क्या कांग्रेस के बैंक खातों को सीज कर चुनाव में विपक्ष को लूला-लंगड़ा बनाने की तैयारी है?

देश के चुनावी इतिहास में संभवतः यह पहली बार है जब सत्तारूढ़ दल की तुलना में विपक्ष के सामने एक के बाद एक मुश्किलें खड़ी की जा रही हैं। यह साफ़ होता जा रहा है कि भाजपा दरअसल 400 नहीं बल्कि 272 के आंकड़े को छूने के लिए छटपटा रही है। इसके लिए वह 2024 के आम चुनाव को पूरी तरह से एकतरफा बनाने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार है। एक वर्ष पूर्व यदि विपक्षी दलों ने इंडिया गठबंधन की रूपरेखा नहीं तैयार की होती तो शायद आज भाजपा को चुनौती देने के बारे में कोई सोचता तक नहीं।

अपनी जीत के लिए 10 साल के कामकाज, नीतियों और चुनावी वादों पर भाजपा का भरोसा नहीं रहा। इंडिया गठबंधन के तौर पर 28 राजनीतिक दलों के एक मंच पर आने से कम से कम 400 लोकसभा क्षेत्रों में संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार की घोषणा कैसा परिणाम ला सकती है, से सत्ता पक्ष बुरी तरह घबराया हुआ था।

इसकी काट के लिए ईडी, सीबीआई का सहारा लिया गया, जिसे पिछले दो महीनों से लगभग सभी विपक्षी दलों के खिलाफ ताबड़तोड़ मामले दर्ज करने के लिए जैसे सिग्नल दिया जा चुका है। इस बारे में तो अब तक काफी कुछ मीडिया में आ चुका है, लेकिन इनकम टैक्स विभाग भी हरकत में आ जाये तो क्या-क्या कर सकता है, के बारे में फिलहाल कांग्रेस अकेले जूझ रही थी। अब खबर आ रही है कि आयकर विभाग ने सीपीआई और तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ भी इनकम टैक्स रिटर्न में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए नोटिस भेजा है।

पिछले दो माह से देश का मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस, आयकर विभाग के द्वारा उनके बैंक खातों को सीज किये जाने के खिलाफ मीडिया में बयान देने के साथ-साथ क़ानूनी लड़ाई लड़ रही थी। इसमें कांग्रेस के खिलाफ 210 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाकर कांग्रेस पार्टी और उससे जुड़े विभिन्न सगठनों के खातों को सीज कर दिया गया था। कांग्रेस पहले से ही इन झटकों से उबर नहीं पाई थी, और चुनाव लड़ने के लिए उसके पास धन-बल की कमी साफ़ नजर आ रही थी, कि 29 मार्च को आयकर विभाग ने वर्ष 2019 के दौरान जब्त डायरी में लेनदेन का हवाला देते हुए कांग्रेस के खिलाफ एक और मामला बना दिया है। इस बार इनकम टैक्स ने कांग्रेस को 1,823 करोड़ रुपये का नोटिस भेजकर लगता है उसे चलने-फिरने लायक भी नहीं छोड़ने का फैसला लिया है।

भारत जैसे गरीब देश में अभी तक राजनीतिक पार्टियों के चुनावी अभियान की तैयारियों को लेकर शायद ही कोई चर्चा होती थी। चुनाव प्रचार के लिए भी असाधारण आर्थिक प्रबंधन की नौबत 2014 से शुरू हुई, जब कांग्रेस पार्टी के मुकाबले भाजपा का चुनावी प्रचार अभियान बेहद दमदार नजर आया। पहली बार देश ने देखा कि कैसे पार्टी की रैलियों, रोड शो और सोशल मीडिया सहित राष्ट्रीय मीडिया में आकर्षक प्रचार कर रातों-रात किसी व्यक्ति को लार्जर दैन लाइफ बनाया जा सकता है। 2014 से ही देश में चुनावी अभियान को मैनेज करने के लिए मैनेजमेंट टीम को हायर किये जाने की भी शुरुआत हुई थी, और देश ने पहली बार देखा कि किस प्रकार आई पीएसी (I-PAC) जैसे प्रोफेशनल संगठन ने भारतीय मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए अमेरिकी चुनावों की तर्ज पर नए-नए प्रयोग किये।

आज भाजपा ही नहीं बल्कि विपक्षी दल भी इन विकल्पों को तलाशने के लिए मजबूर हुए हैं, और इस सबके लिए चुनावी खर्च पहले की तुलना में कई गुना बढ़ चुका है। चुनावों को कैसे जीता जाता है, और इसमें संसाधनों की अहमियत क्या है, इस बारे में मोदी-अमित शाह से बेहतर शायद ही देश में कोई दूसरा व्यक्ति जानता है। यही कारण है कि पिछले 10 वर्षों के दौरान विपक्षी दलों में तोड़-फोड़ कराने के बावजूद जो दल आज भी चुनावी मैदान में ताल ठोंक रहे हैं, उनके खिलाफ ईडी और सीबीआई का डंडा चलाया जा रहा है। इससे आम लोगों के बीच यह धारणा बनती है कि ईडी के द्वारा एक के बाद एक छापेमारी और गिरफ्तारी हो रही है,j इसलिए अवश्य दाल में कुछ काला होगा।

लेकिन इतने हमलों के बावजूद यदि कोई पार्टी आत्मसमर्पण के लिए तैयार नहीं है तो फिर एकमात्र उपाय उसे प्रभावी चुनावी अभियान चलाने से रोकने में देखा जा सकता है। इसके लिए अब आयकर विभाग का सहारा लिया जा रहा है। बैंक खातों के सीज हो जाने के बाद किसी भी कंपनी या राजनीतिक पार्टी के लिए कोई भी लेनदेन संभव नहीं रह जाता। किसी भी संगठन को सुचारू रूप से संचालन के लिए धन की आवश्यकता होती है, जबकि यहां तो सवाल लोकसभा चुनावों का है। ऐसे में यदि कांग्रेस के बैंक खातों को आयकर विभाग के द्वारा अप्रैल-मई 2024 तक सीज कर दिया जाता है, तो वस्तुतः समझा जाना चाहिए कि भाजपा के जीत की गारंटी तो पहले ही तय हो चुकी है। यह प्रश्न चूंकि पहली बार भारतीय आम मतदाताओं के सामने आया है, वो भी ठीक चुनाव के बीच, इसलिए उसके लिए भी ठीक-ठीक आकलन कर पाना मुश्किल हो रहा है।

दो-दो हाथ करने की तैयारी में विपक्ष

कांग्रेस की ओर से अब इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाया गया है, ताकि कम से कम लोक सभा चुनाव के दौरान उसे अगले दो महीने की मोहलत मिल सके, और पार्टी अपना चुनाव अभियान चला सके। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई के लिए 1 अप्रैल की तारीख तय की है। कल इसी विषय पर कांग्रेस की ओर से प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया, जिसमें पहली बार देखने को मिला कि पत्रकार भी इस विषय पर गंभीरता से सोच रहे हैं। कांग्रेस की ओर से मोदी सरकार को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते हुए साफ़-साफ़ कहा गया कि इनकम टैक्स विभाग के द्वारा नोटिस भेजे जाने की कार्रवाई उसके इशारे पर की जा रही है।

कांग्रेस प्रवक्ता और पार्टी के आर्थिक प्रबंधन की कमान संभाल रहे अजय माकन ने पत्रकारों से अपनी बातचीत में एक नया तुलनात्मक विश्लेषण किया, जो बताता है कि कैसे समान मामले में कांग्रेस को नोटिस भेज कर चुनाव लड़ने से रोका जा रहा है, वहीं भाजपा की गलतियों को आयकर विभाग पूरी तरह से नजरअंदाज किये हुए है।

चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध सभी राजनीतिक पार्टियों के डेटा से अजय माकन ने भाजपा के द्वारा चुनाव आयोग के समक्ष दाखिल चंदे के विवरणों में साफ़ दिखने वाली खामियों का विश्लेषण कर दावा किया है। अजय माकन के अनुसार, “हमारे ऊपर इनकम टैक्स ने 210 करोड़ रुपये का जुर्माना इसलिए लगाया, क्योंकि हमारे 23 सांसदों और विधायकों के द्वारा मात्र 14.25 लाख रुपये नकद पार्टी फंड में जमा कराये गये थे। उस दौरान हम समय पर विवरण नहीं दे पाए थे, जिसे बाद में इन सभी लोगों की पूरी डिटेल्स, पैन कार्ड नंबर और पूरे पते को विभाग को सौंप दिया गया था। समय पर जानकारी उपलब्ध न कराने पर हमारे ऊपर इतना भारी जुर्माना लगाया गया और हमारे खाते सीज कर दिए गये हैं। जबकि भाजपा के द्वारा चुनाव आयोग में दाखिल कराए गये विवरणों का विश्लेषण करने पर अकेले 2018-19 में 1,297 लेनदेन के मामले देखने को मिलते हैं, जिसमें भाजपा को 42 करोड़ रुपये प्राप्त हुए। इनमें दानदाताओं का पता ठिकाना ही मौजूद नहीं है। 92 दानदाताओं का तो नाम तक सूची में दर्ज नहीं है।”

अजय माकन आगे कहते हैं, “अगर भाजपा के मामले में भी हमारे ऊपर लागू किये गये मानदंडों को अपनाया जाता है तो इनकम टैक्स को भाजपा से 4,600 करोड़ रुपये वसूलने चाहिए।”

यह एक बड़ा रहस्योद्घाटन है, लेकिन सच है। इनकम टैक्स के द्वारा जबरन नोटिस देकर देश की सब से पुरानी पार्टी को ऐन चुनाव के वक्त हाथ-पांव बांधकर 80 दिन तक चुनावी रणक्षेत्र में दौड़ने के लिए आजाद छोड़ा जा रहा है। कांग्रेस पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रही है। इसीलिए उसके द्वारा आजादी के बाद संभवतः पहली बार आम मतदाताओं से आर्थिक सहयोग की अपील की गई थी। इसके जरिये पार्टी को 25 करोड़ रुपये भी हासिल हुए, लेकिन बैंक खाते सीज होने के चलते कांग्रेस उससे भी महरूम कर दी गई है।

कांग्रेस की चुनावी तैयारी और विपक्षी गोलबंदी

बिना पैसे के 2024 के चुनावी महासमर को पार कर पाना कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। कांग्रेस पार्टी इससे कैसे निपटेगी यह तो आने वाला समय ही बतायेगा, लेकिन उसके तेवरों में अब तल्खी आने लगी है। कल राहुल गांधी ने हाल ही में खुद के द्वारा दिए गये एक वक्तव्य का हवाला देते हुए एक संक्षिप्त वीडियो जारी किया है, जिसमें सत्तारूढ़ दल के लिए कार्यकर्ता की तरह विपक्षी दलों के खिलाफ कार्रवाई करने वाले अधिकारियों को साफ़ चेतावनी जारी की गई है कि आज नहीं तो कल भाजपा के हाथ में देश की कमान नहीं रहने वाली है। विपक्ष सत्ता में आया तो उनकी भूमिका का मूल्यांकन किया जायेगा, और ऐसी सजा मिलेगी कि फिर दोबारा से कोई पब्लिक सर्वेंट अपनी निष्पक्षता से समझौता करने की कल्पना नहीं करेगा।

इसके अलावा, उदाहरण के लिए कांग्रेस की ओडिशा इकाई ने पार्टी के उम्मीदवार बनने की चाह रखने वाले हजारों उम्मीदवारों से 50,000 रुपये जमा करने की शर्त रखी है। उसका कहना है कि स्क्रीनिंग के बाद जिन लोगों को पार्टी का टिकट नहीं मिलेगा, उन्हें पैसे वापस लौटा दिए जायेंगे। इसका अर्थ हुआ कि चुनाव तक इन पैसों का उपयोग पार्टी के द्वारा चुनाव अभियान में किया जा सकता है। कुछ इसी प्रकार की अपील पिछले दिनों राजस्थान में राज्य पार्टी प्रमुख गोविंद डोटासरा ने राज्य के समाचार पत्रों के सामने की थी। उन्होंने साफ़-साफ़ कहा था कि हमारे पास आज आपको विज्ञापन के बदले देने के लिए धन उपलब्ध नहीं है, लेकिन चुनाव के बाद आपकी पाई-पाई मैं कांग्रेस पार्टी का वरिष्ठ पदाधिकारी होने के आधार पर चुकाने का वचन देता हूं। डोटासरा की इस भावनात्मक अपील का कई  हलकों में असर भी देखने को मिल रहा है।

महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने भी प्रदेश की जनता से आर्थिक सहयोग की अपील करते हुए कहा है, “भाजपा ने कांग्रेस के बैंक खाते जब्त करा दिए हैं। लेकिन लोकतंत्र की रक्षा के लिए आम लोग हमारे पक्ष में खड़े हैं। हम महाराष्ट्र में अपने लोकसभा उम्मीदवारों के बैंक खाते और आईऍफ़एससी कोड की घोषणा करेंगे। मैं आप सभी से अपील करता हूं कि हमें ‘वोट भी दें, और नोट भी दें।’

इनकम टैक्स ने अब अपने रडार में कांग्रेस के अलावा सीपीआई और तृणमूल कांग्रेस को भी ले लिया है। दोनों पार्टियों के खिलाफ नोटिस भी जारी किये जा चुके हैं। तृणमूल कांग्रेस नेता साकेत गोखले ने इस बारे में घोर आश्चर्य व्यक्त करते हुए जानकारी सार्वजनिक की है। उनके मुताबिक, “पिछले 72 घंटे के भीतर हमें इनकम टैक्स से कुल 11 नोटिस भेजी गई हैं। इनमें से कुछ मामले तो 7 वर्ष पुराने हैं। मोदी सरकार तो निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव को लेकर कोई दिखावा तक नहीं कर रही है। 2024 लोकसभा चुनाव के मौके पर विपक्ष को दबाव में लेने के सभी हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। जब ईडी काम न आये तो इनकम टैक्स को काम पर लगा दो।

भाजपा इतनी बेचैन क्यों है? क्या मोदी घबरा गये हैं?

जाहिर है, कल रविवार के दिन दिल्ली के रामलीला मैदान में इंडिया गठबंधन की दूसरी बड़ी रैली में भाजपा की कारगुजारियों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई का उद्घोष सभी दलों की ओर से देखने को मिल सकता है। इसके अगले दिन, अर्थात 1 अप्रैल को कांग्रेस की अपील पर सर्वोच्च न्यायालय मामले पर विचार करेगा, वहीं अरविंद केजरीवाल को हिरासत में रखने की ईडी की मुहिम पर भी अदालत विचार करने जा रही है। ऊपर से पश्चिमी देशों के लोकतंत्र भी भारतीय लोकतंत्र की दशा-दिशा पर बारीक निगाह बनाए हुए हैं। मोदी जी दुनियाभर में भारत को मदर ऑफ़ डेमोक्रेसी कहते नहीं अघाते। पश्चिमी देश शायद उसका मतलब समझने की कोशिशों में दूरबीन लगाकर ध्यान लगाए हुए हैं। 

(रविंद्र पटवाल जनचौक संपादकीय टीम के सदस्य हैं)

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
1 Comment
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
दयानंद
दयानंद
Guest
1 month ago

, लूला लंगड़ा शब्दों का उच्चारण किया गया है जो की बहुत ही निंदनीय है दिव्यांगों पर कुठाराघात किया गया है जो कि सहन करने योग्य नहीं है दिव्यांग समाज आपको माफ नहीं करेगा ऐसे शब्दों का प्रयोग करें जिससे कि समाज में दिव्यांग या कोई अन्य व्यक्ति के हृदय पर कुठाराघात ना हो उनका अपमान ना हो भविष्य में याद रखें अन्यथा दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी वैधानिक कार्रवाई की जाएगी दयानंद सागर 981857 4050