अडानी ग्रुप के शेयरों में कोहराम मचा है। ग्रुप के कई शेयर 52 हफ्ते के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गए हैं। ग्रुप का मार्केट कैप 150 अरब डॉलर से अधिक गिर चुका है।मुसीबत में फंसे अडानी ग्रुप को एक और झटका लगा है। अमेरिका की मल्टीनेशनल फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनी जेपी मॉर्गन चेस एंड कम्पनी की एसेट मैनेजमेंट यूनिट ने अडानी ग्रुप की कंपनियों से अपना पूरा फंड निकाल लिया है।
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। अडानी समूह के शेयरों में लगातार हो रही गिरावट के बीच एलआईसी का शेयर सोमवार को रिकॉर्ड निचले स्तर को छू गया। एलआईसी का शेयर 2.9 फीसदी टूटकर 567.8 रुपये पर बंद हुआ।
जेपी मॉर्गन चेस एंड कम्पनी की एसेट मैनेजमेंट यूनिट ने ईएसजी फंड के रूप में अडानी ग्रुप की कंपनियों में निवेश किया था। लेकिन अब उसने अडानी ग्रुप में अपने सारे शेयर बेच दिए हैं। ईएसजी फंड्स म्यूचुअल फंड होते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक जेपी मार्गन की अडानी ग्रुप की सीमेंट कंपनी एसीसी लिमिटेड में ईएसजी फंड्स के रूप में 0.04% हिस्सेदारी थी। लेकिन अब उसकी अडानी ग्रुप की किसी भी कंपनी में ईएसजी फंड्स के रूप में कोई हिस्सेदारी नहीं है। हालांकि अडानी ग्रुप के नॉन-ईएसजी फंड्स में जेपी मार्गन का निवेश बना हुआ है।
रिपोर्ट के मुताबिक जेपी मॉर्गन ग्लोबल इमर्जिंग मार्केट्स रिसर्च एन्हांस्ड इंडेक्स इक्विटी ईएसजी यूसीआईटीएस ईटीएफ ने अडानी ग्रुप की सीमेंट कंपनी एसीसी लिमिटेड में 70,000 से अधिक शेयर बेच दिए हैं। उसके पास मई 2021 से ये शेयर थे।
इसी तरह जेपी मॉर्गन एसी एशिया पैसिफिक एक्स जापान रिसर्च एनहांस्ड इंडेक्स इक्विटी ईएसजी यूसीआईटीएस ईटीएफ ने 1,350 शेयर बेच दिए हैं। हालांकि अब भी कई बड़ी निवेश कंपनियों का अडानी ग्रुप के ईएसजी फंड्स में निवेश है। इनमें ब्लैकरॉक इंक और देउत्शे बैंक एजी तथा डीडब्ल्यूएस ग्रुप की फंड मैनेजमेंट यूनिट शामिल हैं।
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का असर
दरअसल अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने 24 जनवरी को अडानी ग्रुप के खिलाफ एक रिपोर्ट जारी की थी। इसमें दावा किया गया था कि अडानी ग्रुप ने शेयरों में हेराफेरी की है। हालांकि ग्रुप ने इन आरोपों का खंडन किया है लेकिन इससे ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई है। कई शेयर तो 52 हफ्ते के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गए हैं। ग्रुप के मार्केट कैप में 150 अरब डॉलर की तगड़ी गिरावट आई है। इससे ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी की नेटवर्थ में भी भारी गिरावट आई है।
हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में गौतम अडानी पर अकाउंटिंग फ्रॉड, शेयरों की कीमतों में हेरफेर, ओरवप्राइसिंग के आरोप लगाए। रिसर्च फर्म ने कहा कि अडानी के शेयर 80 से 85 फीसदी तक ओवरप्राइस्ड हैं। जैसा हिंडनबर्ग ने लिखा, वैसा ही देखने को मिला है। अडानी के शेयर इस रिपोर्ट के आने के बाद से 85 फीसदी तक गिर चुके हैं। हालांकि रिपोर्ट के आने के बाद से सिर्फ अडानी ही नहीं इनके निवेशकों को भी भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है।
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के कारण अडानी समूह के शेयरों के भाव 85 फीसदी तक गिर गए है। गौतम अडानी का नेटवर्थ लगातार गिर रहा है। जो गौतम अडानी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने से एक दिन पहले यानी 23 जनवरी को 127 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ दुनिया के तीसरे अमीर उद्योगपति थे। इस रिपोर्ट के आने के एक महीने बाद 35 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ अमीरों की लिस्ट में 39 स्थान पर पहुंच गये हैं। उनकी दो तिहाई से अधिक की संपत्ति स्वाहा हो चुकी है।
एलआईसी को बड़ा झटका
अडानी के बड़े निवेशकों में शामिल एलआईसी यानी लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया को डबल झटका लगा है। अडानी समूह की 5 कंपनियों में एलआईसी का बड़ा निवेश है। अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी टोटल गैस, अडानी ग्रीन एनर्जी, अडानी ट्रांसमिशन और अडानी पोर्ट्स में LIC ने निवेश किया है। 23 जनवरी को इस निवेश का टोटल वैल्यू 72,193.87 करोड़ रुपये था, जो घटकर 26,861.88 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।
अडानी के शेयरों में गिरावट के बाद एलआईसी के निवेश की वैल्यू 62 फीसदी तक गिर चुकी है। वहीं एलआईसी के शेयरों में 17 फीसदी तक की गिरावट आ चुकी है। 24 जनवरी को एलआईसी के शेयरों की वैल्यू 714.50 रुपये थी, जो 24 फरवरी को 590.90 रुपये तक गिर चुकी थी। एक महीने में एलआईसी के शेयरों में 123 रुपये या 17 फीसदी तक की गिरावट आ चुकी है।
एलआईसी में रिकॉर्ड गिरावट
एलआईसी का शेयर सोमवार को रिकॉर्ड निचले स्तर को छू गया। एलआईसी का शेयर 2.9 फीसदी टूटकर 567.8 रुपये पर बंद हुआ। कंपनी का बाजार मूल्यांकन आईपीओ के स्तर से 40 फीसदी यानी 2.4 लाख करोड़ रुपये घटा है। पिछले महीने एलआईसी के शेयर में 15 फीसदी की गिरावट आई, जो मेगा-कैप में सर्वाधिक है। एलआईसी का एमकैप अब 12वें पायदान पर आ गया है, जो सूचीबद्धता के समय छठे पायदान पर था।
एलआईसी के इक्विटी पोर्टफोलियो में हालांकि अडानी समूह के शेयरों की हिस्सेदारी एक फीसदी से भी कम है, लेकिन बाजार ने इसके शेयर को काफी चोट पहुंचाई है।31 जनवरी को अडानी की कंपनियों में इक्विटी व डेट के तौर पर एलआईसी की होल्डिंग 36,000 करोड़ रुपये से कम थी।
बीमा कंपनी ने कहा कि इक्विटी खरीद की वैल्यू 30,127 करोड़ रुपये थी। अडानी के शेयरों में लगातार हुई गिरावट के बाद एलआईसी की होल्डिंग की वैल्यू अधिग्रहण लागत से नीचे चली गई, जिससे चिंता पैदा हुई।
विश्लेषकों ने कहा है कि अडानी समूह के शेयरों में एलआईसी के निवेश के चलते पैदा हुई नकारात्मक अवधारणा से निवेशक एलआईसी के कारोबार पर पड़ने वाले असर को लेकर चिंतित हैं। इसके अलावा उनका कहना है कि सरकारी विनिवेश के मामले में एलआईसी का लगातार दुरुपयोग हो रहा है।
अभी सरकार की एलआईसी में हिस्सेदारी 96.5 फीसदी है और खुदरा भागीदारी करीब 2 फीसदी। इस बीच, विदेशी फंडों के पास इसकी महज 0.17 फीसदी हिस्सेदारी है। ऐसे में एलआईसी के वैल्यू में आ रही कमी सरकार व नागरिकों को किसी और के मुकाबले ज्यादा चोट पहुंचा रही है।
बैंकों पर असर
गौतम अडानी की कंपनियों को हो रहे नुकसान का असर एसबीआई पर भी देखने को मिल रहा है। अडानी ने सबसे ज्यादा लोन एसबीआई से लिया है। अडानी पर इस कर्ज के बोझ को देखते हुए एसबीआई के निवेशकों में डर का माहौल है।
निवेशकों को डर सता रहा है कि अगर अडानी कर्ज नहीं चुका पाए तो बैंक को भारी नुकसान होगा, जिसके कारण एसबीआई के शेयरों में भारी बिकवाली देखने को मिली। एसबीआई के शेयर 14 फीसदी तक टूट गए। 23 जनवरी को एसबीआई के शेयर 604.60 रुपये था, 23 फरवरी को गिरकर 521 रुपये पर बंद हुआ है।
एसबीआई के अलावा बैंक ऑफ़ इंडिया के शेयरों में भी गिरावट आई। इसके शेयर 18 फ़ीसदी टूट गए। वहीं इंडियन ओवरसीज बैंक के शेयर 17 फ़ीसदी गिर चुके हैं। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के शेयर एक महीने में 16.47 फीसदी तक गिर गए।
वहीं पंजाब एंड सिंध बैंक के शेयर एक महीने में 15.6 फीसदी तक टूटा है। इसके अलावा बैंक ऑफ बड़ौदा को एक महीने में 2 फीसदी की झटका लगा है। यानी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने से केवल अडानी को नुकसान हीं हुआ, बल्कि इससे जुड़े लोगों को भी झटका लगा।
(जे.पी.सिंह से वरिष्ठ पत्रकार हैं)