नई दिल्ली। राहुल गांधी को लोकसभा सदस्यता से अयोग्य ठहराने के बाद देश की राजनीति में उठा-पटक तेज हो गई है। विपक्षी दलों के माथे पर चिंता की गहरी लकीरें दिख रहीं हैं। सरकार ने जिस तरह रातों-रात राहुल गांधी की सदस्यता छीनी है, उसके निहितार्थों को भांप कर कांग्रेस ही नहीं विपक्षी दल भी अब अपनी ‘रणनीति’ में बदलाव करने को मजबूर हो गए हैं। हर दल को अपने अस्तित्व पर संकट नजर आ रहा है। तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जैसी पार्टियां भी कार्यनीतिक तौर ही सही कांग्रेस के साथ एकजुटता दिखा रही हैं, जो कांग्रेस से लगातार दूरी बनाए हुए थीं।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या विपक्षी राजनीति करवट बदल रही है और कोई नई शक्ल अख्तियार करेगी। आने वाले दिनों में क्या राष्ट्रीय स्तर पर कोई ऐसा मोर्चा या गठबंधन आकार लेगा, जो संसदीय चुनावों के साथ ही संघर्षों में भी एकताबद्ध होगा।
दरअसल, विपक्षी दलों को यह लगने लगा है कि यदि वर्तमान राजनीतिक माहौल में अपने को बचाना है तो भाजपा के विरोध में उन्हें संसद के अंदर और बाहर एक व्यापक मोर्चा बनाना होगा। लेकिन इस दिशा में राजनीतिक दलों की अपनी वैचारिक निष्ठा और स्थानीय समीकरण अभी भी अवरोध की तरह खड़े हैं?
कांग्रेस लगातार विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने की कोशिश कर रही है। संसद सदस्यता से राहुल गांधी को अयोग्य ठहराने के बाद इस सप्ताह में संसद के पहले दिन विपक्षी कतार में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) शामिल हुई। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से कांग्रेस समेत संयुक्त विपक्ष की सहयोगी रही शिवसेना ने किनारा कस लिया है। शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे सावरकर पर राहुल गांधी की टिप्पणियों से नाराज हो गए। लेकिन सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के रात्रिभोज में 18 विपक्षी दलों के सदस्य शामिल हुए। डिनर मीटिंग में सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी मौजूद थे।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा आयोजित दैनिक रणनीति बैठक में टीएमसी के लोकसभा सांसद प्रसून बनर्जी और राज्यसभा सदस्य जवाहर सरकार ने हिस्सा लिया। दोपहर में, उन्होंने संसद में गांधी प्रतिमा से विजय चौक तक विरोध मार्च में भी भाग लिया। दोनों ने खड़गे द्वारा दोबारा बुलाई गई शाम की बैठक में भी भाग लिया। जिसमें संसद के दोनों सदनों के सभी नेताओं को अपने आवास पर रात्रिभोज के लिए आमंत्रित किया था।
रात्रिभोज की बैठक के बाद, वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि 18 पार्टियों ने “लोकतंत्र को मटियामेट करने और संस्थानों को नष्ट करने” के लिए नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ अपने अभियान को जारी रखने के लिए ‘एक स्वर’ में संकल्प लिया था। जयराम रमेश ने ट्वीट किया, “यह संकल्प संसद के बाहर अब शुरू होने वाली संयुक्त कार्रवाइयों में परिलक्षित होगा।”
तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने इस बात का जवाब दिया कि आखिर क्यों तृणमूल कांग्रेस सहित वे पार्टियां भी एकजुट हो रही हैं, जो कल तक कांग्रेस के साथ खड़ा होने को तैयार नहीं थीं। उन्होंने कहा: “भाजपा ने हद पार कर दी है। लोकतंत्र, संसद, संघवाद और संविधान को बचाना है। विपक्ष इस कारण से एकजुट हो रहा है।”
लेकिन टीएमसी नेता ने यह भी कहा कि अभी पार्टी हर तरह से साथ होने के लिए तैयार नहीं है। इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा, कांग्रेस राज्य में टीएमसी नेतृत्व के खिलाफ व्यक्तिगत हमले कर रही है, जबकि वह दिल्ली में सहयोग की उम्मीद करती है। यह दोहरा मानक नहीं चल सकता। वे खासतौर पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी से विशेष तौर पर नाराज दिखे।
शिवसेना (उद्धव) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी सुबह की रणनीति बैठक में शामिल हुईं, लेकिन पार्टी ने विपक्ष के मार्च या रात्रिभोज के लिए अपना प्रतिनिधि नहीं भेजा। पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने रविवार को मालेगांव में शिव गर्जना रैली को संबोधित करते हुए राहुल गांधी को स्पष्ट रूप से चेतावनी दी कि वे सावरकर का अपमान न करें, जो “भगवान जैसी शख्सियत” हैं और ऐसा बयान न दें जो दरार पैदा कर सके।
सावरकर की राहुल गांधी की तीखी आलोचना को लेकर महाराष्ट्र विकास अघाड़ी गठबंधन में तनाव के बीच, राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कांग्रेस नेतृत्व को इस मुद्दे पर शिवसेना की चिंताओं से अवगत कराकर शांतिदूत की भूमिका निभाई है। कांग्रेस सावरकर की अपनी आलोचना को शांत करने के लिए सहमत हो गई है, जिसके कारण महाराष्ट्र में उसके सहयोगी दलों एनसीपी और शिवसेना के बीच बेचैनी है।
बैठक में शामिल दो नेताओं ने बताया कि पवार ने सोमवार शाम को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा बुलाई गई विपक्षी नेताओं की बैठक के दौरान यह मुद्दा उठाया और स्पष्ट किया कि सावरकर को निशाना बनाने से राज्य में विपक्षी गठबंधन को मदद नहीं मिलेगी। पवार ने राहुल गांधी को यह भी बताया कि सावरकर कभी आरएसएस के सदस्य नहीं थे और इस बात को रेखांकित किया कि विपक्षी दलों की असली लड़ाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के साथ है।
भारत राष्ट्र समिति विपक्ष की सुबह की रणनीति बैठक से दूर रही। खासकर जब से खड़गे ने विरोध में भाग लेने के दौरान संसद के अंदर अपने कमरे में इसकी मेजबानी की थी। लेकिन सोमवार को पार्टी के राज्यसभा नेता केशव राव मार्च में शामिल हुए।
राहुल गांधी की संसद सदस्या खत्म करने के सवाल पर भारतीय राष्ट्र समिति के केशव राव ने कहा कि यह मुद्दा राहुल गांधी से कहीं बड़ा है। लेकिन यह भी स्वीकार करना पड़ेगा कि “यह क्षेत्रीय दलों का युग है। चाहे तेलंगाना में हम हों या पश्चिम बंगाल में टीएमसी, हम भाजपा का विरोध करने वाली सबसे मजबूत ताकत हैं। और हम एक साथ तभी आगे बढ़ सकते हैं जब कांग्रेस इस तथ्य को स्वीकार करे।”
राहुल गांधी सरकारी बंगला खाली करने को तैयार
भाजपा सांसद सी आर पाटिल की अध्यक्षता वाली समिति ने सोमवार सुबह राहुल गांधी को नोटिस जारी किया। यह नोटिस उनके आधिकारिक आवास-12 तुगलक लेन को खाली करने में संदर्भ में था। उन्हें यह यह आवास 2004 में अमेठी से अपना पहला लोकसभा चुनाव जीतने के बाद आवंटित किया गया था।
नोटिस मिलने के बाद राहुल गांधी ने आज यानि मंगलवार को अपना जवाब भेजा है। लोकसभा सचिवालय को संबोधित एक पत्र में, उन्होंने लिखा, “4 बार लोकसभा के एक निर्वाचित सदस्य के रूप में मैं यहां बिताए अपने समय की सुखद यादों का ऋणी हूं।” उन्होंने कहा, “अपने अधिकारों के प्रति पूर्वाग्रह के बिना, मैं निश्चित रूप से आपके पत्र में निहित विवरण का पालन करूंगा।”
लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता से अयोग्यता के मुद्दों और अडानी स्टॉक मुद्दे पर विपक्ष की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की मांग के कारण मंगलवार को संसद में गतिरोध रहा। लोकसभा को पहली बार एक मिनट के कामकाज के बाद दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। और दोपहर 2 बजे फिर से कार्यवाही शुरू होने के तुरंत बाद सदन को दिन भर के लिए स्थगित कर दिया गया। अब सदन की कार्यवाही 28 मार्च, बुधवार को पूर्वाह्न 11 बजे पुन: प्रारंभ होगी।
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