नई दिल्ली। बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में कोर्ट का फैसला आ गया है। लखनऊ स्थिति स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने कहा है कि बाबरी मस्जिद का ध्वंस किसी योजनाबद्ध साजिश का हिस्सा नहीं था। इसके साथ ही कोर्ट ने आरोपी एलके आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती को बाइज्जत बरी कर दिया है। बचाव पक्ष के वकील केके मिश्रा ने बताया कि उन्हें सबूत न होने के चलते छोड़ा गया है।
यह फैसला 28 सालों बाद आया है। जब 6 दिसंबर, 1992 को पगलाए कारसेवकों की एक बर्बर भीड़ ने बाबरी मस्जिद को दिनदहाड़े ढहा दी थी। उसके बाद देश के कई हिस्सों में भीषण दंगे हुए थे। इस मामले में कुल 49 लोग आरोपी बनाए गए थे जिनमें अभी 32 जिंदा हैं और बाकी की मौत हो चुकी है।
हालांकि बीजेपी के वरिष्ठ नेता कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए। जबकि कोर्ट ने उनको मौजूद रहने का आदेश दिया था। विनय कटियार, धरमदास, वेदांती, लल्लू सिंह, चंपत राय और पवन पांडेय फैसले के समय कोर्ट में मौजूद थे। जबकि आडवाणी, जोशी और सह आरोपी नृत्य गोपाल दास के 80 वर्ष से ऊपर और उमा भारती तथा सह आरोपी सतीश प्रधान के अस्पताल में होने के चलते कोर्ट में नहीं उपस्थित हो सके। इस तरह से फैसले के समय 32 में 26 आरोपी मौजूद थे।