Sunday, April 28, 2024

जितनी आबादी, उतनी हिस्सेदारी- ये हमारे OBC भाई-बहनों का हक है: राहुल गांधी

नई दिल्ली। संसद में पारित महिला आरक्षण बिल ने जाति जनगणना और पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के मसले को एक बार फिर से देश की राजनीति के केंद्र में ला दिया है। संसद में इस विधेयक को पारित कराने में सहयोग करने वाली कांग्रेस अब इन्हीं मुद्दों पर मोदी सरकार को घेरने में जुट गई है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सरकारी तंत्र में ओबीसी अफसरों की भागीदारी, जाति जनगणना और महिला आरक्षण में ओबीसी कोटे के मुद्दा को फिर से उठा कर राजनीतिक माहौल गरमा दिया है।

प्रेस कॉन्फेंस में राहुल गांधी ने कहा कि “जितनी आबादी, उतनी हिस्सेदारी- ये हमारे OBC भाई-बहनों का हक़ है। जाति जनगणना के आंकड़े अभी जारी करो, नई जनगणना जाति के आधार पर करो। महिला आरक्षण को 10 साल बाद नहीं, अभी से लागू करो।” यहीं नहीं राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में 2010 में यूपीए शासनकाल में पेश महिला आरक्षण विधेयक में ओबीसी कोटा शामिल नहीं किए जाने पर अफसोस भी जाहिर किया।

राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फेंस में कहा कि कुछ दिन पहले पार्लियामेंट का स्पेशल सेशन एनाउंस हुआ और काफी फैन फेयर से पुरानी पार्लियामेंट बिल्डिंग से नई पार्लियामेंट बिल्डिंग में ट्रांजिशन हुआ। वो अच्छी बात है और मेन फोकस स्पेशल सेशन का, पहले तो मालूम नहीं था ये स्पेशल सेशन क्यों हो रहा है, स्पेकुलेशन काफी हुआ और फिर पता लगा कि इसका मेन फोकस महिला आरक्षण है। महिला आरक्षण तो बड़ी अच्छी चीज है, उसके बाद ये दो क्लॉज़ इसमें, दो फुट नोट हमें मिले। एक कि महिला आरक्षण देने से पहले हमें सेंसस (जनगणना) करना पड़ेगा और दूसरा, डिलिमिटेशन (परिसीमन) करना पड़ेगा और इन दोनों चीजों को करने के लिए बहुत साल लगेंगे।

सच्चाई ये है कि महिला आरक्षण को आज किया जा सकता है। 33 प्रतिशत आज जो सीट हैं लोकसभा में, विधानसभा में वो महिलाओं को दी जा सकती हैं। कोई कॉम्पलिकेटेड मामला नहीं है। मगर सरकार वो नहीं करना चाहती है। सरकार ने ये देश के सामने रख दिया है, मगर सच्चाई ये है कि ये इम्प्लीमेंट आज से 10 साल बाद होगा। ये भी नहीं मालूम कि ये होगा कि नहीं होगा। तो एक प्रकार से ये डिस्ट्रैक्शन टैक्टिक है, डायवर्जन टैक्टिक है।

डायवर्जन किस चीज से हो रहा है- डायवर्जन ओबीसी सेंसस से हो रहा है। मैंने पार्लियामेंट में सिर्फ एक इंस्टीट्यूशन के बारे में बात की, वो जो हिंदुस्तान की सरकार का सेंटर है, कोर है, जो हिंदुस्तान की सरकार को चलाता है, कैबिनेट सेक्रेटरी एंड सेक्रेटरी और उसमें मैंने एक छोटा सा सवाल पूछा। प्रधानमंत्री कहते हैं कि वो ओबीसी के लिए बहुत काम कर रहे हैं। अगर प्रधानमंत्री इतना काम कर रहे हैं, तो 90 सेक्रेटरीज़ में से सिर्फ 3 लोग ओबीसी कम्यूनिटी से क्यों हैं, पहला सवाल है?

दूसरा सवाल, मैंने यही एनालिसिस बजट को देखकर किया कि भैया, पूरा हिंदुस्तान का बजट क्या है और ये जो ओबीसी ऑफिसर हैं, ये इस बजट में से कितना कंट्रोल कर रहे हैं और क्या कंट्रोल कर रहे हैं? आदिवासी क्या कंट्रोल कर रहे हैं, दलित क्या कंट्रोल कर रहे हैं? ओबीसी हिंदुस्तान के 5 प्रतिशत बजट को कंट्रोल कर रहे हैं, ओबीसी ऑफिसर। तो मुझे बात समझ नहीं आ रही है, प्रधानमंत्री हर रोज ओबीसी की बात करते हैं, ओबीसी प्राइड की बात करते हैं, मगर ओबीसी के लिए किया क्या?

राहुल गांधी ने कहा कि अब जब मैंने ये बात बोली, उनका रिस्पांस बड़ा इंटरेस्टिंग हैं। वो कहते हैं कि लोकसभा में हमारा रिप्रेजेंटेशन है। लोकसभा में रिप्रेजेंटेशन का क्या लेना-देना है? मैं कह रहा हूं कि बजट डिसीजन जो लेते हैं, ऑफिसर जो बजट को कंट्रोल करते हैं, 5 प्रतिशत बजट पर ओबीसी निर्णय ले रहे हैं और मैंने सिर्फ ये सवाल पूछा कि क्या हिंदुस्तान में ओबीसी की आबादी 5 प्रतिशत है, ये मैं जानना चाहता हूं? अगर 5 प्रतिशत है, तो फिर वो ठीक है, उसको मैं एक्सेप्ट करने के लिए तैयार हूं। अगर 5 प्रतिशत से ज्यादा है तो मुझे ये पता लगाना है और एक बार मैं मन बना लेता हूं, मैं छोड़ता नहीं हूं, मुझे ये पता लगाना है कि ये ओबीसी हिंदुस्तान में कितने हैं और जितने हैं, उतनी भागीदारी इनको मिलनी चाहिए।

राहुल गांधी ने कहा कि अब आप लोकसभा में किसी भी एमपी से पूछ लीजिए, लोकसभा को टेंपल ऑफ डेमोक्रेसी कहा जाता है। आप किसी भी बीजेपी के एमपी से पूछ लीजिए कि वो कोई डिसीजन लेता है, कोई कानून बनाता है, कोई कानून बनाने में भाग लेता है, किसी से भी पूछ लीजिए? बिल्कुल नहीं। ना कांग्रेस का एमपी इस लोकसभा में, ना बीजेपी का एमपी, ना कोई और इंडिया का एमपी कोई डिसीजन लेता है।

मतलब (एक भाजपा सांसद के शब्दों में) एमपी को जैसे मंदिर में मूर्ति होती है, वैसे मूर्तियां बना रखी हैं और ओबीसी की वहां पर मूर्तियां भर रखी हैं, मगर पावर बिल्कुल नहीं है। देश को चलाने में कोई भागीदारी नहीं है। ये सवाल मैंने उठाया है कि क्या और हर ओबीसी युवा को ये समझना है कि क्या आपको इस देश को चलाने में भागीदारी मिलनी चाहिए, हां या ना? अगर मिलनी चाहिए तो क्या आपकी आबादी 5 प्रतिशत है, हां या ना? ये सवाल है और डिस्ट्रैक्शन इस बात से हो रहा है।

उन्होंने कहा कि बीजेपी को ये जो दो प्वाइंट्स हैं, महिला आरक्षण वाले डिलिमिटेशन और सेंसस, इनको हटा देना चाहिए और एकदम महिलाओं को जो इज्जत मिलनी चाहिए, जो रिस्पेक्ट मिलनी चाहिए, जो भागीदारी होनी चाहिए उनको, एकदम वो कर दें और कास्ट सेंसस का जो हमने डेटा निकाला था, उसको पब्लिक कर दें, तो सारे हिंदुस्तान के ओबीसी युवाओं को पता लग जाए कि वो हैं कितने और नया सेंसस कास्ट बेसिस पर करें और प्रधानमंत्री को अपने अगले भाषण में ये कहना है, ये समझाना है देश को कि हिंदुस्तान के सबसे जरूरी 90 ऑफिसर (सेक्रेटरीज़) जो हैं, उनमें से सिर्फ 3 ओबीसी क्यों हैं? ये मेन सवाल है और मैंने दलितों की, आदिवासियों की बात ही नहीं की अभी।

एक प्रश्‍न पर कि क्‍या आप आगे चलकर सरकार में महिला आरक्षण में भी ओबीसीज़ के लिए अलग से व्‍यवस्‍था करने वाले हैं? राहुल गांधी ने कहा कि देखिए, सिम्‍पल बात, स्‍टेप बाई स्‍टेप करना है। आपको चोट लगती है तो एक्‍स-रे होता है, पता लगाना पड़ता है कि स्‍ट्रक्‍चर में कमजोरी कहां है, हड्डी कहां टूटी। मैं सिर्फ एक बात कह रहा हूं पहला कदम एक्‍स-रे है कि हमें पहले कास्‍ट सेंसस के माध्‍यम से हिन्‍दुस्‍तान का एक्‍स-रे करना है कि भईया हैं कितने लोग, ओबीसी कितने हैं, अलग-अलग कम्‍यूनिटीज कितनी है, ट्रायबल्‍स कितने हैं, ये पहले टेबल पर तो रखो, डिसीजन लेने से पहले अगर हम अपने सामने डेटा ही नहीं रखेंगे तो डिसीजन कैसे लेंगे? वो तो आपने बाद की बात की, मगर पहले हमारे सामने डेटा रखो, डेटा रखोगे मैं आपका जवाब दे दूंगा, आज तो डेटा ही नहीं है।

दूसरी बात- मैंने अपने भाषण में कहा कि आजादी की जो मूवमेंट थी, वो एक शुरुआत थी- Distribution of power, transfer of power to the people of India. हिन्‍दुस्‍तान के लोगों को पावर ट्रांस्फर करने का पहला बड़ा कदम था, उसके बाद हमने और कदम लिए हैं। कास्‍ट सेंसस से जो डेटा निकलेगा, वो हिन्‍दुस्‍तान की जनता को और पावर ट्रांसफर करने का तरीका है। मैं कहता हूं कि हिन्‍दुस्‍तान के जो ओबीसीज़ हैं, दलित हैं, ट्रायबल्‍स हैं, बाकी लोग हैं, महिलाएं हैं उनको हमने ट्रांसफर ऑफ पावर करना है, उनके लिए हमें पावर ट्रांसफर करना है, उनके हाथों में पावर डालनी है, फाउंडेशन वो है और कास्‍ट सेंसस की जरूरत है, क्‍यों‍कि उसको समझे बिना हम ये कर ही नहीं सकते हैं।

एक अन्‍य प्रश्‍न पर कि आपके टाइम पर कितने सेक्रेटरीज़ थे? गांधी ने कहा कि देखो हमारे समय जितने भी थे.. सही रिप्रजेंटेशन होना चाहिए। हमारे समय कम थे वो भी खराब है, इनके समय कम हैं ये भी खराब है, हम चेंज चाहते हैं। मेरा कहना है कि जब मैंने ये आंकड़ा देखा मैं हिल गया, मैं बिलीव नहीं कर सकता था कि 90 सेक्रेटरीज में से केवल तीन ओबीसी के हैं, मैं शॉक हो गया, मैं हैरान हो गया कि ये क्‍या हो रहा है और इसको बदलना है। हिन्‍दुस्‍तान की जो आम जनता है, गरीब जनता है उनको पावर देनी है।

एक अन्‍य प्रश्‍न पर कि आज आप ओबीसी कोटे की बात कर रहे हैं, क्‍योंकि आप विपक्ष में हैं, जब सत्‍ता पक्ष में आप जीत कर आए थे, उस समय ओबीसी कोटा क्‍यों नहीं दिया और इसका आपको रिग्रेट है? राहुल गांधी ने कहा कि 100 परसेंट रिग्रेट है, वो उस टाइम कर देना था और इसको हम करके ही छोड़ेंगे।

एक अन्य प्रश्न पर कि सरकार की क्या मंशा है कि ऐसे समय में बिल लाया गया और पास करा लिया गया? राहुल गांधी ने कहा कि जैसे मैंने कहा मुझे लगता है कि ये एक डिस्ट्रैक्शन टैक्टिक है और दो मुद्दों से बीजेपी घबराती है, डिस्ट्रैक्ट कराना चाहती है और ये रिलेटेड है। एक है अडानी जी, जो देश का पूरा धन अपने हाथों में कंस्ट्रेट कर रहे हैं और दूसरा कास्ट सेंसस। तो ये रिलेटेड चीजें हैं और इन दोनों बटन को जब मैं दबाता हूं, जैसे यूं दबाता हूं तो बीजेपी एकदम जम्प करती हैं। तो क्यों करती है, क्योंकि वो जो ओबीसी कम्युनिटी है, सचमुच में उनको पावर नहीं देना चाहती और वो पावर अडानी जी के हाथ में कंस्ट्रेट करना चाहती है।

एक अन्य प्रश्न पर कि भाजपा कह रही है कि आपने ओबीसी कार्ड खेला है। अगर 2024 में ‘इंडिया ब्लॉक’ पावर में आता है, तो क्या इन चीजों को आप जल्द से जल्दी लागू करेंगे? राहुल गांधी ने कहा कि देखिए, वो कार्ड की बात करते हैं, कार्ड के बारे में सोचते हैं। मैं कार्ड के बारे में नहीं सोचता हूं। मैं जो हिंदुस्तान की जनता है, उनको इम्पावर करना चाहता हूं और अगर मुझे दिखे कि ओबीसी कम्यूनिटी जो है, जो बहुत बड़ी कम्यूनिटी है, किसी को नहीं मालूम कितने लोग हैं, परंतु लोग कहते हैं 50 प्रतिशत तक हो सकते हैं। जब मुझे दिखता है कि एक कम्यूनिटी है, जिसमें हिंदुस्तान की 50 प्रतिशत आबादी है और गवर्मेंट ऑफ इंडिया में सेक्रेटरी स्तर पर तीन लोग हैं, 90 में से 3 और वो 5 प्रतिशत बजट को कंट्रोल करते हैं, तो मुझे गुस्सा आता है, इरिटेशन होती है।

राहुल ने आगे कहा, इस देश में हो क्या रहा है। एक तरफ अडानी जी को देश के पूरे इंस्टीट्यूशन पकड़ा रहे हैं नरेन्द्र मोदी जी और दूसरी तरफ जो हिंदुस्तान की रीढ़ की हड्डी है, उनको हम हिंदुस्तान को चलाने में, जो हिंदुस्तान को चलाते हैं, सरकार को चलाने में कोई जगह नहीं देते हैं, दबाकर निकाल देते हैं, तो इससे मुझे इरिटेशन हो रही है और जैसे ही हमारी सरकार आएगी, हमने वहां पर कर्नाटका में कहा था कि जिस दिन आएगी, उस दिन हमारी पांच गारंटी लागू हो जाएंगी।

यहां भी मैं कह रहा हूं, हमारी सरकार आएगी, कास्ट सेंसस होगा और देश को पता लगेगा कि हमारे ओबीसी भाई कितने हैं, दलित भाई कितने हैं और उनको देश को चलाने में भागीदारी मिलेगी। ये मैं आपको कह रहा हूं। ये छोटा प्रोसेस नहीं होगा, एक दिन में नहीं होगा, मगर नीयत समझिए। नरेंद्र मोदी जी कहते हैं, अमित शाह जी ने कहा कि हमने ओबीसी को विधानसभा में, लोकसभा में डाला है। आप मुझे बता दीजिए कानून बनाने में, बजट में उनकी क्या भागीदारी है?

उन्होंने कहा कि 50-60 साल पहले डिबेट्स होती थी, एमपी का रोल होता था, एमपी कानून बनाते थे। हमारी पार्टी में भी हम एमपी को रोल देते हैं, उनसे बातचीत करते हैं, मनरेगा में इन्वोल्व करते हैं, आप किसी भी बीजेपी के एमपी से पूछ लीजिए, विधानसभा में किसी भी स्टेट में पूछ लीजिए, सरकार चलाने में उनकी क्या भागीदारी है? जवाब देंगे, हमारा कोई रोल नहीं है। ये जो मैंने मूर्ति की एनालॉजी आपको दी है, ये बीजेपी के एमपी ने मुझे पुरानी बिल्डिंग में लोकसभा के बाहर बोला है कि हमें यहां पर बैठा रखा है, हमारा फायदा उठा रहे हैं, हमारी कोई भागीदारी नहीं है सरकार चलाने में।

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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