नई दिल्ली। नेशनल कांफ्रेंस चीफ और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला ने एक बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में जारी आतंकी गतिविधियों पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि ये और कुछ नहीं बल्कि उनके बेटे उमर अब्दुल्ला की सरकार को अस्थिर करने की घरेलू साजिश का हिस्सा है।
एनसी चीफ ने सवालिया लहजे में पूछा कि ऐसा क्या हुआ कि नई सरकार के शपथ लेते ही आतंकी हमलों की बाढ़ आ गयी। उन्होंने किसी एजेंसी के शामिल होने की तरफ इशारा किया और मामले की स्वतंत्र जांच की मांग की। अब्दु्ल्ला ने हिंसा के पीछे पाकिस्तान की भूमिका से इंकार किया। जबकि स्थानीय बीजेपी ने उन्हें खारिज करते हुए पाकिस्तान पर आरोप लगाया।
नेशनल कांफ्रेंस सरकार को अभी एक पखवाड़ा हुआ है सत्ता में आए। लेकिन इस बीच हमलों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है। इसको देखकर बहुत लोग सवाल उठा रहे हैं।
श्रीनगर के खान्यार में फायरिंग महीनों की शांति के बाद हुई। घंटों चली लड़ाई के बाद पूरे घर में आग लग गयी थी जिससे पूरा इलाका धुंए से भर गया था। लड़ाई शनिवार को सुबह शुरू हो गयी थी। इलाके के लोगों की सुरक्षा को देखते हुए उन्हें अपने घरों से चले जाने के लिए कहा गया था।
कश्मीर के इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस वीके बिर्धी ने कहा कि उस्मान लश्करी नाम का एक लश्कर उग्रवादी जो ढेर सारे हमलों में शामिल था और यहां तक कि उसने एक पुलिस इंस्पेक्टर की भी हत्या की थी, श्रीनगर की इस गनफाइट में मारा गया। जबकि घटना में सीआरपीएफ के दो जवान और दो पुलिसकर्मी घायल हो गए।
इसी तरह से दक्षिण कश्मीर के शंगुस में सुरक्षा बलों ने जंगलों में छुपे दो उग्रवादियों को मार डाला। पुलिस का कहना था कि एक तीसरा आपरेशन बांदीपुर में चल रहा है जहां शुक्रवार की शाम को दोनों पक्षों के बीच फायरिंग शुरू हो गयी थी।
जम्मू-कश्मीर के शासन मकैनिज्म में चुनी गयी सरकार की सुरक्षा मामलों में कोई भूमिका नहीं होती है। लेकिन फिर भी देश में बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो घाटी में बढ़ी हिंसा को केंद्र शासित प्रदेश में आये सीमित लोकतंत्र के मत्थे मढ़ रहे हैं।
16 अक्तूबर को उमर के शपथ ग्रहण लेने के बाद घाटी में आधा दर्जन हमले और फायरिंग की घटनाएं हुई हैं। और इन हमलों में 15 लोगों की मौत हो चुकी है। शुक्रवार को उग्रवादियों ने बडगाम गांव में उत्तर प्रदेश के दो प्रवासी मजदूरों को मार दिया।
फारुक जिन्होंने हाल में इन हमलों के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया था, शनिवार को पड़ोसी देश को बख्श दिया।
न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच होनी चाहिए। यह कैसे हुआ कि सरकार अभी आयी है और इतनी सारी घटनाएं होने लगीं? मुझे अंदेशा है कि यह उन लोगों द्वारा किया जा रहा है जो सरकार को अस्थिर करना चाहते हैं। ऐसा पहले क्यों नहीं हो रहा था? क्यों आज?
उन्होंने कहा कि श्रीनगर में गनफाइट में शामिल उग्रवादियों को मारा नहीं जाना चाहिए था बल्कि उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए था। और फिर उनसे पूछताछ की जानी चाहिए थी जिससे यह पता चल पाता कि इस हमले के पीछे कौन है।
उन्होंने कहा कि इस मामले की स्वतंत्र जांच होनी चाहिए। एक संकट पैदा करने की कोशिश की जा रही है। अगर उन्हें पकड़ लिया गया तो यह साफ हो जाएगा कि कौन इसको अंजाम दे रहा है।
पाकिस्तान के इसमें शामिल होने की आशंका के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने उसे खारिज कर दिया और आशंका जताई कि इसके पीछे एक ‘एजेंसी’ शामिल हो सकती है।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का कोई सवाल ही नहीं उठता…..इस मामले की जांच होनी चाहिए। क्या कोई एजेंसी है जो उमर अब्दुल्ला की सरकार को अस्थिर करना चाहती है?
उन्होंने कहा कि यहां कोई उग्रवाद नहीं है। यह यहां नहीं था। यह कहां से आया? यहां माहौल बिल्कुल नार्मल है। लोग इधर-उधर सामान्य तौर पर आ जा रहे हैं।
फारुक ने हमलों पर चिंता जरूर जाहिर की लेकिन यह भी कहा कि सरकार को अस्थिर करने की योजना सफल नहीं होगी।
जम्मू-कश्मीर के बीजेपी अध्यक्ष रविंदर रैना ने फारुक की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि उग्रवाद के पीछे पाकिस्तान है। और एजेंसी के शामिल होने के मसले पर किसी जांच की जरूरत नहीं है।
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