मोनू मानेसर ने उगला नासिर-जुनैद की हत्या का राज, कहा-घटना से पहले उनकी जानकारी सर्कुलेट की थी

Estimated read time 1 min read

नई दिल्ली। मोहित यादव उर्फ मोनू मानेसर ने पुलिस की पूछताछ में नासिर और जुनैद की हत्या से जुड़ा बड़ा सच उगल दिया है। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक मोनू ने पूछताछ में बताया कि फरवरी, 2023 में हरियाणा में नासिर और जुनैद की हत्याओं से लगभग एक सप्ताह पहले, उनकी गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन नंबर और उनके फोन नंबर स्वयंभू गौरक्षकों के बीच बांटे गए थे।

हरियाणा पुलिस ने मोनू मानेसर को सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक और भड़काऊ पोस्ट अपलोड करने के आरोप में मंगलवार 12 सितंबर को गिरफ्तार किया था और बाद में उसे राजस्थान पुलिस को सौंप दिया। जहां उससे नासिर और जुनैद की हत्या के सिलसिले में पूछताछ की जा रही है।

एक अधिकारी के अनुसार, स्वयंभू गौरक्षकों की कार्यप्रणाली में कार्रवाई करने से कई दिन पहले उन लोगों के डिटेल्स साझा करना शामिल है जिन पर उन्हें गौ तस्करी का शक है। इसी का पालन करते हुए, नासिर और जुनैद के गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन नंबर और फोन नंबर उनकी हत्या से एक सप्ताह पहले निगरानीकर्ताओं में बांटे गए थे, ताकि वे उन दोनों पर नजर रख सकें। 14 फरवरी को नासिर और जुनैद की जिंदा जलाकर हत्या कर दी गई थी।

तीन व्यक्तियों के खिलाफ मई में दायर आरोप पत्र के अनुसार, आरोपी दो समूहों में बंट गए और राजस्थान-हरियाणा सीमा पर पीरुका में दोनों को रोकने के लिए नाकाबंदी की। जिससे पता चलता है कि आरोपियों को पीड़ितों के मार्ग के बारे में पहले से पता था।

एक अधिकारी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि “उनकी योजना जुनैद और नासिर की हत्या करने की नहीं बल्कि उन्हें जिंदा पकड़ने की थी। वे बस यही चाहते थे कि पहले उन्हें गायों के साथ पकड़ लिया जाए। लेकिन जब उन्हें गायें नहीं मिलीं, तो उन्होंने तस्करी वाली गायों के बारे में पता लगाने के इरादे से उन्हें पीटा।”

अंधाधुंध पिटाई में नासिर और जुनैद को गंभीर चोटें आईं जिसके बाद निगरानीकर्ताओं ने कथित तौर पर दोनों को हरियाणा पुलिस को सौंपने की कोशिश की, जिसने उन्हें वापस लौटा दिया। अप्रैल में दो आरोपियों से पूछताछ में पता चला था कि जुनैद की पहले फिरोजपुर झिरका में मौत हुई थी और उसके बाद गुंडों ने भिवानी में नासिर के साथ मारपीट की और गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी। फिर सबूत मिटाने के लिए गाड़ी और शवों पर पेट्रोल डालकर आग लगा दी।

इस मामले में आरोपी मोनू अब तक राजस्थान पुलिस की गिरफ्तारी से बचा हुआ था। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि उसके पास समर्थकों का एक अच्छा नेटवर्क है और उसने उत्तराखंड, हरियाणा और मथुरा में समय बिताया और दो-तीन महीने पहले लगभग एक सप्ताह के लिए थाईलैंड भी गया था। आरोप है कि हत्या के बाद से मोनू मामले में आरोपी होने के बावजूद हरियाणा में खुलेआम घूम रहा था।

पुलिस अधिकारी के मुताबिक मई में, मोनू ने दावा किया था कि वह पुलिस से बच नहीं रहा था बल्कि उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान की तीर्थयात्रा पर था। 29 जुलाई को मोनू ने अपने व्हाट्सएप स्टेटस पर हरियाणा के नूंह में बृजमंडल जलाभिषेक यात्रा का जिक्र करते हुए एक वीडियो अपलोड किया था जिसमें कहा गया था कि वह यात्रा में शामिल होगा। उसने वीडियो में कहा, ”मैं व्यक्तिगत रूप से यात्रा में रहूंगा और मेरी पूरी टीम भी मौजूद रहेगी।”

हालांकि वीएचपी और बजरंग दल के नेताओं की ओर से उसे यात्रा छोड़ने के लिए कहे जाने के बाद वह नहीं आया, लेकिन कथित तौर पर उसके वीडियो ने लोगों को भड़काने का काम किया जिससे कारण हिंसा हुई।

एक अधिकारी के मुताबिक “अत्यंत संवेदनशील और ध्रुवीकृत” प्रकृति को देखते हुए, राजस्थान पुलिस “पूरी सावधानी बरत रही है, क्योंकि उनके पास न केवल समर्थक हैं बल्कि विरोधी भी हैं।”

(‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित खबर पर आधारित।)

You May Also Like

More From Author

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments