Thursday, March 23, 2023

महाराष्ट्रः लोकतंत्र के लिए नया सवेरा साबित हुआ संविधान दिवस

Janchowk
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महाराष्ट्र में चार दिन तक चले सियासी  ड्रामे का पटाक्षेप हो गया है। इसका क्लाइमेक्स सोमवार को मुंबई के ग्रैंड हयात होटल में 162 विधायकों की परेड से ही शुरू हो गया था। महाराष्ट्र की सियासत के चाणक्य कहे जाने वाले शरद पवार के इस कदम ने देश भर के सामने स्थिति साफ कर दी थी कि बीजेपी के पास बहुमत नहीं है।

इसके साथ ही शरद पवार यह साबित करने में भी सफल रहे थे कि उन्होंने अपने सारे विधायक वापस पा लिए हैं। इस परेड के बाद अजित पवार भी अलग-थलग पड़ गए थे। इसे शरद पवार का मास्टर स्ट्रोक माना गया और यह बाद में साबित भी हुआ।  

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 27 नवंबर को शाम पांच बजे बीजेपी के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के जरिए बहुमत साबित करने को कह दिया। बीजेपी के पास अभी भी अजित पवार के तौर पर एक उम्मीद बची हुई थी, लेकिन उससे पहले ही डिप्टी सीएम अजित पवार ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को अपना इस्तीफा सौंप दिया। अजित के हटते ही बीजेपी के दोबारा सरकार बनाने का ख्वाब भी ताश के पत्तों के महल की तरह भरभराकर गिर गया। दरअसल अजित पवार के तौर पर बीजेपी के पास तुरुप का पत्ता था।

भाजपा को उम्मीद थी कि अजित पवार के जरिए वह विप जारी कराकर और अपने प्रोटेम स्पीकर के सहयोग से उस विप को स्वीकार कराकर सरकार बचा लेंगे, लेकिन अजित के इस्तीफा देने के बाद बचीखुची उम्मीदें भी धराशाई हो गईं और शाम को साढ़े तीन बजे सीएम देवेंद्र फडणवीस ने एक प्रेस कान्फ्रेंस में इस्तीफे का एलान कर दिया। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की दिल्ली में एक बैठक भी हुई। समझा जा रहा है कि इसमें ही देवेंद्र के इस्तीफा देने का फैसला लिया गया। फडणवीस के इस्तीफा देने के साथ ही ‘मिड नाइट सरकार’ का अंत हो गया।

26 नवंबर को संविधान दिवस के दिन हुए इस बदलाव के सियासी तौर पर बड़े मायने निकाले जा रहे हैं। अभी तक भाजपा अध्यक्ष और गृह मंत्री अमित शाह सरकार बनाने के मामले में अजेय माने जा रहे थे। उन्होंने गोवा, कर्नाटक और फिर हाल में ही हरियाणा में बहुमत न होने पर भी सरकार बनवा दी थी। यह पहला मौका है जबकि उनकी रणनीति असफल रही है।

महाराष्ट्र के जरिये पहली बार विपक्ष एक ताकत के तौर पर दिखा है। यह भी कहा जा रहा है कि पिछले कुछ साल से अमित शाह रणनीतिक तौर पर पहले जितने सफल नहीं दिख रहे हैं। जिस तरह से मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा में खराब प्रदर्शन के बाद अब महाराष्ट्र में सरकार न बना पाने से भाजपा के अजेय होने का भ्रम भी टूटा है। बहरहाल अभी झारखंड, उसके बाद पश्चिम बंगाल और फिर दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने हैं। निश्चित ही विपक्ष को मिला यह आत्मविश्वास वहां असर जरूर दिखाएगा।

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