Friday, April 19, 2024

भारत-चीन सीमा विवाद पर जुबानी जंग जारी, स्वामी भी सरकार के विरोध में उतरे

भारत-चीन सीमा विवाद पर कांग्रेस और मोदी सरकार के बीच जवाबी कीर्तन लगातार जारी है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार सुबह को भारत-चीन सीमा विवाद पर प्रेस कॉन्फ़्रेंस करने के बाद शाम को इस मुद्दे पर फिर ट्वीट किया और उन्होंने भारत सरकार से तीन सवाल पूछे। इस विवाद में भारतीय जनता पार्टी के बागी तेवरों वाले सांसद सुब्रमण्यम स्वामी भी कूद पड़े हैं और मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। इस बीच रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि पैंगोंग त्सो झील क्षेत्र में भारत-चीन सेनाओं की डिसएंगेजमेंट प्रक्रिया पूरी होने के 48 घंटों के बाद डेपसांग, गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स के मुद्दे पर बात होगी। यानि डेपसांग, गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स के मुद्दे पर विपक्ष के आरोप सही हैं?

सुब्रमण्यम स्वामी ने चीन के साथ हुए समझौते को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। स्वामी ने कहा कि पीएम ने पहले कहा कोई आया-गया नहीं, यह बयान सही नहीं था। उन्होंने सवाल किया कि जब भारतीय सेना आगे तक पहुंच गई, लेकिन चीन के साथ हुए समझौते के तहत हमें वहां से हटना पड़ा। इससे चीन को खुशी हुई होगी।

स्वामी ने पीएम के 2020 के स्टेटमेंट का हवाला देकर अपने ट्वीट में कहा कि जब पीएम ने कहा था कि हमारी धरती पर चीन के कदम नहीं पड़े, यह सच नहीं था। बाद में नरवने ने सैनिकों को एलएसी पार करने और पीएलए बेस की पैंगोग पहाड़ी पर कब्जा करने का आदेश दिया। अब हमें वहां से हटना है। वहीं चीन डेपसांग पर अभी तक जमा बैठा है। चीन के सैनिकों के लिए यह तो बहुत खुशी की बात होगी।

इधर, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट करके कहा है कि भारत सरकार इस बारे में विस्तार से बताए। उन्होंने ट्वीट में तीन सवाल किये, पहला, हमारे सैन्य बल कैलाश श्रृंखला पर प्रभावी स्थिति में हैं, उन्हें वहां से क्यों हटाया जा रहा है? दूसरा, हम अपने क्षेत्र को क्यों सौंप रहे हैं और आगे के बेस फ़िंगर 4 से हटकर फ़िगर 3 पर क्यों आ रहे हैं?और तीसरा, चीन हमारे क्षेत्र डेपसांग पठार और गोगरा हॉट स्प्रिंग्स से अब तक क्यों नहीं हटा है?

राहुल गांधी ने शुक्रवार को इससे पहले प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि भारत ने चीन को अपनी ज़मीन सौंप दी है। इसके बाद रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी करके कहा था कि भारत ने चीन को कोई ज़मीन नहीं सौंपी है और एलएसी फ़िंगर-8 तक है। रक्षा मंत्रालय ने साथ ही कहा कि रक्षा मंत्री संसद के दोनों सदनों में इस बारे में बयान दे चुके हैं।

चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर डिसइंगेजमेंट पर इतने सवाल खड़े हुए कि अब रक्षा मंत्रालय को फिर से सफ़ाई देनी पड़ी है। रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि समझौते में भारत ने कोई भी क्षेत्र नहीं खोया है। एक दिन पहले ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में इस पूरे मामले पर सफ़ाई दी थी, लेकिन देर शाम को कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर आठ सवाल पूछे। इसके बाद शुक्रवार सुबह राहुल गांधी ने फिर से प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर सरकार से सवाल किए। रक्षा विशेषज्ञ भी इस मामले पर सरकार के फ़ैसले पर सवाल उठाते रहे हैं। इन सबका इतना दबाव पड़ा कि रक्षा मंत्रालय को 9 बिंदुओं में सफ़ाई जारी करनी पड़ी।

रक्षा मंत्रालय ने जो सफ़ाई जारी की है उसमें मोटे तौर पर वही बातें हैं जो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में कही थीं। रक्षा मंत्रालय ने जो बयान जारी किया है, उसमें उसने इतना ज़रूर कहा है कि जो लोग सवाल उठा रहे हैं वे दरअसल भ्रामक जानकारियाँ फैला रहे हैं।

सफ़ाई में कहा गया है कि पैंगोंग त्सो में वर्तमान में जारी डिसइंगेजमेंट के संबंध में कुछ ग़लत और भ्रामक टिप्पणियाँ मीडिया और सोशल मीडिया पर की जा रही हैं। यह दावा कि भारतीय क्षेत्र फिंगर 4 तक है, स्पष्ट रूप से ग़लत है। भारत के क्षेत्र को भारत के नक्शे द्वारा दर्शाया गया है और इसमें 1962 से चीन के अवैध कब्जे में वर्तमान में 43,000 वर्ग किमी से अधिक शामिल हैं। यहाँ तक कि भारतीय धारणा के अनुसार, वास्तविक नियंत्रण रेखा फिंगर 8 पर है, फिंगर 4 पर नहीं। यही कारण है कि भारत ने चीन के साथ वर्तमान हालात में भी फिंगर 8 तक गश्त का अधिकार बनाए रखा है।

सफ़ाई में कहा गया है कि पैंगोंग त्सो के उत्तरी तट पर दोनों पक्षों के स्थायी पोस्ट पहले से ही हैं। भारतीय पक्ष में, यह फिंगर 3 के पास धन सिंह थापा पोस्ट है और फिंगर 8 के पूर्व में चीनी है। वर्तमान समझौते में दोनों पक्षों द्वारा फॉरवर्ड की तैनाती को रोकने और इन स्थायी पोस्टों पर तैनाती जारी रखने का प्रावधान है। भारत ने इस समझौते के परिणामस्वरूप किसी भी क्षेत्र को नहीं खोया है। इसके विपरीत इसने यथास्थिति में किसी भी एकतरफ़ा बदलाव को रोका है।

रक्षा मंत्री के बयान ने यह भी साफ़ किया है कि हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और देपसांग सहित कई मुद्दों का समाधान किया जाना बाक़ी है। पैंगोंग त्सो के डिसइंगेजमेंट के पूरा होने के 48 घंटे के भीतर बकाया मुद्दों को उठाया जाना है। पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में हमारे राष्ट्रीय हित और क्षेत्र की प्रभावी सुरक्षा हो गई है क्योंकि सरकार ने सशस्त्र बलों की क्षमताओं पर पूरा विश्वास किया है। जो लोग हमारे सैन्य कर्मियों के बलिदान से संभव हुई उपलब्धियों पर संदेह करते हैं वे वास्तव में उनका अपमान कर रहे हैं।

राहुल ने कहा है कि मुझे भारत की सेना, एयर फ़ोर्स, नेवी और हिंदुस्तान की जनता पर भरोसा है। यह प्रधानमंत्री की ज़िम्मेदारी है कि वह हिंदुस्तान की सीमाओं की रक्षा करें लेकिन उन्होंने इसे नहीं निभाया। चीन की सेना देपसांग, गोगरा और हॉट स्प्रिंग से बाहर क्यों नहीं गई? हिंदुस्तान की पवित्र ज़मीन को मोदी ने चीन को दे दिया और उसके सामने अपना सिर झुका दिया। हमारी ज़मीन फ़िंगर 4 तक है और मोदी ने फ़िंगर 3 से फिंगर 4 तक की भारत की पवित्र ज़मीन चीन को पकड़ा दी है। देपसांग में चीन अंदर आया है, गोगरा और हॉट स्प्रिंग की ज़मीन को लेकर राजनाथ सिंह ने कुछ नहीं बोला। राहुल ने कहा कि चीन के साथ जो हमारी बातचीत की पोजिशन थी- स्टेट्स क्वो एंटी 2020, उसे सरकार भूल गयी।

 (वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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