Sunday, April 28, 2024

बसपा नेताओं को ‘इंडिया’ पर भरोसा, गठबंधन से जुड़ना चाहता है नेताओं का बड़ा गुट

नई दिल्ली। भले ही बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने इंडिया और एनडीए गठबंधन से दूरी बनाई हुई हों लेकिन पार्टी का एक गुट चाहता है कि वह विपक्षी इंडिया गठबंधन के साथ जुड़ें।

बसपा के एक अंदरूनी सूत्र के मुताबिक पार्टी तभी जीत सकती है जब वह जाटव दलितों के अपने पारंपरिक आधार से बाहर निकलकर दूसरे मतदाताओं से जुड़ेगी। सूत्र का कहना है “यह तभी संभव होगा जब हम इंडिया गठबंधन से जुड़ेंगे।”

वहीं बसपा के जौनपुर से सांसद श्याम सिंह यादव का कहना है कि, ”मेरी निजी राय है कि बसपा समेत सभी पार्टियों को बीजेपी के खिलाफ एकजुट होना चाहिए। हालांकि, बहनजी जो फैसला लेंगी हम उसका पालन करेंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष जब तक विभाजित रहेगा उससे भाजपा को फायदा होगा क्योंकि वोट बंट जायेंगे।

एक अन्य बीएसपी सांसद का कहना है कि, ‘मौजूदा राजनीतिक हालात को देखते हुए यही बेहतर होगा कि हम इंडिया गठबंधन से जुड़ जाएं। अगर बसपा अकेले चुनाव लड़ती है और इंडिया गठबंधन के वोट काटती है तो इससे बीजेपी को फायदा होगा। इसके अलावा, अगर बसपा अकेले चुनाव लड़ती है तो उसे नुकसान होगा क्योंकि समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल के साथ गठबंधन के कारण मुस्लिम वोट कांग्रेस के पक्ष में एकजुट होते दिख रहे हैं।

बसपा की चुनावी किस्मत वर्ष 2012 से ही गिरावट पर है। लेकिन 2019 में पार्टी एसपी और आरएलडी के साथ महागठबंधन का हिस्सा बनकर उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 10 सीट जीतने में कामयाब रही।

मई में गाजीपुर के सांसद अफजल अंसारी को अयोग्य घोषित किए जाने के बाद संसद के निचले सदन में इसकी वर्तमान ताकत नौ हो गई है। 2009 के लोकसभा चुनावों में बसपा ने उत्तर प्रदेश में 20 और मध्य प्रदेश में एक सीट जीती थी, जबकि 2014 में उसे कोई सीट नहीं मिली।

2019 के लोकसभा चुनाव के बाद बसपा ने सपा से नाता तोड़ लिया और पिछले साल उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव अकेले लड़ा जिसमें पार्टी को केवल एक सीट और 12% से अधिक वोट शेयर मिले।

जबकि इससे पहले पार्टी ने 2007 में पूर्ण बहुमत हासिल करके यूपी में सरकार बनाई थी। पार्टी ने 403 सदस्यीय सदन में 206 सीटें जीतीं और 30.43% वोट शेयर हासिल किया था। जबकि पांच साल बाद हुए चुनावों में पार्टी के सीटों की संख्या घटकर 80 हो गई और वोट शेयर घटकर 25.95% रह गये। 2017 में पार्टी की सीटों की संख्या और घट गई और 22.23% वोट शेयर के साथ नौ सीटों पर सिमट गई।

इस बीच, पार्टी के एक अन्य सांसद ने कहा कि अगर पार्टी सत्तारूढ़ दल को हराने की स्थिति में नहीं दिखती है तो “भाजपा विरोधी” मतदाता बसपा का पक्ष नहीं लेंगे। उन्होंने कहा कि “इंडिया गठबंधन बीजेपी के लिए एक मजबूत विकल्प की तरह दिख रहा है। ऐसे में केवल जाटवों को आधार बनाकर बसपा कैसे जीत सकती है? अगर बसपा इंडिया गठबंधन में शामिल नहीं होती है, तो मैं कांग्रेस या सपा में शामिल हो जाऊंगा और चुनाव लड़ूंगा।”

उनकी राय के बावजूद किसी भी नेता ने यह मामला मायावती के सामने नहीं उठाया है। उन्होंने यह भी कहा कि “बहनजी केवल भरोसेमंद पार्टी नेताओं के सुझाव सुनती हैं। तब वह अंतिम फैसला लेती हैं और हर कोई उनके फैसले को मानता है।“

उन्होंने यह भी बताया कि इमरान मसूद को इसी साल पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था क्योंकि उन्होंने कांग्रेस की तारीफ की थी और मायावती से इंडिया गठबंधन में शामिल होने का अनुरोध किया था। इमरान मसूद कभी पश्चिम यूपी में पार्टी का एक प्रमुख मुस्लिम चेहरा थे। अमरोहा के सांसद दानिश अली को भी “पार्टी विरोधी” गतिविधियों के कारण बसपा से निलंबित कर दिया गया था। पार्टी के एक अन्य सांसद ने कहा कि भाजपा का दबाव उन्हें इंडिया गठबंधन में शामिल होने से रोक सकता है।

सांसदों के विचारों के बारे में पूछे जाने पर, उत्तर प्रदेश बसपा प्रमुख विश्वनाथ पाल ने केवल इतना कहा कि पार्टी संसदीय चुनावों से पहले अलग-अलग समुदायों के लोगों से जुड़ने के लिए राज्य भर में दैनिक बैठकें कर रही है। उन्होंने कहा, ”बहनजी ने हमें राज्य की सभी 80 सीटों पर लड़ने के लिए तैयार रहने को कहा है। उम्मीदवार का चयन भी शुरू हो गया है।”

(‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित खबर पर आधारित।)

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