाहर कार मिलने की बात सामने आई थी तो एक टेलीग्राम मैसेज सामने आया था। इसमें जैश-उल-हिंद नाम के आतंकवादी संगठन ने ज़िम्मेदारी ली थी। इसके बाद पता चला कि जैश-उल-हिंद ने तो इसका खंडन कर दिया है कि इसमें उनकी कोई भूमिका नहीं। और अब ये बात सामने आई है कि जैश-उल-हिंद नाम का तो कोई आतंकी संगठन है ही नहीं। मैसेज फेक थे।

इस पूरे मामले में एक इनोवा कार भी अहम सुराग है।ये कार राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की जांच का अहम हिस्सा है। एक इनोवा कार क्राईम ब्रांच से बरामद हुई है और एनआईए के कब्जे में है पर अभी यह निश्चित नहीं है कि यह वही कार है जो घटना में इस्तेमाल की गयी थी। लेकिन उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों द्वारा जाँच के तथ्य मीडिया को लीक न करने की तमाम हिदायतों को दरकिनार करके सलेक्टेड लीक किया जा रहा है जिसमें वाजे का यह कहना लीक किया गया है कि मैं तो टिप ऑफ़ आईसबर्ग हूँ।   

इससे पहले 14 मार्च को एनआईए ने मुंबई पुलिस ऑफिसर सचिन वाजे को गिरफ्तार कर लिया। मनसुख हिरेन की संदिग्ध मौत के मामले में वे सवालों के घेरे में हैं। एनआईए ने वाजे को आईपीसी की धारा 286, 465, 473, 506(2), 120 B और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम 1908 की धारा 4(a)(b)(I) के तहत गिरफ्तार किया है। उन पर यह धाराएं 25 फरवरी को मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक से भरी कार को प्लांट करने में शामिल होने के आरोप में लगायी गयी हैं। जांच एजेंसी ने 13 मार्च को सचिन से करीब 12 घंटे पूछताछ की थी, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

महाराष्ट्र भाजपा  नेता राम कदम ने तो सचिन वाजे का नार्को टेस्ट तक कराने की मांग कर डाली है। भाजपा के एक अन्य नेता किरीट सोमैया ने कहा कि इस मामले में मुंबई पुलिस के और लोग शामिल हो सकते हैं। सोमैया और पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस पहले भी सचिन वाजे की गिरफ्तारी न होने पर सवाल उठा रहे थे। वैसे एनआईए पर शिवसेना यह आरोप भी लगा रही है की जाँच भाजपा नेताओं के इशारे पर चल रही है।

 इस बीच, शिवसेना नेता संजय राउत का कहना है कि मेरा भरोसा है कि सचिन वाजे एक ईमानदार और योग्य पुलिस ऑफिसर हैं। उन्हें जिन मामलों में गिरफ्तार किया गया है, उनकी जांच की ज़िम्मेदारी मुंबई पुलिस की है। इसमें किसी सेंट्रल टीम की कोई ज़रूरत नहीं थी। हम एनआईए का सम्मान करते हैं, लेकिन मुंबई पुलिस और एटीएस अपने आप में काबिल हैं।

रविवार को सेशन कोर्ट में सजिन वाजे के वकीलों ने कहा कि एनआईए ने उनको गैरकानूनी ढंग से गिरफ्तार किया है। एनआईए ने सचिन वाजे के लिए 14 दिनों की रिमांड मांगी थी, जिस पर कोर्ट ने 25 मार्च तक के लिए वाजे को एनआईए  की कस्टडी में भेज दिया। हालांकि, कोर्ट में वाजे के वकीलों ने कहा कि केवल संदेह के आधार पर उनकी गिरफ्तारी की गई है। उनकी गिरफ्तारी के लिए कोई आधार नहीं है। उनके खिलाफ कोई प्रथम दृष्ट्या मामला नहीं बनता। मामले में उनकी भूमिका बिल्कुल जीरो है। इसलिए यह गैरकानूनी अरेस्ट है। वकीलों ने कहा कि वाजे को उनकी गिरफ्तारी के लिए बनाए गए आधार के बारे में सूचित नहीं किया गया। साथ ही परिवार को उनकी गिरफ्तारी के बारे में भी सूचित करने का मौका नहीं दिया गया।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।) 

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