नई दिल्ली। लोकसभा की कार्रवाई को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है। सदन की कार्यवाही तय समय से दो दिन पहले ही स्थगित हो गई है। ओबीसी संशोधन बिल पास होने के बाद राज्यसभा की कार्यवाही भी अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी जाएगी।
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने बताया कि लोकसभा सत्र के दौरान संविधान का 127वां संशोधन विधेयक समेत कुल 20 विधेयक पारित हुये। 66 तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिए गये। सदस्यों ने नियम 377 के अधीन 331 मामले उठाये।
सत्र खत्म होने के बाद स्पीकर की कस्टमरी मीटिंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी, कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत कई पक्ष और विपक्ष के नेता मौजूद थे।
इससे पहले लोकसभा में OBC संशोधन विधेयक पर चर्चा हुई। बिल पर चर्चा के लिए 4 घंटे का समय आवंटित किया गया था। गौरतलब है कि विपक्षी पार्टियों ने सोमवार को ही इस बिल के पूरी तरह समर्थन का ऐलान कर दिया था।
लोकसभा में OBC संशोधन विधेयक पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन ने पूछा कि – “सवाल ये है कि आखिर आज ओबीसी विधेयक में संशोधन करने की नौबत क्यों आई? साल 2018 में 102वां संविधान संशोधन लाया गया। आपने ओबीसी कमीशन बनाया लेकिन आपने राज्यों के अधिकारों का हनन किया। यूपी, उत्तराखंड में चुनाव है। इसलिए आप लोगों को खुश करने के लिए ये संशोधन लाये। आप मजबूरी में ये संशोधन लाये। जनहित के लिए हम इस बिल का समर्थन करते हैं। हमारी मांग है कि 50 फीसदी की बाध्यता पर कुछ किया जाये। जैसे- तमिलनाडु में 69 फीसदी आरक्षण है। इसी तरह दूसरे राज्यों को भी ये ताक़त दी जाए कि वो आरक्षण की व्यवस्था को 50 फीसदी से ज्यादा बढ़ा सकें”।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी ओबीसी संशोधन बिल पर लोकसभा में अपनी बात रखी। अखिलेश यादव ने कहा, ‘पिछड़े वर्गों को तब फायदा होगा जब आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ज्यादा बढ़ायी जाए। और हमारी सबसे बड़ी मांग है कि जाति के आधार पर भी जनगणना की जाए। जाति जनगणना हमारी बहुत पुरानी मांग रही है। हर जाति को लेकर कंफ्यूजन पैदा किया हुआ है। “
बिहार से जेडीयू सांसद राजीव रंजन सिंह ने लोकसभा में कहा-” सरकार की नीयत एकदम साफ है। हमारी सरकार से एक मांग है कि ओबीसी को आप पूरी तरह से न्याय नहीं दिला पाएंगे, जब तक जातिगत जनगणना नहीं होगी। इसलिए हमारी मांग है कि 2022 में जातिगत जनगणना होनी चाहिए। हमारी पार्टी ओबीसी संशोधन बिल का समर्थन करती है।”
लोकसभा में OBC संशोधन विधेयक पर बीजेपी नेता डॉ संघमित्रा मौर्या ने कहा, – “कांग्रेस ने आरक्षण को खत्म करने की शुरुआत साल 2010 में कर दी थी। कांग्रेस चाहती तो 2014 से पहले तक इस विधेयक में संशोधन कर सकती थी। लेकिन ऐसा नहीं किया। अगर अल्पसंख्यकों के लिए कांग्रेस ने कुछ किया होता तो जनता ने उन्हें सत्ता से बाहर नहीं किया होता। पीएम मोदी जी की सरकार में ओबीसी संशोधन विधेयक लाया गया। अब निश्चित तौर पर गरीबों और ज़रूरतमंदों को उनका हक़ मिलेगा। “
केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉक्टर वीरेंद्र कुमार ने कहा कि ओबीसी से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक देश के संघीय ढांचे और ओबीसी सूची से जुड़े राज्यों के अधिकार को सशक्त बनाएगा। लोकसभा में उन्होंने ये भी कहा कि मोदी सरकार ने ओबीसी वर्गों के कल्याण के लिए कई ऐतिहासिक कदम उठाए हैं और यह भी उसी क्रम में एक कदम है। आज बहुत ऐतिहासिक दिन है। हम ऐसे महत्वपूर्ण संशोधन विधेयक पर चर्चा कर रहे हैं जो ओबीसी की सूची के निर्धारण के राज्यों के अधिकार को बहाल करने का है।
राज्यसभा में कल की घटना के लिये वैंकैया नायडू ने निंदा की
वहीं सभापति वेंकैया नाडयू ने सदन की कल की घटना को लेकर दुख जताया। वेंकैया नायडू ने कल संसद में हुए हंगामे को लेकर निंदा की। उन्होंने कहा कि विपक्ष का कोई भी सदस्य सरकार को मजबूर नहीं कर सकता कि उन्हें क्या करना है और क्या नहीं। उन्होंने कहा कि विपक्ष सदन की मर्यादा भूल गया है, ऐसी घटना दोबारा नहीं होनी चाहिए।
अगले 15 अगस्त पर सदन की कार्यवाही नई संसद में होगा
देश के स्वतंत्रता की 75वीं सालगिरह यानी अगले साल 15 अगस्त के मौके पर सदन की कार्यवाही नई संसद में हो सकती है। ये कहना है लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का। दरअसल मानसून सत्र के दौरान लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने के बाद एक प्रेस वार्ता में बिरला ने अलग-अलग मुद्दों पर सवालों के जवाब दिए। इसी दौरान नई संसद से जुड़े एक सवाल के जवाब में लोकसभा स्पीकर ने कहा- “निश्चित रूप से हमारा लक्ष्य और जल्दी का है। हम कोशिश करेंगे कि 15 अगस्त (2022) के पहले नए भवन का निर्माण हो जाए। जब आजादी के 75 वर्ष हों तो हम यह पर्व नए भवन में मनाएं।
इससे पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सदन केवल 74 घंटे 46 मिनट तक चला। ओबीसी विधेयक सहित कुल 20 विधेयकों को पारित किया गया, जिसे सभी दलों की सर्वसम्मति से पारित किया गया था। मैं पीएम और सदन में योगदान देने वाले सभी दलों के नेताओं को धन्यवाद देता हूं।
उन्होंने आगे कहा कि “मैं हमेशा सांसदों से सदन की गरिमा बनाए रखने की अपेक्षा करता हूं। सदन में वाद-विवाद, समझौते और असहमति होती रही, लेकिन इसकी गरिमा कभी कम नहीं हुई। मैं सभी सांसदों से आग्रह करता हूं कि सदन को संसदीय परंपराओं के अनुसार चलाया जाए और इसकी गरिमा को बनाए रखा जाए। नारेबाजी और बैनर उठाना हमारी संसदीय परंपरा का हिस्सा नहीं है। उन्हें अपनी सीटों से बात रखनी चाहिए”।
बिरला ने कहा कि इस बार लगातार रुकावट आ रही थी। इसका समाधान नहीं हो सका। जहां तक सदन में काम की बात है, पिछले दो वर्षों से अधिक काम हुआ। कार्यवाही देर रात तक जारी रहती थी और सांसदों ने कोविड के दौरान भी सक्रिय योगदान दिया था। उन्होंने कहा कि मैं इस बात से आहत हूं कि इस सत्र में सदन की कार्यवाही अपेक्षा के अनुरूप नहीं हुई मैं हमेशा कोशिश करता हूं कि सदन में ज्यादा से ज्यादा कामकाज हो और जनता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हो।