प्रिय आर्यन खान: एक पुलिस अधिकारी का माफीनामा

आपकी पीढ़ी के युवा भारतीयों को पत्र लिखने या पाने की खुशी क्या होती है, इसका पता नहीं होगा। हलांकि, बहुत ज्यादा दिन नहीं हुए, जब हममें से अधिकांश लोगों का यह सौभाग्य था कि हम चिट्ठियां लिखने और पढ़ने के तरीक़े जानते थे। हमें जिन लोगों की फिक्र रहती थी, उनसे जुड़े रहने का तो हमारा यह पसंदीदा तरीक़ा था ही, इसके साथ ही महत्वपूर्ण अपरिचित लोगों के साथ अपने विचार साझा करने के लिए भी हम चिट्ठियों का सहारा लेते थे। आज मैं यही करने बैठा हूं, लेकिन अत्यंत भारी मन से।

लेकिन ऐसे पत्राचार सामाजिक विरेचन का एक महत्वपूर्ण रूप होते थे। मैं पिछले कुछ दिनों से, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के पूर्व जोनल निदेशक समीर वानखेड़े से जुड़े विभिन्न ठिकानों पर सीबीआई के छापों को देख रहा हूं। एक ऐसे पुलिस अधिकारी के रूप में, जो आपकी ही उम्र के दो होनहार युवा वयस्कों का पिता भी है, मुझे लगता है कि अक्टूबर 2021 के उस ड्रग भंडाफोड़ मामले में आप और आपके माता-पिता ने जो कुछ झेला है उस गुबार का विरेचन जरूरी है।

सबसे पहले, मैं उस अकल्पनीय आघात के लिए क्षमा चाहता हूं जिससे आप और आपका परिवार गुजरा था, जब 2 अक्टूबर, 2021 को क्रूज शिप ‘कॉर्डेलिया’ पर छापा मारा गया था, आपको और आपके दोस्तों को हिरासत में लिया गया था, तलाशी ली गई थी, गिरफ्तार किया गया था और ‘नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्स्टेंसेज’ (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत नशीले पदार्थों की तस्करी के गंभीर आरोप लगाए गए थे। इस मामले में अगले 25 दिनों के लिए आप जेल में थे, और पूरे देश का एक प्राइम-टाइम मीडिया ट्रायल चल रहा था।

इसने हमें उन घिनौनी दृश्यरतिक, यानि परपीड़ा के दृश्यों का मजा लेने वाली, असंवेदनशील और ईर्ष्यापूर्ण सामूहिक लालसाओं से रूबरू कराया जो हमारे खंडित और असमान समाज को अपने क़ब्जे में ले चुकी हैं। बेशक, आप दोषी थे। शायद नशीले पदार्थों को रखने, सेवन करने और व्यापार करने के नहीं, बल्कि आप अमीर और प्रसिद्ध होने जैसे कहीं अधिक बड़े अपराध के, और इससे भी महत्वपूर्ण बात, शाहरुख खान का बेटा होने के अपराध के दोषी थे।

कोई भी सनसनीखेज मामला जो राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित होता है, उसके बारे में स्वाभाविक तौर पर देश भर के पुलिस अधिकारियों की पेशेवर रुचि और उत्सुकता जाग जाती है। उसके बारे में हम ऑफिस में, सामाजिक मौकों पर और अपने व्हाट्सअप ग्रुप्स में अनौपचारिक तौर पर चर्चा करते रहते हैं। जब छापा पड़ा था और आपकी गिरफ्तारी हुई थी, उस समय भी, मेरे पुलिस मित्र और मैं आपस में कुछ बुनियादी पेशेवर सवाल पूछ रहे थे।

छापेमारी के दौरान आपके और आपके दोस्तों के पास से बरामद ड्रग्स की कुल मात्रा कितनी थी? क्या सभी आरोपियों से पूछताछ के बाद और ज्यादा नशीले पदार्थों की बरामदगी हुई? क्या पदार्थों की मात्रा इतनी पर्याप्त थी, जिसके आधार पर तस्करी जैसे ज्यादा गंभीर आरोप लगाये जा सकें? क्या एनडीपीएस के प्रावधानों के अनुरूप तलाशी और जब्ती मेमो तैयार किए गए थे? इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ऐसी अटकलों से भरा पड़ा था कि आप तो एक ऐसे विशाल हिमखंड जैसे नापाक ड्रग कार्टेल के शिखर मात्र हैं जिसने बॉलीवुड के कोने-कोने में अपना जाल फैला लिया है।

उन कुछ महीनों के लिए, ऐसा लगने लगा था कि वानखेड़े और एनसीबी के उनके सहयोगी एक ऐसे भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं जो शुद्धिवादी और न्यायसंगत है, और उन्होंने एक ऐसे पतनशील भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है, जिसके प्रतिनिधि आप, आपका सामाजिक दायरा और पूरा फिल्म उद्योग है, और आपके पिता भी इस दायरे के एक बहुत ही प्रमुख सदस्य हैं। वानखेड़े और अन्य के खिलाफ सीबीआई का मामला दर्ज होने के साथ ही नैतिक धर्मयुद्ध की यह साफ-सुथरी सी दिख रही कहानी बिखर गयी है।

वानखेड़े बेशक अपनी बेगुनाही का विरोध कर रहे हैं, और दावा कर रहे हैं कि उन्हें देशभक्त होने की सजा दी जा रही है, लेकिन उनकी कहानी, जो शुरू से ही कमजोर पेशेवर स्तंभों पर टिकी हुई थी, अब उसकी नैतिक नींव भी चरमराती हुई दिखने लगी है। देशभक्ति लफंगों की अंतिम शरणस्थली हो या पहली, लेकिन इन दोनों की जड़ें काफी गहराई तक साथ-साथ धंसी होती हैं। मैं कह नहीं सकता कि आपकी गिरफ्तारी और क़ैद की अग्निपरीक्षा के दौरान आपको और आपके परिवार को हुए नुकसान और आघात की भरपायी क्या किसी भी चीज से की जा सकती है?

मैं केवल उम्मीद कर सकता हूं कि इस हादसे ने आपको जीवन भर के लिए डरा न दिया हो, और आप के मन में हमारी पुलिस के प्रति भय और घृणा की भावना पैदा न कर दी हो, जो कि दुर्भाग्य से हमारे देश के ढेरों नागरिकों के मन में पैदा होती जा रही है, और ऐसा निराधार भी नहीं है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि हम सभी पुलिस वाले सत्ता के भूखे मनोरोगी नहीं हैं जो वर्दी को कमजोर और दुर्भाग्यशाली लोगों को शिकार बनाने के लाइसेंस के रूप में देखते हैं। हममें से बहुत से लोग वास्तव में कानून के शासन और भय या पक्षपात के बिना कार्य करने के आदर्श में विश्वास रखते हैं।

मुझे पूरी उम्मीद है कि आपकी यह अग्निपरीक्षा सामान्य रूप से पुलिस सुधारों के बारे में और विशेष रूप से हमारे नशीली दवाओं संबंधी कानूनों में ठोस सुधारों के बारे में एक व्यापक राष्ट्रीय बहस-मुबाहिसे को चिंगारी देगी। हमारा वर्तमान एनडीपीएस अधिनियम एक कुंद औजार बन चुका है, और भ्रष्ट और विद्वेषपूर्ण अधिकारियों के हाथों में तो यह एक क्रूर हथियार का रूप ले चुका है। दुनिया भर के समाज अब यह महसूस करने लगे हैं कि ड्रग्स के खिलाफ युद्ध दरअसल सार्वजनिक संसाधनों की भारी बर्बादी साबित हो रहे हैं और ड्रग्स से नागरिकों को होने वाले नुकसान की तुलना में महज एक नैतिक आक्रोश बन कर रह गये हैं। नशीले पदार्थों के सभी तरह के उपयोगों को एक ही तराजू से तोलना निहायत ​​मूर्खतापूर्ण है और सामूहिक आत्मनिरीक्षण की मांग करता है।

शराब की ही तरह, नशीले पदार्थों (ड्रग्स) और मस्तिष्क को प्रभावित करने वाली औषधियों (साइकोट्रोपिक्स) के उपयोग करने वाले भी सभी तरह के लोग होते हैं। कुछ लोग इनका सेवन विशुद्ध रूप से मनोरंजन के लिए करते हैं और उनका निजी और व्यावसायिक जीवन बिना किसी दुष्प्रभाव के जारी रहता है। कुछ उपयोगकर्ता स्वयं को शारीरिक और मानसिक रूप से नुकसान पहुंचाते हैं और अपने परिवारों को संकट में डालते हैं। इसके बाद वे अत्यधिक व्यसनी लोग आते हैं जो मादक द्रव्यों के सेवन के साथ-साथ हिंसक अपराधों में भी लिप्त हो जाते हैं।

समाज को चाहिए कि वह पहली क़िस्म के लोगों को अपने हाल पर छोड़ दे और दूसरी क़िस्म के लोगों को चिकित्सा उपलब्ध कराये। केवल तीसरी क़िस्म के मामलों से निबटने के लिए आपराधिक न्याय प्रणाली की जरूरत है। मादक पदार्थों की तस्करी के नाम पर आप जैसे युवाओं को गिरफ्तार करना और उन पर मुकदमा चलाना, जो जाहिर तौर पर एक निजी मनोरंजन के लिए ऐसे पदार्थों का आकस्मिक स्वाद चखने के अलावा कुछ नहीं कर रहे हैं, मुझे साफ-साफ लगता है कि प्राथमिकताओं का भटकाव है और दुर्लभ कानूनी संसाधनों का दुरुपयोग है।

इस तरह की कार्रवाइयों से हम केवल अधिकारों के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार के अवसर पैदा करने के साथ-साथ युवाओं और उनके परिवारों को आघात पहुंचा रहे हैं। नशीली दवाओं के खिलाफ इस तथाकथित युद्ध में पुलिस और नैतिक धर्मयोद्धाओं से ज्यादा हमें चिकित्सा-कर्मियों और परामर्शदाताओं की जरूरत है।

आपके साथ घटित यह मामला हमारे नीति-निर्माताओं और हमारे समाज के लिए एक चेतावनी साबित होना चाहिए। हमें अपने नशीली दवाओं के कानूनों में व्यापक बदलाव और हमारी कानून प्रवर्तन एजेंसियों की निगरानी और पर्यवेक्षण की अधिक कठोर प्रणाली की आवश्यकता है ताकि किसी अन्य पिता और पुत्र को वह सब न सहना पड़े जिससे आप और आपके पिता को गुजरना पड़ा है। हमारे सामूहिक प्रायश्चित का यह सबसे उपयुक्त तरीका होगा। इसके साथ ही एक होनहार युवा और उसके सेलिब्रिटी परिवार के खिलाफ न्याय के एक भद्दे प्रहसन की कुंठा का यह एक समुचित विरेचन भी साबित होगा।

(आईपीएस अभिनव कुमार का लेख, ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से साभार, अनुवाद- शैलेश )

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J n shah
J n shah
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11 months ago

आज की धूर्त,गैरजिम्मेदार,अमानवीय,अनैतिक और सत्ता की पिछलग्गू हो चुकी पुलिस प्रणाली के चेहरा को बेनकाब करता लेख।