मुंबई । मध्य प्रदेश में इस साल के अंत में विधानसभा का चुनाव होना है। लेकिन राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस अभी से चुनावी तैयारियों में लग गई हैं। कांग्रेस शिवराज सिंह चौहान सरकार के भ्रष्टाचार पर निशाना साध रही है। कांग्रेस कर्नाटक की तरह मध्य प्रदेश में भी सत्तारूढ़ दल के भ्रष्टाचार को मुख्य मुद्दा बनाना चाह रही है। ऐसे में कांग्रेस एक-एक कर शिवराज सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर कर रही है। अभी हाल ही में उज्जैन के महाकाल मंदिर परिसर में भाजपा सरकार द्वारा कराए गए कार्य और स्थापित मूर्तियां पहली ही बरसात और तूफान में ढह गईं। इस घटना ने कांग्रेस को घर बैठे ही एक मुद्दा दे दिया। अब कांग्रेस भाजपा सरकार द्वारा कराए गए हर विकास कार्य में भ्रष्टाचार को खोज-खोजकर उजागर कर रही है। और शिवराज सिंह चौहान सरकार को कमीशनखोर बता रही है।
वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश की अपनी रैली के दौरान कहा कि “सभी घोटालेबाजों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।” अब कांग्रेस पीएम के बयान को आधार बनाकर शिवराज सिंह चौहान पर कार्रवाई करने की मांग कर रही है।
चुनावी राज्य मध्य प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्षी पार्टी कांग्रेस के बीच कथित पोस्टर युद्ध के दौरान इसे तब एक कॉर्पोरेट मोड़ मिला, जब डिजिटल भुगतान कंपनी, ‘फोनपे’ ने अपने ‘लोगो’ के इस्तेमाल करने पर कांग्रेस पार्टी को कड़ी चेतावनी जारी की। ‘फोनपे’ उन पोस्टरों की बात कर रही है जिससे कांग्रेस पार्टी ने अपने प्रतिद्वंद्वी भाजपा पर निशाना साधते हुए पोस्टर में ‘फोनपे’ के स्कैनर डिजाइन को इस्तेमाल करते हुए राज्य के मुख्यमंत्री को स्कैनर में डाला है।
अभी हाल ही कर्नाटक में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के खिलाफ इसी तरह का अभियान चलाया था। और कांग्रेस को कर्नाटक में निर्णायक बहुमत मिला। अब ऐसा ही कुछ कांग्रेस मध्य प्रदेश में करती दिख रही है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कांग्रेस आने वाले चुनाव इसे एक प्रमुख मुद्दा बनायेगी।
मामला तब आगे बढ़ गया, जब इस पोस्टर को मध्य प्रदेश कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर पेज से इसे पोस्ट किया, इस पोस्टर के साथ ट्विटर पर लिखा कि “कटनी रेलवे स्टेशन पर शिवराज का भ्रष्टाचार, 50% लाओ ‘फ़ोनपे’ काम कराओ। मध्य प्रदेश की जनता जानती है, 50% कमीशनखोरों को पहचानती है।” कांग्रेस अपने प्रतिद्वंद्वी भाजपा को घेरने के चक्कर में यह भूल गई कि बिना पूछे किसी भी ब्रांड के ‘लोगो’ या किसी कंपनी की पहचान के साथ छेड़-छाड़ करना दंडनीय अपराध है।
इतना कुछ होने के बाद ‘फोनपे’ ने सोमवार को माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर एक बयान में कहा “फोनपे लोगो” हमारी कंपनी का एक पंजीकृत ट्रेडमार्क है और कंपनी की बौद्धिक संपदा अधिकारों का कोई भी अनधिकृत उपयोग कानूनी कार्रवाई को आमंत्रित करेगा। हम विनम्रतापूर्वक @INCMP से हमारे “ब्रांड लोगो” और रंग वाले पोस्टर और बैनर हटाने का अनुरोध करते हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि “फोनपे किसी भी तीसरे पक्ष द्वारा अपने “ब्रांड लोगो” के अनधिकृत उपयोग पर आपत्ति जताता है, चाहे वह राजनीतिक हो या गैर-राजनीतिक। हम किसी भी राजनीतिक अभियान या पार्टी से जुड़े नहीं हैं।
मध्य प्रदेश में इस साल के अंत में विधानसभा के लिए मतदान होना है और भाजपा और कांग्रेस आगामी चुनावों में वर्चस्व के लिए कड़ी लड़ाई में लगे हुए हैं। क्योंकि पिछली बार जब चुनाव हुआ था तो मध्य प्रदेश कि जनता ने कांग्रेस को पसंद किया था। लेकिन जोड़-तोड़ करके अपनी सरकार बना ली।
‘फोनपे’ का कांग्रेस को लेकर बयान “मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान के पोस्टर पूरे मध्य प्रदेश में दिखाई देने के” कुछ ही दिनों बाद आया है, जिसमें ‘फोनपे’ का ‘लोगो’ था और राज्य में “50 प्रतिशत कमीशन” और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था।
पोस्टरों में ‘क्यूआर कोड’ की प्रतिकृति पर सीएम का चेहरा अंकित था, जिस पर नारा था, “50% लाओ ‘फोन पे’ काम कराओ (फोनपे पर 50% कमीशन दो और अपना काम कराओ)।” इस पोस्टर को सप्ताह की शुरुआत में कांग्रेस की राज्य इकाई ने ट्विटर पर भी साझा किया था।
इससे पहले मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की तरफ से कमलनाथ को लक्षित कर पोस्टर लगाए गए थे, जिसमें “वांटेड कमीशन नाथ” का नारा दिया गया था। जबकि भाजपा ने इस बात से इंकार कर दिया है और कांग्रेस पर “गंदी राजनीति” करने का आरोप लगाया है। इसके जवाब में मध्य प्रदेश कांग्रेस ने भी आरोप लगाते हुए कहा है कि ‘इस राज्य में भाजपा को अपनी जमीन खोने का डर है इसीलिए वह इस तरह की ओछी राजनीति पर उतर आई है।