CAG ने किया आयुष्मान भारत में बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा, एक मोबाइल नंबर पर 7.5 लाख लोगों का रजिस्ट्रेशन

नई दिल्ली। आयुष्मान भारत यानि ‘प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ (PMJAY-पीएमजेएवाई) के तहत लाभार्थियों के पंजीकरण और सत्यापन में कैग रिपोर्ट ने भारी अनियमितता का खुलासा किया है। सोमवार को लोकसभा में पेश आयुष्मान भारत-पीएमजेएवाई के प्रदर्शन ऑडिट पर अपनी ऑडिट रिपोर्ट में, सीएजी ने कहा कि एक ही मोबाइल नंबर पर 7.5 लाख लाभार्थियों का पंजीकरण हुआ है। यह सिर्फ किसी एक मोबाइल नंबर तक सीमित नहीं है। कुछ अन्य मोबाइल नंबरों पर लाखों तो कुछ मोबाइल नंबर पर हजारों लाभार्थियों का पंजीकरण और सत्यापन हुआ है।

यही नहीं रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि हजारों ऐसे लोगों का भी पंजीकरण हुआ है जिनके परिवार में 11 से लेकर 200 से ऊपर सदस्य हैं। और कुछ राज्यों में पेंशनभोगी भी इस योजना का लाभ उठा रहे हैं। इस खुलासे के बाद यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि गरीबों को स्वास्थ्य सुरक्षा की गारंटी देने वाली योजना खुद ही भ्रष्टाचार की लाइलाज बीमारी की चपेट में है।

आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) के तहत लाभार्थियों के पंजीकरण और सत्यापन में अनियमितताओं को उजागर करते हुए, भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी रिपोर्ट) ने खुलासा किया है कि सेलफोन (मोबाइल) नंबर – 9999999999 से 7,49,820 जुड़े हुए थे। यानि इस एक नंबर से लगभग 7 लाख 50 हजार लाभार्थी जुड़े थे। दूसरे मोबाइल नंबर 8888888888 से 1,39,300 लाभार्थी, तीसरे मोबाइल नंबर 9000000000 से 96,046 लाभार्थी, तो कम से कम 20 मोबाइल नंबर ऐसे भी हैं जिनसे 10,001 से 50,000 लाभार्थी जुड़े हुए थे। 1435 मोबाइल नंबरों पर 1001 से लेकर 10,000 और 185397 मोबाइल नंबरों पर 11 से 1000 लाभार्थियों का पंजीकरण और सत्यापन का मामला सामने आया है।

जिन तीन मोबाइल नंबरों-9999999999, 8888888888 और 9000000000 पर लाखों लाभार्थियों का पंजीकरण हुआ है, उसे देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे सामान्य नहीं वीआईपी नंबर हैं। इस तरह के विशिष्ट नंबरों के लिए बोली लगती है। ऐसे में मोबाइल नंबरों को देखकर सरसरी तौर पर कहा जा सकता है कि उक्त नंबर किसी आम आदमी के नहीं बल्कि खास और प्रभावशाली लोगों के हैं।

सोमवार को लोकसभा में पेश आयुष्मान भारत-पीएमजेएवाई के प्रदर्शन ऑडिट पर अपनी ऑडिट रिपोर्ट में, सीएजी ने कहा कि कुल मिलाकर, योजना के लाभार्थी पहचान प्रणाली (बीआईएस) में 7,49,820 लाभार्थी एक ही मोबाइल नंबर से जुड़े हुए थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि “बीआईएस डेटाबेस के डेटा विश्लेषण से पता चला कि बड़ी संख्या में लाभार्थी एक ही या अमान्य मोबाइल नंबर पर पंजीकृत थे। कुल मिलाकर 1119 से लेकर 7,49,820 लाभार्थी बीआईएस डेटाबेस में एक ही मोबाइल नंबर से जुड़े हुए थे।”

रिपोर्ट में पीएमजेएवाई के तहत पंजीकृत लाभार्थियों के परिवार की संख्या से संबंधित विसंगतियों का भी खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है, “डेटा विश्लेषण से पता चला है कि 43,197 घरों में, परिवार का आकार 11 से 201 सदस्यों तक था।” “बीआईएस डेटाबेस में एक घर में ऐसे अवास्तविक सदस्यों की उपस्थिति न केवल लाभार्थी पंजीकरण प्रक्रिया में आवश्यक सत्यापन नियंत्रण की कमी को इंगित करती है, बल्कि यह भी संभावना है कि वास्तविक लाभार्थी लाभ नहीं उठा रहे हैं…”

रिपोर्ट के मुताबिक, चंडीगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में कई पेंशनभोगियों के पास पीएमजेएवाई कार्ड हैं और वे इस योजना के तहत इलाज का लाभ उठा रहे हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि नवंबर 2022 तक इस योजना में 7.87 करोड़ लाभार्थी परिवार पंजीकृत थे, जो सरकार के लक्षित परिवारों 10.74 करोड़ का 73 प्रतिशत है। बाद में सरकार ने यह लक्ष्य बढ़ाकर 12 करोड़ कर दिया।

रिपोर्ट में कहा गया है, “डेटाबेस में किसी भी लाभार्थी से संबंधित रिकॉर्ड खोजने के लिए मोबाइल नंबर महत्वपूर्ण हैं, जो आईडी के बिना पंजीकरण डेस्क से संपर्क कर सकते हैं। ई-कार्ड खो जाने की स्थिति में लाभार्थी की पहचान करना भी मुश्किल हो सकता है। इसके परिणामस्वरूप पात्र लाभार्थियों को योजना के लाभ से वंचित किया जा सकता है और साथ ही प्रवेश से पहले और बाद में रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर से संपर्क न होने पर उन्हें सुविधा से वंचित किया जा सकता है। जिससे उन्हें असुविधा हो सकती है।”

सीएजी ने बताया, “एनएचए (राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण) ने ऑडिट अवलोकन से सहमत होते हुए कहा (अगस्त 2022) कि बीआईएस 2.0 की तैनाती के साथ, यह मुद्दा हल हो जाएगा।” “इसके अलावा, बीआईएस 2.0 प्रणाली को कॉन्फ़िगर किया गया है ताकि एक निश्चित संख्या से अधिक परिवार एक ही मोबाइल नंबर का उपयोग न कर सकें। इससे ‘रैंडम नंबर’ दर्ज करने के प्रचलन पर रोक लगेगी, जो मोबाइल नंबर असंगतता के बड़े मामले हैं।”

रिपोर्ट के अनुसार, “लाभार्थी सशक्तिकरण गाइडबुक में प्रावधान है कि अस्पताल में प्रवेश से लेकर डिस्चार्ज के बाद प्रतिक्रिया तक लाभार्थी के साथ संचार के लिए संपर्क नंबर का उपयोग किया जाएगा।” “बीआईएस ई-कार्ड को अक्षम करने के दिशानिर्देशों में यह प्रावधान है कि एसएचए कार्ड निर्माण के समय दिए गए संपर्क नंबर पर एसएमएस सूचना भेजेगा और लाभार्थी को उनकी पात्रता की जांच करने के लिए सूचित करेगा। बीआईएस डेटाबेस के डेटा विश्लेषण से पता चला कि बड़ी संख्या में लाभार्थी एक ही या अमान्य मोबाइल नंबर पर पंजीकृत थे। ”

आयुष्मान भारत राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना है, जिसमें 10 करोड़ से अधिक गरीब और कमजोर परिवारों (लगभग 50 करोड़ लाभार्थियों) को कवर करने का लक्ष्य रखा गया है। यह योजना, प्रति परिवार प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक का कवरेज प्रदान करती है। इस योजना के तहत देश की 40 प्रतिशत आबादी तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य और दवा तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। लेकिन वित्तीय संसाधनों की कमी और भ्रष्टाचार ने पूरी योजना को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है।

(प्रदीप सिंह जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।)

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