संघ-भाजपा से हुआ मोहभंग तो प्रचारकों ने बनाई राजनीतिक पार्टी, मध्य प्रदेश चुनाव में ठोकेंगे ताल

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) अपने को अराजनीतिक संगठन बताता रहा है। राजनीति में हस्तक्षेप की बात से इंकार करते हुए वह अपने को सांस्कृतिक संगठन के रूप में पेश करता है। लेकिन समय-समय पर उसके चोले में हुए छेद से उसकी राजनीति बाहर दिखाई देती रही है। अब उसके कई पूर्व प्रचारकों ने एक राजनीति दल बनाकर मध्य प्रदेश में राजनीतिक विकल्प देने का ऐलान किया है। पूर्व प्रचारकों के इस ऐलान से संघ-भाजपा हक्का-बक्का है। लेकिन आरएसएस के पूर्व प्रचारकों ने भाजपा पर वैचारिक विचलन का आरोप लगाते हुए राजनीति के मैदान में ताल ठोक दिया है।

आरएसएस के कई पूर्व सदस्यों ने चुनावी राज्य मध्यप्रदेश में ‘जनहित’ नाम से अपनी एक पार्टी बनाई है। ये सभी कभी संघ में सक्रिय हुआ करते थे, लेकिन लगभग 15 साल से अधिक समय पहले इन्होंने संघ छोड़ दिया था और अब खुद की पार्टी बना ली है। उनका लक्ष्य कांग्रेस-भाजपा की राजनीति के एकाधिकार को तोड़ना और राज्य में जनता को एक नया विकल्प देना है।

‘जनहित’ पार्टी ने रविवार 10 सितंबर को अपनी पहली बैठक का आयोजन किया, जिसमें 200 से अधिक लोग शामिल हुए। इसके सदस्यों में से अधिकांश ने साल 2007 के आसपास आरएसएस छोड़ दिया था। उनका कहना है कि भाजपा अपनी मूल वैचारिक मान्यताओं से भटक गई है और विपक्षी कांग्रेस पहचान योग्य नहीं रह गई है। मध्यप्रदेश के इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस ने आक्रामक तरीके से हिंदुत्व को अपनाया है।

‘जनहित’ का गठन बजरंग दल के एक पूर्व सदस्य द्वारा गठित दक्षिणपंथी संगठन बजरंग सेना के कांग्रेस में शामिल होने के लगभग तीन महीने बाद हुआ है। बजरंग सेना ने भी मध्य प्रदेश में बीजेपी से मोहभंग होने का दावा किया था।

कांग्रेस ने कहा कि आरएसएस के पूर्व सदस्यों का अपनी खुद की पार्टी बनाना भाजपा के भीतर बढ़ते मोहभंग का संकेत है। यह भाजपा को आईना दिखाने जैसा है। कांग्रेस प्रवक्ता पीयूष बबेले ने कहा, “यहां तक कि आरएसएस के सदस्यों का भी भाजपा से मोहभंग हो गया है, जो भ्रष्टाचार का केंद्र बन गई है।“ वहीं भाजपा प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि “हर किसी को अपनी विचारधारा को जनता के बीच ले जाने का अधिकार है। भाजपा विकास और कल्याण के अपने एजेंडे पर काम करती रहेगी।”

‘जनहित’ के सदस्यों ने कहा कि बजरंग सेना के विपरीत, उनकी कांग्रेस में शामिल होने की कोई योजना नहीं है। पार्टी के एक नेता ने कहा “यह सवाल से बाहर है। हम दिल से राजनेता नहीं हैं, बल्कि मिशनरी हैं। हम भाजपा या कांग्रेस के पास नहीं जा सकते। हम स्वतंत्र रूप से लड़ेंगे।”

जनहित के संस्थापक सदस्य, पूर्व आरएसएस प्रचारक अभय जैन का कहना है कि उनका ध्यान “शासन के मुद्दों” पर है। इसे पूंजीपतियों से दूर “जन-केंद्रित” लक्ष्यों की ओर ले जाना है। “शासन के मुद्दों” के साथ-साथ “हिंदुत्व के मूल तत्व” को बनाए रखना है।

अभय जैन का परिवार पीढियों से आरएसएस से जुड़ा रहा है। इंदौर निवासी अभय जैन जब कक्षा 4 में थे, तब संघ में शामिल हुए थे। जब वे इंजीनियरिंग स्नातक में थे तब उन्होंने राम मंदिर आंदोलन में शामिल होने से पहले भोपाल में शाखाओं का आयोजन किया था। उन्होंने “कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति” के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने का भी दावा किया है।

जैन साल 2007 में संघ से अलग हुए। उन्होंने कहा कि “मैं खुद को एक स्वतंत्र स्वयंसेवक के रूप में देखता हूं। मैं आरएसएस में समाज की उस तरह से मदद नहीं कर सका जैसा मैं करना चाहता था। आरएसएस में हमारी भूमिकाएं तय थीं। मैंने सोचा कि मैं समाज के लिए कुछ और कर सकता हूं।”

एक अन्य संस्थापक सदस्य, विशाल कहते हैं कि “मैं इसकी मूल विचारधारा के लिए आरएसएस में शामिल हुआ। मैंने देखा कि हम उस रास्ते पर नहीं चल रहे थे। मैं समाज के लिए और अधिक करना चाहता था। संघ में हमारी कोई ज्यादा राजनीतिक महत्वाकांक्षा भी नहीं हो सकी। हमारे पास वहां से चले जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।”

विशाल कहते हैं कि “भाजपा की एक अच्छी विचारधारा है लेकिन वे अब इसका पालन नहीं करते हैं। हम अभी भी आरएसएस के मूल सिद्धांतों में विश्वास करते हैं और एक जन आंदोलन चला रहे हैं। हमने अतीत में पर्यावरण के मुद्दों, बेरोजगारी, झूठे दंगों के मामलों, किसानों से संबंधित मुद्दों पर अभियान चलाया है। दूसरी ओर, भाजपा को देखिए, वे धार्मिक स्थलों को भी पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर रहे हैं, जो नहीं किया जाना चाहिए। हमने इसका पुरजोर विरोध किया।”

जैन कहते हैं कि “ हिंदुत्व संस्कृति मुख्यधारा बन गई है और हर कोई हिंदुत्व आइकन बनना चाहता है, चाहे वह अरविंद केजरीवाल हों या कमलनाथ। वे मतदाताओं के पीछे भाग रहे हैं। यह हिंदुत्व नहीं है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ खुद को हनुमान भक्त बताते है, धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करते हैं और अपने राजनीतिक क्षेत्र छिंदवाड़ा में एक विशाल हनुमान मूर्ति स्थापित किया है।”

ग्वालियर से ‘जनहित’ सदस्य मनीष काले का कहना है कि वे अभी भी बुनियादी चीजें हासिल कर रहे हैं और उन्होंने उन सीटों पर फैसला नहीं किया है जहां से वे चुनाव लड़ेंगे। “हमारा मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आम आदमी के पास विकल्प हो और वह समान विकल्प देने वाली दो पार्टियों में से किसी एक को चुनने के लिए मजबूर न हो। रामराज्य में शिक्षा और स्वास्थ्य को व्यवसाय और जनता को वस्तु कैसे बनाया जा सकता है? इस संस्कृति को बदलना होगा।”

पार्टी के सदस्यों का कहना है कि वे मध्य प्रदेश में साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में चुनौती पेश करने को लेकर आश्वस्त हैं। जैन ने कहा कि “मुझे नहीं पता कि हम बीजेपी के वोट काट पाएंगे या नहीं। हम एक छोटी पार्टी हैं और यह सच है कि भाजपा के पास विशाल संसाधनों वाला एक विशाल संगठन है, वे हमसे नहीं डरेंगे। लेकिन हम फिर भी कोशिश करेंगे।”

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अरविंद ब्रह्मदेव तिवारी
अरविंद ब्रह्मदेव तिवारी
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7 months ago

जय सनातन जय भारत