ओमिक्रॅान: हल्ला ज्यादा, रोशनी कम

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उत्पत्ति: अज्ञात

अपराधिक रिकॉर्ड: अज्ञात

सशस्त्र या निहत्था: अज्ञात

क्षमताएं: अज्ञात

मकसद: अज्ञात

श्रेणी: बेहद खतरनाक!

यदि यह एक संदिग्ध अपराधी की प्रोफाइल होती, तो इसे लिखने वाला पुलिस कर्मी शून्य साक्ष्य के आधार पर ऐसे कठोर निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए बहुत पहले ही नौकरी से बर्खास्त हो जाता। हालांकि यह कोई पुलिस रिपोर्ट नहीं है, बल्कि दुनिया भर में सुर्खियां बटोर रहे SARS-COV2 वायरस के नवीनतम संस्करण ओमिक्रॅान की वर्तमान स्थिति का अपडेट है।

 ‘सुपर ट्रांसमिसिबल’, ‘आगे संक्रमणों की सुनामी’, ‘वैक्सीन अप्रभावी’, ‘इस सर्दी में अकेले ब्रिटेन में 75000 और लोग मरेंगे’, …… ये मीडिया में भरी पड़ी कुछ सुर्खियां हैं जो अंतरराष्ट्रीय निकायों, महामारी विज्ञानियों ( epidemiologists), स्वास्थ्य पेशेवरों और पत्रकार के पति या पत्नी के दादा द्वारा दिए गए बयानों या टिप्पणियों के आधार पर बनी हैं ।

पर यदि आप विश्व स्वास्थ्य संगठन या यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल की वेबसाइटों पर जाते हैं तो ओमिक्रॅान की जो तस्वीर उभरती है, वह कहीं अधिक अस्पष्ट है। वास्तव में, नए संस्करण के सभी पहलुओं पर उपलब्ध जानकारी इतनी अनिश्चितता में घिरी हुई है कि इसके भविष्य की गति के बारे में कोई सार्थक बयान तक देना असंभव है, सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए स्पष्ट नीतियां अपनाना तो दूर की बात है।

हां, वायरस के विशिष्ट (सिग्नेचर) स्पाइक प्रोटीन पर कई म्यूटेशन के साथ, नए वेरिएंट का ग्रोथ एडवांटेज है, और यह पहले के वेरिएंट की तुलना में बहुत अधिक तेज़ी से फैलने वाला (transmisible) लगता है। इसका मतलब है कि और अधिक प्रथम (ब्रेकथ्रू) संक्रमण भी हो सकते हैं, यहां तक कि पूरी तरह से टीकाकरण वाले लोग भी संक्रमित हो सकते हैं। यह बिल्कुल भी आश्चर्य की बात नहीं है, यह देखते हुए कि 2020 की शुरुआत से कोविड वायरस की स्पाइक प्रोटीन संरचना के आधार पर वर्तमान अधिकांश टीके विकसित किए गए थे। वास्तव में हाल की रिपोर्टों के अनुसार, महाराष्ट्र में ओमिक्रॉन वायरस संक्रमित 54 रोगियों में से 81 प्रतिशत का पूर्ण टीकाकरण हो चुका था। कुछ ने फाइजर वैक्सीन का तीसरा शॉट भी लिया था।

लेकिन हर किसी के मन में असली सवाल यह है कि क्या ओमिक्रॉन गंभीर संक्रमण, लंबे समय तक अस्पताल में रहने और अधिक मौतों का कारण बन सकता है?

डब्ल्यूएचओ (WHO) के साथ काम कर रहे एक वरिष्ठ संक्रामक रोग महामारी विज्ञानी, डॉ मारिया वान केरखोव ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा,”यह बताना जल्दबाजी होगी, लेकिन हमारे पास कुछ शुरुआती रिपोर्टें हैं कि यह कम गंभीर है”।

और यूएस सीडीसी (CDC) के अनुसार: “यह जानने के लिए अधिक डेटा की आवश्यकता है कि क्या ओमिक्रॉन संक्रमण, विशेष रूप से उन लोगों में पुन: संक्रमण और ब्रेकथ्रू संक्रमण, जो पूर्ण टीकाकरण करवा चुके हैं, अन्य प्रकार के संक्रमण की तुलना में अधिक गंभीर बीमारी या मृत्यु का कारण बन सकते हैं।”

दूसरे शब्दों में हम अब तक इतना ही जानते है कि ओमिक्रॉन डेल्टा की तुलना में तेजी से फैलता है, लेकिन यह कम खतरनाक भी लगता है, जिसकी पुष्टि अब तक अधिकांश संक्रमित लोगों द्वारा अनुभव किए गए हल्के लक्षणों से होती है। 14 दिसंबर को, जोहान्सबर्ग में दक्षिण अफ्रीकी निजी स्वास्थ्य बीमाकर्ता ‘डिस्कवरी हेल्थ’ ने घोषणा की कि ओमिक्रॉन से संक्रमित लोगों में अस्पताल में भर्ती होने का रिस्क पिछले संस्करण से संक्रमित लोगों की तुलना में 29% कम है।

निश्चित रूप से, यहां तक कि कम विषाणु के साथ भी, अधिक संक्रामकता बड़ी संख्या में लोगों को संक्रमित कर सकती है। हालांकि, बड़ी संख्या का अपने आप में खास मतलब नहीं है, अगर उनकी बीमारी हल्की है, जैसा कि अब तक पाया गया है। और यहां तक कि अगर अधिक ब्रेकथ्रू संक्रमण होते हैं, तो टीकाकरण किये हुए लोगों के बीच ओमिक्रॉन से गंभीर बीमारी पैदा होने की उम्मीद नहीं है, जिनकी प्रतिरक्षा का स्तर आवश्यक सुरक्षा देने लायक पर्याप्त लगता है।

लेकिन इसका प्रभाव निश्चित रूप से अशिक्षित लोगों पर अधिक होगा, विशेष रूप से 70 वर्ष से अधिक आयु के लोगों और गंभीर सह-रुग्णता (co-morbidity) वाले लोगों पर। हालांकि, ये उच्च रिस्क वाली श्रेणियां न केवल ओमिक्रॉन से बल्कि कोविड के हर संस्करण से खतरे में हैं, जो पिछले दो वर्षों में हमारे ग्रह में आ चुके हैं।

और बिना टीकाकरण वाले लोगों में और भी दो श्रेणियां हैं – जिन्होंने जानबूझकर इसे राजनीतिक या वैचारिक कारणों से नहीं लेने का विकल्प चुना है और वे जो इसे चाहते हैं, लेकिन उनकी पहुंच नहीं है। जबकि पहले किस्म के लोग यह तय करने के अपने अधिकार का प्रयोग कर रहे हैं कि वे अपने शरीर के साथ क्या करेंगे, बाद वालों को उनके स्वास्थ्य के अधिकार और शायद जीवन के अधिकार से वंचित किया जा रहा है।

टीकों तक पहुंच से वंचित करने का कारण बहुत लंबे समय से वैश्विक स्तर पर मौजूद भारी असमानताओं में हैं। अतीत के उपनिवेशवाद और इसके पुन: ब्रांडेड आधुनिक अवतारों की इस विरासत का सबसे बुरा शिकार निश्चित रूप से अफ्रीका रहा है, जहां ओमिक्रॉन संस्करण सबसे पहले सामने आया।

सबसे ताज़ा उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार अफ्रीका ने अपनी आबादी के केवल 6% लोगों का पूर्ण टीकाकरण किया है, जबकि अधिकांश उच्च आय वाले देशों ने पहले ही 40% से अधिक लोगों को टीका लगाया है। महामारी की शुरुआत के बाद से अफ्रीका में लगभग 8.5 मिलियन COVID-19 मामले और 217 000 से अधिक मौतें दर्ज की गई हैं। कम आय वाले देशों में सामान्य तौर पर, वैश्विक स्तर पर 57% लोगों की तुलना में, केवल 8.1% को कम से कम एक खुराक मिली है।

यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि क्या टीकों तक पहुंच की कमी और कोविड वायरस के नए रूपों के उद्भव के बीच कोई सीधा संबंध है। कुछ निश्चितता के साथ जो कहा जा सकता है, वह यह है कि जब तक ग्रह की एक बड़ी आबादी को टीका नहीं लगाया जाता है, तब तक वायरस फैलता रहेगा, म्यूटेट करता रहेगा और महामारी को लम्बा खींचता रहेगा।

अप्रैल 2020 में, WHO और UNICEF ने विभिन्न साझेदारों के साथ मिलकर COVID-19 वैक्सीन ग्लोबल एक्सेस फैसिलिटी (COVAX) की स्थापना की, ताकि वायरस के खिलाफ नए विकसित टीकों तक समान पहुंच सुनिश्चित की जा सके- इस नारे के साथ कि ‘कोई भी रेस में नहीं जीत सकता जब तक कि हर कोई न जीत जाए’।

यह कार्यक्रम, जिसमें 180 देशों की भागीदारी है, धनी देशों से धन एकत्र करता है, जिनका उपयोग न केवल निम्न और मध्यम आय वाले देशों के लिए टीके खरीदने के लिए किया जाता है, बल्कि इन देशों की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए भी किया जाता है। हालांकि, शुरू से ही अमीर देशों ने वैक्सीन निर्माताओं के साथ सीधे सौदों के जरिये और COVAX सुविधा के माध्यम से दुनिया की अधिकांश वैक्सीन आपूर्ति पर कब्जा कर लिया है। उनमें से कई ने अपनी आबादी के लिए आवश्यकता से कहीं अधिक टीके की खुराकें ले रखी है।

इसके और अन्य कारकों के चलते COVAX दिसंबर 2021 के अंत तक केवल 792 मिलियन खुराक की आपूर्ति करने में कामयाब रहा, जो कि स्वास्थ्य देखभाल श्रमिकों और सबसे अधिक रिस्क वाले लोगों (विशेषकर गरीब देशों में) तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए निर्धारित लक्ष्य के आधे से भी कम है। )- 2021 के अंत तक टीकों की 2 बिलियन खुराक।

यह सब वास्तव में दर्शाता है कि दुनिया भर में जीवन और कल्याण के लिए सबसे बड़ा खतरा न केवल तेजी से परिवर्तनशील, सनकी वायरस से है, बल्कि वैश्विक अभिजात वर्ग के नृशंष स्वार्थ के कारण अधिक है। ओमिक्रॉन पर घबराहट और चिंता हमेशा की तरह एक ढोंगी मीडिया द्वारा संचालित है, और केवल वैश्विक असमानता की कठोर वास्तविकता को छिपाने का काम करती है – वैश्विक असमानता, जो है सबसे खतरनाक फसल काटने वाला तत्व।

(सत्य सागर एक सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता और पत्रकार हैं, जिनसे sagarnama@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है। अंग्रेजी में लिखे गए इस लेख का हिंदी अनुवाद कुमुदिनी पति ने किया है।)

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