मणिपुर में मौजूदा हालात का जायजा लेने के लिए विपक्षी दलों का गठबंधन INDIA के सांसद आज से दो दिनों के मणिपुर के दौरे पर हैं। आज दिल्ली से 16 पार्टियों के 21 सांसदों का जत्था विमान से मणिपुर के दौरे पर पहुंचा और वहां से उन्होंने पीड़ितों से मुलाकात शुरू कर दी। संसद के मानसून सत्र के दौरान शनिवार और रविवार के अवकाश का उपयोग करते हुए विपक्षी दलों ने मणिपुर जाकर वहां के मौजूदा हालात का जायजा लेने का फैसला किया था। मणिपुर मुद्दे पर पहले ही दिन से संसद में गतिरोध बना हुआ है।
3 मई से जारी मणिपुर हिंसा को 3 महीने होने जा रहे हैं। रॉयटर्स की खबर के मुताबिक अब तक 180 मौतें हो चुकी हैं, लेकिन इसके बावजूद राज्य में शांति व्यवस्था स्थापित नहीं की जा सकी है। समूचा विपक्ष इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा और पीएम मोदी से संसद के भीतर बयान देने की मांग कर रहा था। अब जब सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ही मणिपुर मुद्दे पर लिया गया है, और निकट भविष्य में प्रस्ताव पर संसद के भीतर चर्चा होगी तो विपक्ष के 16 पार्टियों के नेताओं के पास देश को वहां के जमीनी हालात बयां करने के लिए काफी कुछ होगा। सांसद दोपहर तक इंफाल पहुंच जायेंगे और उसके बाद चूराचानपुर की यात्रा हेलिकॉप्टर से करेंगे।
कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी, गौरव गोगोई, के सुरेश और फूलो देवी नेताम, राष्ट्रीय जनता दल से मनोज झा, राष्ट्रीय लोकदल से जयंत चौधरी, जेडीयू से ललन सिंह और अनिल प्रसाद हेगड़े, आम आदमी पार्टी से सांसद सुशील गुप्ता, सपा से जावेद अली खान, शिवसेना ठाकरे गुट से अरविन्द सावंत, झारखंड मुक्ति मोर्चा से महुआ मांझी, सीपीआई (एम) से ए.ए.रहीम, एनसीपी से पी.पी. मोहम्मद फैजल, आरएसपी से एन.के. प्रेमचंद्रन, आईयूएमएल के ई टी मोहम्मद बशीर, वीसीके के रवि कुमार और तोल तिरुम्वालवन, डीएमके नेता कनिमोझी और सीपीआई नेता पी संतोष कुमार इस दल का हिस्सा हैं।
आज यह प्रतिनिधिमंडल इंफाल से सीधे चूराचानपुर जाकर कुकी समुदाय के लोगों से मिलेगा। इंफाल से यह यात्रा हेलीकाप्टर के माध्यम से की जायेगी। प्रतिनिधिमंडल इस दौरान सिविल सोसाइटी, विभिन्न जन संगठनों और राहत शिविरों का दौरा करेगा साथ ही पीड़ितों से बात कर मणिपुर के दर्द को समझने की कोशिश करेगा। वापसी में लौटते हुए इंफाल में मैतेई समुदाय और राहत शिविरों में लोगों से मुलाक़ात की जायेगी।
मणिपुर यात्रा से पहले पत्रकारों से अपनी बातचीत में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, “आज जब विपक्ष की ओर से सरकार पर भारी दबाव बनाया गया है, तब जाकर सरकार की नींद टूटी है और अब सीबीआई की बात हो रही है। अब छानबीन और तफ्तीश की बात हो रही है। इतने दिन क्या सरकार सो रही थी? सरकार कुंभकर्ण की नींद सो रही थी, इसे हमने तोड़ा है।”
अधीर रंजन चौधरी का कहना है, “यदि राज्य सरकार ने हमारे दौरे पर रुकावट नहीं पैदा की तो हम लोग राहत शिविरों का दौरा करेंगे। हालात क्या हैं इसका जायजा लेना हमारा मकसद है। इसके साथ-साथ हमारी यात्रा का मकसद मणिपुर में शांति, सामंजस्य और सौहार्द का वातावरण पैदा करना है। सामान्य स्थिति जल्द से जल्द बहाल हो, पीड़ितों की ढंग से देखभाल हो।”
उन्होंने कहा, “सरकार जिस तरह से इस मुद्दे को सिर्फ शांति-व्यवस्था के मुद्दे के रूप में दिखाना चाहती है, उसके उलट यह जातीय दंगा है, और इतने बड़े पैमाने पर जातीय दंगे की घटना नहीं हुई थी। मणिपुर की गंभीरता को टालने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। दौरे के बाद हम माननीय राज्यपाल से मुलाकात करेंगे और इस दौरे से हासिल अनुभवों को उनके साथ साझा करेंगे।
गौरव गोगोई के अनुसार, “हम मणिपुर के दर्द को लोकसभा और राज्यसभा में रखना चाहते हैं। मणिपुर की यात्रा से हम साबित करना चाहते हैं कि इंडिया अलायन्स मणिपुर के साथ है”। राष्ट्रीय जनता दल के नेता मनोज झा ने कहा, “मणिपुर के लोगों का हाथ थामना, उन्हें भरोसा दिलान कि आप भी इसी हिंदुस्तान, इंडिया, भारत का हिस्सा हैं। बस इसी की एक छोटी कोशिश हम कर रहे हैं”।
आप पार्टी के नेता सुशील गुप्ता के अनुसार, “न सरकार संसद के भीतर चर्चा के लिए तैयार है, न प्रधानमंत्री ही सदन में आकर कुछ बोल रहे हैं। इसलिए हमने तय किया है कि हम वहां पर जाएं और उनसे मिलें और लोगों को बतायें कि सारा हिंदुस्तान आपके साथ है, और आपके साथ न्याय की पूरी-पूरी कोशिश की जाएगी।”
विपक्षी गठबंधन की ओर से मणिपुर यात्रा का प्रोग्राम सरकार के लिए एक झटके की तरह है। अविश्वास प्रस्ताव को लटकाए रखकर एक के बाद एक बिल पारित करने की सरकार की रणनीति के बीच इंडिया गठबंधन का दो दिवसीय दौरा मणिपुर से कई नई खबरें ला सकता है।
इस यात्रा पर हमला बोलते हुए अनुराग ठाकुर ने कहा, “मैं स्पष्ट कर दूं कि ये मात्र दिखावा है, जो INDIA के कुछ सांसद मणिपुर जा रहे हैं। इनकी सरकारों के समय मणिपुर जब जलता था, कई महीने बंद रहता था, उस समय तो इनके नेता संसद में बोलते तक नहीं थे। इनके नेता तो तब बयान देते थे, जब वहां पर सैकडों लोगों की हत्याएं हो जाती थीं। जब मणिपुर छह-छह महीने बंद रहता था, तब इनके मुंह से कोई आवाज नहीं निकलती थी, इनके मुंह में दही जम जाता था। INDIA के सासंद जब मणिपुर से वापस आएं, तो मेरा निवेदन है कि अधीर रंजन चौधरी जी अपने राज्य पश्चिम बंगाल में भी जायें, क्योंकि संसद तो आप चलने नहीं देंगे।”
कुल-मिलाकर अविश्वास प्रस्ताव को लटका कर रखना सरकार को भारी पड़ सकता है। दो दिन बाद जब 16 पार्टियों के नेता वापस लौटेंगे तो उनके पास वास्तव में मणिपुर के हालात के बारे में देश को बताने के लिए काफी कुछ होगा।
(रविंद्र पटवाल ‘जनचौक’ की संपादकीय टीम के सदस्य हैं।)
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