मोदी सरकार ने मणिपुर में हिंदुस्तान की हत्या की है: लोकसभा में राहुल गांधी का पूरा भाषण

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राहुल गांधी आज लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर बोल रहे थे। राहुल का आज का भाषण पूरी तरह से एक ऐसी सत्ता की तस्वीर पेश करने को लेकर था, जो देश को विभाजित कर अपनी स्वार्थ-सिद्धि में मशगूल है। एक ऐसी सत्ता जिसके केंद्र में बैठा व्यक्ति आम लोगों के दुःख को सुनने, उन्हें दूर करने के बजाय सिर्फ दो लोगों की बात सुनता है। अहंकार में घिरे इस व्यक्ति की तुलना रावण से करते हुए राहुल ने केरल से कश्मीर की अपनी यात्रा का जिक्र करते हुए एक स्टोरी बुनी है, जिसमें भारत जोड़ो यात्रा से पहले के राहुल गांधी और लाखों आम भारतीयों से मिलने के बाद अपने अहं और भारत को जानने के बारे में गफलत का किस प्रकार राहुल गांधी ने त्याग किया और वास्तविक भारत की आवाज को सुनने और समझने की कोशिश की है।

संसद में ट्रेजरी बेंच से हर वाक्य पर व्यंग्य, कटाक्ष की बारिश और टोकने को धता बताते हुए राहुल गांधी अपने नैरेटिव को आगे बढ़ाते हुए भारत की आवाज को सुनने की एक और दिशा में मणिपुर की आवाज से संसद को और संसद के माध्यम से देश को सुनाने की कोशिश करते नजर आते हैं। यह कोशिश कथित राष्ट्रीय मीडिया, सोशल मीडिया के शोर में कितना संभव होगा, कहा नहीं जा सकता।

हम सदन में राहुल गांधी के भाषण को जस का तस आपके पास ट्रांसक्रिप्ट कर पेश कर रहे हैं। और इसके माध्यम से आइये जानते हैं कि मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर राहुल गांधी ने 9 अगस्त के अपने भाषण में क्या कहा? क्योंकि राहुल गांधी का भाषण सुनने की आतुरता जितनी सत्तापक्ष के सांसदों ने कल दिखाई थी, उतनी शायद विपक्षी दलों को भी नहीं थी। उम्मीद की जा रही थी कि रणनीतिक रूप से राहुल गांधी विपक्ष की ओर से अंतिम वक्ता होंगे। लेकिन आज राहुल गांधी ने सदन शुरू होते ही पहले-पहल अपना भाषण शुरू किया। 

सदन में राहुल गांधी के बोलने से पहले नारा गूंजने लगता है, “जोड़ो-जोड़ो-भारत जोड़ो।”

राहुल गांधी का पूरा भाषण

राहुल: स्पीकर सर, सबसे पहले मैं आपका धन्यवाद करना चाहता हूं कि आपने मुझे लोकसभा में reinstate किया। पिछली बार जब मैं बोला, तब शायद मैंने आपको कष्ट पहुंचाया। शायद मैंने इतनी जोरों से अडानी पर फोकस किया कि जो आपके वरिष्ठ नेता थे, उनको थोड़ा कष्ट हुआ,(ट्रेजरी बेंच से हंगामा शुरु, विपक्ष से आवाज आई, ये हमेशा अडानी पर चीखने लगते हैं…)

“वो जो कष्ट हुआ, मगर वो जो कष्ट हुआ उसका असर शायद आपको भी हुआ, तो इसके लिए आपसे भी माफ़ी मांगता हूं। मगर आज जो हमारे बीजेपी के मित्र हैं उन्हें डरने की जरूरत नहीं है।”

चुटकी लेते हुए राहुल ने अपनी बात जारी रखी, और साथ ही अपने लोगों को भी शांत रहने के लिए कहा, खासकर गौरव गोगोई को। “लेकिन आज कोई घबराने की जरूरत नहीं है। मैं आज अपना मुख्य भाषण अडानी पर नहीं देने जा रहा हूं, इसलिए आप रिलैक्स रह सकते हैं, शांत रह सकते हैं क्योंकि आज का मेरा भाषण दूसरी डायरेक्शन में जा रहा है। 

राहुल: “रूमी ने कहा था, “जो शब्द दिल से आते हैं, वे शब्द दिल में जाते हैं।” तो आज मैं दिमाग से नहीं दिल से बोलना चाह रहा हूं। और मैं आज आप लोगों पर इतना आक्रमण नहीं करूंगा। मतलब एक-दो गोले जरुर मारूंगा, लेकिन इतना नहीं मारूंगा। इसलिए आप लोग रिलैक्स कर सकते हैं।”

“पिछले साल 130 दिन के लिए, मैं भारत के एक कोने से दूसरे कोने तक गया। अकेला नहीं, बहुत सारे लोगों के साथ। (ट्रेजरी बेंच से कमेंट्स और हल्लागुल्ला के बाद गौरव गोगोई “सर ये हमारा टाइम खत्म करने का साजिश है।) (गोगोई और अधीर रंजन) लोकसभाध्यक्ष ने विपक्ष की ओर इशारा करते हुए कहा “ऐसे धमकाने वाले वाक्य यहां पर मत बोलो प्लीज”।

राहुल ने अधूरी बात जारी रखते हुए कहा, “समुद्र के तट से लेकर कश्मीर की बर्फीली पहाड़ी तक चला। ट्रेजरी बेंच से लद्दाख पर टोकने पर राहुल ने कहा, “नहीं लद्दाख तो मैंने नहीं छोड़ा है। यात्रा अभी खत्म नहीं हुई, यात्रा जारी है, लद्दाख भी आयेंगे घबराएं नहीं यह यात्रा अभी खत्म नहीं हुई है। 

राहुल: “बहुत से लोगों ने यात्रा के दौरान और बाद में बहुत से लोगों ने मुझसे पूछा कि राहुल तुम क्यों चल रहे हो? तुम्हारा लक्ष्य क्या है?  हंसी… कन्याकुमारी से कश्मीर तक क्यों जा रहे हो? और जब वे मुझसे पूछते थे तो शुरुआत में मुझे, मेरे मुंह से जवाब नहीं निकलता था। शायद मुझे ही नहीं मालूम था कि मैंने यह यात्रा क्यों शुरू की। जब मैं कन्या कुमारी से शुरू हुआ तो मैं सोच रहा था कि मैं हिंदुस्तान को देखना चाहता हूं, समझना और लोगों के बीच में जाना चाहता हूं। थोड़ी ही देर में मुझे बात समझ आने लगी। जिस चीज से मुझे प्यार था, जिस चीज के लिए मैं मरने को तैयार हूं। जिस चीज के लिए मैं मोदी जी की जेलों में जाने को तैयार हूं, जिस चीज के लिए मैंने 10 साल हर रोज गाली खाई, उस चीज को मैं समझना चाहता था। ये है क्या जिसने मेरे दिल को, इतनी मजबूती से पकड़ रखा था उसे मैं समझना चाहता था।”

“शुरुआत में, जैसा कि मैंने शुरू किया मैं शुरू से 8-10 किमी दौड़ता था, तो मुझे लगा कि जब मैं 10 किमी दौड़ता हूं तो 25 किमी चलने से क्या फर्क पड़ता है। आज मैं उस भावना को देखूं तो यह अहंकार था कि यह तो कुछ खास नहीं है। लेकिन भारत अहंकार को एकदम से मिटा देता है, एक सेकंड में। तो हुआ क्या, दो-तीन दिन के भीतर ही मेरे घुटने में दर्द शुरू हो गया, जबरदस्त दर्द, मेरे घुटने में दर्द, हर कदम में दर्द। पहले 2-3 दिन में मेरे में जो अहंकार था। जो भेड़िया था, एकदम से चींटी बन गया।

जो हिंदुस्तान को अहंकार से देखने निकला था, वो दूर हो गया, और रोज मैं डर-डर के चलूं कि क्या मैं कल चल पाऊंगा? ये मेरे दिल में डर था, और जब भी यह डर बढ़ता था, तो कहीं न कहीं से कोई न कोई शक्ति मेरी मदद कर देती थी। एक दिन जब मैं सह नहीं पा रहा था एक छोटी सी 8 की लड़की मुझे चिट्ठी दे के जाती है। जिसमें लिखा था कि राहुल, मैं तुम्हारे साथ चल रही हूं। डरो नहीं। उसने अपनी शक्ति मुझे दे दी। सिर्फ उसने नहीं लाखों लोगों ने। शुरूआत में जब कोई किसान आता था तो मैं पहले एकदम से उसे अपनी बात बताता था। आपको इस प्रकार से काम करना चाहिए, मगर इतने लोग आये, हजारों लोग कि फिर मैं बोल नहीं पाया।”

राहुल ने आगे कहा, “मेरे दिल में जो बोलने की इच्छा थी, वह अब नहीं रही। एक सन्नाटा सा छा गया। क्योंकि इतने लोगों से बोलना था। भीड़ की आवाज थी भारत जोड़ो-भारत जोड़ो। इसके बाद जो मिलने आते थे, मैं उनकी आवाज सुनता गया। हर रोज सुबह 6 बजे से रात 7-8 बजे तक आम आदमी, गरीब-अमीर, किसान मजबूर सबकी आवाज।” 

सत्तापक्ष से टोकाटाकी पर राहुल ने कहा, आप कल से रुके हो, थोड़ा और 5-10 मिनट रुक जाओ…

उन्होंने आगे कहा, “मैं चलता गया, बात सुनता गया। और फिर मेरे पास एक किसान आया। और किसान ने हाथ में रुई पकड़ी हुई थी। और उसने मुझे कहा, मेरी आंख में देखकर उसने मुझे वह रुई का बंडल दिया और कहा “राहुल जी यही बचा है मेरे खेत का, और कुछ बचा नहीं है।” मैंने उससे जो सामान्य सवाल पूछा करता था पूछा कि “बीमा का पैसा मिला?” उस किसान ने मेरा हाथ पकड़कर कहा “नहीं राहुल जी मुझे बीमा का पैसा नहीं मिला, हिंदुस्तान के बड़े उद्योगपतियों ने बीमा का पैसा मुझसे छीन लिया।”

लेकिन इस बार बड़ी अजीब बात हुई कि जो किसान मुझसे बोल रहा था, जो उसके दिल में दर्द था, वो दर्द मेरे दिल में आया, जो उसकी आंखों में शर्म थी, वो शर्म मेरी आंखों में आई। उसकी जो भूख थी, वो मुझे समझ आई। और उसके बाद यात्रा बिल्कुल बदल गई। मुझे अब भीड़ की आवाज सुनाई नहीं देती थी, मुझे सिर्फ उस व्यक्ति की बात, उसकी चोट, उसका दर्द, उसका दुःख याद रह गया वह मेरा दर्द बन गया।” 

राहुल: “भाइयो और बहनों, लोग कहते हैं कि ये देश है। कोई कहता है ये अलग-अलग भाषाएं हैं। कोई कहता है ये जमीन है, मिट्टी है, कोई कहता है ये धर्म है, ये सोना है, ये चांदी है, मगर भाइयों-बहनों ये देश एक आवाज है। ये देश सिर्फ एक आवाज है, ये देश यहां के लोगों की आवाज है, इस देश के लोगों का दर्द है, दुःख है, कठिनाइयां है। और यदि इस दर्द को सुनना है तो हमारे दिल में जो अहंकार है, हमारे जो सपने हैं उन्हें हमें परे करना पड़ेगा। जब हम अपने सपनों को परे करते हैं तब हमें हिंदुस्तान की आवाज सुनाई पड़ती है, उनका दुःख सुना जा सकता है।”

इसके बाद राहुल गांधी अपने मूल मंतव्य पर लौटते हैं, “अब आप कहोगे कि यह बात मैंने अविश्वास प्रस्ताव के दौरान क्यों कही? (टोकाटाकी शुरू हो गई, क्योंकि ट्रेजरी बेंच के अनुभवी सदस्यों को आभास हो गया था कि राहुल यह नैरेटिव किसलिए गढ़ रहे थे।) 

क्योंकि भाइयों और बहनों। स्पीकर सर भारत एक आवाज है, भारत हम सब लोगों, इस देश की आवाज है, यदि हम उस आवाज को सुनना चाहते हैं तो हम सभी को उस अहंकार को मिटाना पड़ेगा। स्पीकर सर, कुछ ही दिन पहले मैं मणिपुर गया। हमारे प्रधानमंत्री नहीं गये,(शेम,शेम) आज तक नहीं गये (शेम,शेम) क्यों कि उनके लिए मणिपुर हिंदुस्तान नहीं है।(शेम,शेम) मैंने मणिपुर शब्द प्रयोग किया, मगर आज की सच्चाई यह है कि मणिपुर नहीं बचा है। मणिपुर को आपने दो भाग में कर दिया है, मणिपुर को आपने बांट दिया है, तोड़ दिया है।”

मैं मणिपुर में रिलीफ कैंप में गया, रिलीफ कैंप में (ट्रेजरी बेंच से ।।राजस्थान क्यों नहीं गये?… राहुल-आज जा रहा हूं।) 

“मणिपुर में मैंने राहत शिविरों में महिलाओं से बात की, बच्चों से बात की, जो हमारे प्रधानमंत्री जी ने आजतक नहीं किया। (सदन में हंगामा… उधर विपक्ष से गोगोई: सूद समेत जवाब मिलेगा।) मैं मणिपुर गया। जो हमारे प्रधानमंत्री ने आज तक नहीं किया। एक महिला मुझे कहती है, मैंने उससे पूछा बहन क्या हुआ आपके साथ? (ट्रेजरी बेंच फिर से हंगामे के मूड में। विपक्ष की ओर से गौरव गोगोई की आवाज आती है, “एक-एक मंत्री खड़े होकर बोल रहे हैं, पूरे सांसद खड़े हो गये हैं। कल कांग्रेस पार्टी नहीं पूरा देश आपके खिलाफ खड़ा होगा।)

राहुल: “मैंने बहुत सारी महिलाओं से बात की, लेकिन मैं आपको सिर्फ दो उदाहरण दे रहा हूं। उस महिला ने बताया, “मेरा छोटा सा बेटा था, एक ही बच्चा था मेरा, मेरे सामने मेरी आंखों के सामने उसे गोली मारी गई है। मैं पूरी रात, आप अपने बेटों के बारे में सोचिये, मैं पूरी रात उसकी लाश के साथ लेटी रही। (सत्तापक्ष से झूठ।। झूठ पर राहुल: झूठ मैं नहीं आप लोग बोलते हो) फिर मुझे डर लगा, मैंने अपना घर छोड़ दिया, मैंने उनसे पूछा कुछ तो लाई होगी। बोली नहीं, सिर्फ मेरे पास जो कपड़े पहने हैं, वही हैं। फिर इधर उधर ढूंढकर एक फोटो दिखाया कि यही मेरे पास बची है।”

एक और उदहारण दूसरे कैंप में एक महिला मेरे सामने आती है, मैंने पूछा तुम्हारे साथ क्या हुआ? और जैसे ही मैंने यह सवाल पूछा, तुम्हारे साथ क्या हुआ? (हंगामा, गोगोई: आप लोग महिलाओं का दर्द नहीं सुन सकते? बैठो) जैसे ही मैंने उससे वह सवाल पूछा, तुम्हारे साथ क्या हुआ, वैसे ही एक सेकंड में वह कांपने लगी। उसने अपने दिमाग में वह दृश्य देखा, और वह बेहोश हो गई। मेरे सामने कांपती हुई वह बेहोश हो गई।  

तो यह मैंने आपके सामने सिर्फ ये दो उद्धरण दिए हैं। इन्होंने मणिपुर में हिंदुस्तान की हत्या की है। इन्होंने राजनीति में मणिपुर को नहीं हिंदुस्तान को मारा है, हिंदुस्तान का कत्ल किया है, हिंदुस्तान का मर्डर किया है। 

(शेम,शेम)” 

मंत्री किरण रिजिजू विरोध में खड़े होकर “सर, राहुल गांधी ने आज सदन में जो बातें कहीं हैं, मैं उनसे एक सवाल पूछना चाहता हूं। राहुल गांधी को माफ़ी मांगना चाहिए। 60 साल से उत्तर-पूर्व में कांग्रेस ने उग्रवाद पैदा किया है। सारी कांग्रेस माफ़ी मांगे) इसके बाद सदन में कई मिनट तक हंगामा मच गया। ओम बिरला के लिए सदन चलाना मुश्किल हो गया, उन्होंने विपक्ष की ओर इशारा करते हुए कहा, “प्लीज भानु जी, बैठिये, माननीय सदस्यगण जिस प्रकार का व्यवहार आप टेबल पर आकर कर रहे हैं, इस तरह से सदन नहीं चलेगा। आप सदन नहीं चलाना चाहते? ऐसे सदन नहीं चलेगा।) ट्रेजरी बेंच की ओर इशारा करते हुए, “माननीय मंत्री जी आप भी बैठिये।”

ओम बिरला: “मैं बहुत शांति से सुन रहा हूं ना इसका मतलब यह नहीं है कि आप टेबल पर आयें। जो माननीय सदस्य टेबल पर आते हैं, उनके खिलाफ कार्यवाही होगी।”

राहुल: “भारत माता, भारत। जैसा मैंने भाषण की शुरूआत में बोला, भारत एक आवाज है, भारत हमारी जनता की आवाज है, दिल की आवाज है, उस आवाज की हत्या आपने मणिपुर में की। इसका मतलब भारत माता की हत्या आपने मणिपुर में की।। शेम शेम का शोर… भारत माता को आपने मणिपुर के लोगों के, आपने मणिपुर के लोगों को मारकर भारत की हत्या की है। आप देशद्रोही हो, आप देशभक्त नहीं हो, आप देशप्रेमी नहीं हो। आपने देश की हत्या मणिपुर में की है।”

इसीलिए आपके प्रधानमंत्री मणिपुर में नहीं जा सकते हैं क्योंकि उन्होंने देश की हत्या की है मणिपुर में। हिंदुस्तान, भारत माता की हत्या की है, मणिपुर में लोगों के दिल में। तो सवाल उठता है,(हंगामा…स्पीकर: आप भी विराजो, आप भी विराजो। प्लीज बैठिये)

राहुल ने अब भारी शोरशराबे और स्पीकर की बात को अनदेखी करते हुए बोलना शुरू कर दिया था, “आप भारत माता के रखवाले नहीं हो, आप भारत माता के हत्यारे हो।”

हंगामा, स्पीकर सबको शांत करते हुए “देखिये, माननीय सदस्यगण। भारत मां हमारी मां है, हमें सदन में बोलते हुए संयम बरतना चाहिए।” जबकि ट्रेजरी बेंच तो जैसे यह सुनकर पागल ही हो गया था। 

राहुल: “मैं मणिपुर में अपनी मां की हत्या की बात कर रहा हूं। मैं आदर से बोल रहा हूं। आपने मेरी मां की हत्या की है मणिपुर में। एक मेरी मां यहां पर बैठी है, दूसरी मां को आपने मणिपुर में मारा है। और हर रोज जबतक आप हिंसा को बंद नहीं करोगे, तब तक आप मेरी मां की हत्या कर रहे हो।” 

“हिंदुस्तान की सेना मणिपुर में एक दिन में शांति ला सकती है, लेकिन हिंदुस्तान की सेना का आप प्रयोग नहीं कर रहे हो, क्योंकि आप हिंदुस्तान को मणिपुर में मारना चाहते हो।” शेम, शेम शेम की आवाज…

राहुल: “तो अगर नरेंद्र मोदी जी हिंदुस्तान की आवाज नहीं सुनते हैं, अगर हिंदुस्तान के दिल की आवाज नहीं सुनते हैं, तो किसकी सुनते हैं? सिर्फ दो लोगों की, दो लोगों की आवाज सुनते हैं, किसकी आवाज सुनते हैं। और इसलिए सुनते हैं “

अब बारी लोकसभाध्यक्ष की थी राहुल गांधी को बीच में टोकने की, “माननीय सदस्य जी यह गलत तरीका है।

राहुल जारी रहते हुए: “अडानी जी के लिए क्या कहा है।”

लोकसभाध्यक्ष तत्काल दुबारा हस्तक्षेप कर टोकते हैं कि यह गलत तरीका है आपका। आप सीनियर सदस्य हैं, इस तरह बहस में किसी का नाम लाना गलत है।

राहुल जारी रहते हुए, “रावण दो लोगों की सुनता था, मेघनाथ और कुम्भकर्ण। वैसे ही नरेंद्र मोदी दो लोगों की सुनते हैं, अमित शाह और अडानी। भाइयों और बहनों लंका को हनुमान ने नहीं जलाया था, लंका को रावण के अहंकार ने जलाया था। (स्पीकर: प्लीज माननीय सदस्य आप संयमित बोलिए) राम ने रावण को नहीं मारा था, रावण के अहंकार ने मारा था। आप पूरे देश में केरोसिन फेंक रहे हो, पूरे देश में आप केरोसिन फेंक रहे हो। आपने मणिपुर में केरोसिन फेंकी, अब यही काम हरियाणा में कर रहे हो। पूरे देश को आप जलाने में लगे हो। पूरे देश में आप भारत माता की हत्या कर रहे हो। 

धन्यवाद स्पीकर मोहदय

भाषण खत्म होते ही विपक्ष की ओर से राहुल, राहुल, राहुल, राहुल की आवाज गूंजती है, तो कुछ देर बाद ट्रेजरी बेंच से मोदी, मोदी, मोदी के जवाबी नारे लगने लगते हैं।

(रविंद्र पटवाल ‘जनचौक’ की संपादकीय टीम के सदस्य हैं।)

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