आज 5 जून है। 46 साल पहले सन 1975 में आज ही के दिन जय प्रकाश नारायण द्वारा देश में सम्पूर्ण क्रांति का आह्वान किया गया था। 5 जून 2020 ही वह दिन है जब मोदी सरकार ने कोविड लॉकडाउन की आड़ में पहली बार अध्यादेश के रूप में 3 किसान विरोधी केंद्रीय कृषि कानून थोपे थे। आज कृषि कानूनों को लागू हुए एक साल पूरे हो गये हैं, तो सम्पूर्ण क्रांति की स्मृति और तीनों कृषि क़ानूनों के विरोध में देश भर में किसान आज सम्पूर्ण क्रांति दिवस के तौर पर मनाते हुये भाजपा सांसदों के कार्यालयों के सामने तीनों केंद्रीय कृषि क़ानूनों की प्रतियों का दहन किया। इस क्रम में पंचकुला में सम्पूर्ण क्रांति दिवस मना रहे किसानों पर हरियाणा पुलिस ने लाठीचार्ज किया है जिसमें कई दर्जन किसानों के घायल होने की सूचना है।
गौरतलब है कि संयुक्त किसान मोर्चा ने 5 जून को ‘संपूर्ण क्रांति दिवस’ के रूप में मनाने और भाजपा नेताओं के घर के सामने तीनों कृषि क़ानूनों के दहन का आह्वान किया था। आज किसानों और किसान नेताओं ने भाजपा नेता, सांसदों के दफ्तर के बाहर कृषि कानून की प्रतियां जलायीं।
पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली, तमिलनाडु, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश समेत देश के तमाम राज्यों में किसानों ने जगह-जगह अलग-अलग तरीके से कार्यक्रम को आयोजित किया। इस दौरान कई जगहों पर झड़पें भी हुईं। और पुलिस प्रशासन से लोगों का टकराव भी हुआ।
बिहार के औरंगाबाद जिले के पीरू गांव के किसानों द्वारा तीनों काले कृषि कानूनों की प्रतियों को जला कर सम्पूर्ण क्रांति दिवस मनाया गया।
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के कार्यकर्ताओं ने बिहार के मुजफ्फरपुर में संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर तीनों कृषि क़ानूनों की प्रतियां जलायीं।
वहीं प्रगतिशील महिला संगठन द्वारा भी हैदरपुर में इकट्ठा होकर कृषि कानूनों की प्रतियां जलायी गयीं। कार्यक्रम में सैकड़ों महिलाओं ने भाग लिया।
कल किसानों और जेजेपी नेता देवेंदर बबली की गिरफ़्तारी के विरोध में आज किसानों ने हिसार से टोहाना (Tohana) मार्च किया। टोहाना अनाज मंडी में गिरफ्तारी देने हेतु भारी संख्या में किसान पहुंचे। भाकियू नेता राकेश टिकैत भी इस मार्च में शामिल हुये।
वहीं आज कृषि क़ानूनों की पहली सालगिरह पर भारतीय किसान यूनियन ने मभोती (Mabhoti) में रैली आयोजित की। रैली में भाग ले रहे किसानों ने तीनों कृषि क़ानूनों की प्रतियां जलायीं।
जबकि संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा मनाए गए संपूर्ण क्रांति दिवस पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर सिंह खट्टर ने धमकी भरे अंदाज में कहा कि “मैंने अपील की है कि प्रदर्शनकारी जो भी कुछ करें शांतिपूर्ण तरीके से करें और कानून-व्यवस्था में करें। यदि कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ती है तो उसको संभालने के लिए हमें जो कुछ करना पड़ेगा हम वो करेंगे।
किसानों के समर्थन में राजनीतिक पार्टियां आयीं सामने
अभय कुमार चौटाला ने बताया है कि इनेलो द्वारा आज जिला स्तर पर तीनों कृषि क़ानूनों की कॉपी जलाकर रोष प्रकट किया गया। एवं किसान आंदोलन के समर्थन में संपूर्ण क्रांति दिवस मनाया गया जिसमें इनेलो के हजारों कार्यकर्ता शामिल हुये।
वहीं हरियाणा, पंजाब और दिल्ली में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने किसानों के समर्थन में संपूर्ण क्रांति दिवस में बढ़चढ़ कर भाग लिया। और कृषि क़ानूनों की प्रतियां जलायीं।
‘आप हरियाणा’ के ट्वीटर हैंडल से कहा गया है कि आम आदमी पार्टी पूरी तरह किसानों के साथ है और कंधे से कंधा मिला कर साथ खड़ी है।
बिहार, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश समेत तमाम राज्यों में सीपीआई माले और इसके महिला, छात्र, किसान व मजदूर संगठनों के कार्यकर्ताओं ने आज सम्पूर्ण क्रांति कार्यक्रम में हिस्सा लिया और कृषि क़ानूनों की प्रतियां जलायी।
पश्चिम बंगाल के आसनसोल में भी विरोध का कार्यक्रम आयोजित हुआ। जिसके तहत गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी(बर्नपुर) द्वारा एक विरोध प्रदर्शन किया गया। जिसमें कई लोगों ने हिस्सा लिया। इस दौरान आसनसोल के भगत सिंह मोड़ पर एक पुतला भी जलाया गया। इसके साथ ही कृषि कानून वापस लो के पोस्टर के साथ नारे भी लगाए गए। भाजपा जनप्रतिनिधियों के घेराव अभियान के तहत आसनसोल साउथ की विधायक अग्निमित्रा पाल के घर के बाहर प्रदर्शन किया गया जिसके तहत इंकबाल जिंदाबाद, किसान एकता जिंदाबाद, कृषि का काला कानून रद्द हो के नारे लगाए गए।
संपूर्ण क्रांति दिवस के तहत विरोध कर रहे लोगों को कहना है कि दिल्ली में किसान पिछले छह महीने से धरना प्रदर्शन पर बैठे हैं। लेकिन जिद्दी सरकार उनकी सुध ही नहीं ले रही है। इसी बीच विधायक अग्निमित्रा के घर के बाहर घेराव करते हुए बर्नपुर गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के जनरल सेक्रेटरी सुरेंद्र सिंह ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि अभी भी कुछ लोग इस काले कानून के बारे में समझ नहीं पा रहे हैं। अब समय आ गया है कि हम सब एकजुट होकर इसका विरोध करें तभी सरकार इसे वापस लेगी। इसके लिए हमें छोटे-छोटे विरोध करने होगें। जिसके तहत भारत के लोग जागेंगे। नहीं तो हमें एक बार फिर गोरे अंग्रेजों की नहीं काले अंग्रेजों की गुलामी करने पड़ जाएगी।
हमें इन कॉपोरेट घरानों को उखाड़ फेंकना है और देश को बचाना है। इसलिए जरुरी है कि लोग सड़कों पर आएं और भाजपा के नेताओं के दफ्तरों को बाहर विरोध प्रदर्शन करें। सुरेंद्र सिंह ने कहा कि वह एक डेप्यटेशन पत्र विधायक अग्निमित्रा पॉल को देने आए हैं ताकि उनकी आवाज दिल्ली तक पहुंचाई जाएं। अब तक हमारे चार सौ किसान अपनी जान गंवा चुके हैं। लेकिन ऐसे कानून के लिए हमारे चार हजार क्या, चार लाख किसान कुर्बानी देने के तैयार है।
कृषि क़ानूनों पर ज्ञापन देकर लौट रहे भाकपा माले कार्यकर्ता व बेटी संग राबर्ट्सगंज पुलिस ने की मारपीट
आज भाकपा (माले) राज्य सचिव कामरेड सुधाकर यादव के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने एसडीएम राबर्ट्सगंज को ज्ञापन सौंपा एवं कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की। प्रतिनिधिमंडल में उनके अतिरिक्त शंकर कोल,राजदेव सिंह गोंड, नोहर भारती,मो० कलीम, चारु, जुबेदा खातून, नाजमा खातून सहित तमाम अन्य लोग शामिल थे। ज्ञापन देकर वापस आते समय आरटीएस क्लब के पास फिजियोथेरेपिस्ट के पास मो० कलीम और उनकी बेटी चारु फिजियोथेरेपी करवाने के लिए रुक गए क्योंकि वे लकवाग्रस्त हैं। वहीं पर चौकी प्रभारी राबर्ट्सगंज आ गए और कलीम और उनकी बेटी चारु को गिरफ्तार करने लगे। विरोध करने पर दोनों के साथ मारपीट की। भाकपा (माले) राज्य सचिव कामरेड सुधाकर ने चौकी प्रभारी राबर्ट्सगंज के इस कृत्य की घोर निन्दा करते हुए चौकी प्रभारी को निलंबित करने की मांग की है। उनका कहना था कि कार्रवाई न होने पर पार्टी आंदोलन करेगी।
छत्तीसगढ़ में गांव-गांव में प्रदर्शन, भाजपा नेताओं के कार्यालयों और घरों के सामने जलाई प्रतियां
छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के विभिन्न घटक संगठनों ने आज छत्तीसगढ़ के गांव-गांव में किसान विरोधी काले कानूनों की प्रतियां जलायीं। कई स्थानों पर ये प्रदर्शन भाजपाई नेताओं के घरों और कार्यालयों के आगे भी आयोजित किये गए। ये प्रदर्शन किसान आंदोलन के 20 से ज्यादा संगठनों की अगुआई में कोरबा, राजनांदगांव, सूरजपुर, सरगुजा, दुर्ग, कोरिया, बालोद, रायगढ़, कांकेर, चांपा, मरवाही, बिलासपुर, धमतरी, जशपुर, बलौदाबाजार व बस्तर सहित 20 से ज्यादा जिलों में आयोजित किये गए। हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति व किसान सभा सहित कुछ संगठनों ने कोरबा व बिलासपुर में आज के इस प्रदर्शन को पर्यावरण दिवस के साथ भी जोड़कर मनाया। बिलासपुर में भाजपा सांसद अरुण साव के बंगले के सामने प्रदर्शन किया गया। किसान संघर्ष समन्वय समिति के कोर ग्रुप के सदस्य हन्नान मोल्ला, छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के संयोजक सुदेश टीकम और छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते ने इस सफल और प्रभावशाली आंदोलन के लिए प्रदेश के किसान समुदाय को बधाई दी है और कहा कि किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ पिछले एक साल से जारी यह आंदोलन इन काले कानूनों की वापसी तक जारी रहेगा।
प्रयागराज में सांसदों के आवास के सामने जलाई गई किसान विरोधी कृषि कानूनों की प्रतियाँ
किसान आन्दोलन एकजुटता मंच इलाहाबाद के तत्वाधान में इलाहाबाद जिले के दोनों सांसद, डॉ रीता बहुगुणा जोशी और श्रीमती केशरी देवी पटेल के आवास के सामने, कोविड दिशा निर्देशों का पालन करते हुए किसान विरोधी कृषि कानूनों की प्रतियाँ जलायी गयीं। प्रदर्शनकारियों में डॉ० कमल उसरी, अखिल विकल्प, घनश्याम मौर्य, सुनील मौर्य, सोनू यादव, प्रदीप ओबामा, रवि मिश्र, राम सागर, डॉ० आशीष मित्तल, राजवेन्द्र सिंह, सुभाष पटेल, सुभाष पाण्डेय, नसीम अंसारी आदि लोग शामिल रहे।
आईपीएफ के राज्य कार्य समिति सदस्य अजय राय को घर पर ही किया गया नज़रबंद
केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के गाँव में जाकर किसान विरोधी बिल के बारे में बताने व कोविड-19 के नियम का पालन करते हुए प्रतीकात्मक रूप से शान्तिपूर्ण तरीके से किसान विरोधी बिल की प्रति जलाने के निर्णय के अनुपालन करने के पूर्व ही आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राज्य कार्य समिति के सदस्य अजय राय को यूपी पुलिस द्वारा उनके घर में नज़रबंद कर दिया गया।
आईपीएफ कार्यकर्ताओं ने जलायी कृषि कानूनों की प्रतियां, कई नेता गिरफ्तार
आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट व जय किसान आंदोलन से जुड़े मजदूर किसान मंच के कार्यकर्ताओं ने उत्तर प्रदेश के गांव-गांव में तीनों कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर सरकार से इसे वापस लेने और एमएसपी पर कानून बनाने की मांग सोनभद्र में आईपीएफ जिला संयोजक कृपाशंकर पनिका व मजदूर किसान मंच के जिलाध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद गोंड़ को म्योरपुर पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था।
आईपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता व पूर्व आईजी एस. आर. दारापुरी व मजदूर किसान मंच के महासचिव डा. बृज बिहारी ने कहा कि दमन के बूते मोदी और योगी सरकार किसानों के आंदोलन को नहीं रोक सकती अब यह जनांदोलन बन चुका है जिसे समाज के हर वर्ग का समर्थन मिल रहा है।
विरोध प्रदर्शन का लखीमपुर खीरी में आईपीएफ के प्रदेश अध्यक्ष डा. बी. आर. गौतम, सीतापुर में मजदूर किसान मंच नेता सुनीला रावत, युवा मंच के नागेश गौतम, अभिलाष गौतम, लखनऊ में वर्कर्स फ्रंट अध्यक्ष दिनकर कपूर, उपाध्यक्ष उमाकांत श्रीवास्तव, एडवोकेट कमलेश सिंह, सोनभद्र में कृपाशंकर पनिका, मंगरू प्रसाद गोंड़, राजेन्द्र प्रसाद गोंड़, सूरज कोल, श्रीकांत सिंह, रामदास गोंड़, शिव प्रसाद गोंड़, महावीर गोंड, आगरा में आइपीएफ महासचिव ई. दुर्गा प्रसाद, चंदौली में आलोक राजभर, डा. राम कुमार राय, गंगा चेरो, रामेश्वर प्रसाद, इलाहाबाद में युवा मंच संयोजक राजेश सचान, अध्यक्ष अनिल सिंह, इंजीनियर राम बहादुर पटेल, ईशान गोयल, मऊ में बुनकर वाहनी के इकबाल अहमद अंसारी, बलिया में मास्टर कन्हैया प्रसाद, बस्ती में एडवोकेट राजनारायण मिश्र, श्याम मनोहर जायसवाल, वाराणसी में प्रदेश उपाध्यक्ष योगीराज पटेल आदि ने नेतृत्व किया।