यूपी में योगी के लिए राजपूत भी लामबंद, पूर्वांचल की पांच सीटों पर एनडीए मुश्किल में, अनुप्रिया के कमेंट के बाद राजा भैया समेत कई दिग्गज उन्हें हराने में जुटे

Estimated read time 1 min read

वाराणसी। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में राजपूतों ने बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कुर्सी बचाने के लिए कुंडा के विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया समेत तमाम दिग्गज लामबंद हो गए हैं। राजनीति के इस भंवर में जो सबसे ज्यादा मुश्किल में है उनमें एक हैं मिर्जापुर की एनडीए प्रत्याशी अनुप्रिया पटेल, घोसी सीट के उम्मीदवार अरविंद राजभर और भदोही सीट पर निषाद पार्टी के आरएस बिंद।

अनुप्रिया अपना दल (एस) की मुखिया हैं और अरविंद सुहेलदेव भारतीय समाजवादी पार्टी (सुभासपा) की मुखिया ओमप्रकाश राजभर के पुत्र हैं। बिंद निषाद पार्टी के विधायक हैं। कुछ रोज पहले ही अनुप्रिया ने प्रतापगढ़ की एक जनसभा में राजा भैया पर निशाना साधते हुए उन पर तगड़ा हमला बोल दिया था। पूर्वांचल में राजपूत समुदाय के लोग पहले से ही ओमप्रकाश राजभर के खिलाफ हैं और अब उन्होंने अनुप्रिया पटेल के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया है। राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि राजा भैया की नाराजगी से पूर्वांचल की पांच सीटों पर बीजेपी सीधे तौर पर मुश्किल में फंस सकती है।

पूर्वांचल की 22 सीटों पर करीब 30 लाख से अधिक राजपूत मतदाता हैं। ये मतदाता पहले बीजेपी के पुख्ता वोट बैंक माने जाते थे और अब ये सभी दलों के लिए अहमियत रखते हैं। साल 2014 और 2019 में क्षत्रिय भाजपा के साथ थे, लेकिन, इस चुनाव में स्थितियां बदली दिख रही हैं। पहले चरण से ही क्षत्रियों की भाजपा से नाराजगी दिखाई देने लगी थी। तीन चरणों के चुनाव में क्षत्रियों ने कई सीटों पर मुखर होकर भाजपा का विरोध किया था। राजा भैया अगर मिर्जापुर पहुंचते हैं तो अनुप्रिया का चुनाव जीत पाना बेहद मुश्किल हो जाएगा। वैसे भी ठाकुर समुदाय के लोग गुजरात, राजस्थान से लेकर यूपी और बिहार तक नाराज हैं। पहले राजपूत समुदाय के आपसी संवादों में ये बातें हो रही थीं, लेकिन अब खुलेआम बीजेपी उम्मीदवारों को हराने पर उतर आए हैं। ऐसे में यह माना जा सकता है कि पूर्वांचल में बीजेपी को बहुत ज्यादा नुकसान होगा।

अनुप्रिया के बयान से आया भूचाल

केंद्रीय मंत्री और अपना दल (एस) की प्रमुख अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर लोकसभा सीट से तीसरी बार चुनाव लड़ रही हैं। इतिहास यह रहा है कि सियासत में इस सीट पर आज तक किसी ने हैट्रिक नहीं लगाई है। अनुप्रिया की मुश्किलें तब बढ़नी शुरू हुई जब उन्होंने कुंडा विधायक और जनसत्ता दल के मुखिया रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को कटघरे में खड़ा करना शुरू किया। अनुप्रिया से राजा भैया का विवाद सिर्फ बयान तक सीमित नहीं है। माना जा रहा है कि राजा भैया उनके विरोध में चुनाव प्रचार करने आ सकते हैं। खबर है कि राजा भैया के साथ ही जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के कुछ दिग्गज नेता भी मिर्जापुर पहुंच कर अनुप्रिया के खिलाफ चुनाव प्रचार करने वाले हैं। अगर वो ऐसा करते हैं तो सीधे तौर पर इसका असर पूर्वांचल की करीब पांच सीटों पर पड़ सकता है।

कौशांबी में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी विनोद सोनकर की जनसभा में अनुप्रिया पटेल ने राजा भैया को लेकर बयान दिया था जिससे वो खासे नाराज हैं। अनुप्रिया का वक्तव्य यह था कि ” लोकतंत्र में अब राजा रानी के पेट से पैदा नहीं होता है। अब राजा ईवीएम के बटन से पैदा होता है। स्वघोषित राजाओं को लगता है कुंडा उनकी जागीर है। उनके भ्रम को तोड़ने का अब एक बड़ा और सुनहरा अवसर है। अबकी ईवीएम का बटन दबाते समय यह ध्यान जरूर रखिएगा कि सिर्फ मतदाता ही सर्वशक्तिमान है।”

अनुप्रिया के तीखे बयान के बाद भी राजा भैया ने बेहद शालीन तरीके से जवाब दिया। उन्होंने किसी का आलोचना नहीं की, लेकिन यह जरूर कहा, “राजा या रानी अब पैदा होना बंद हो गए हैं। ईवीएम से राजा नहीं, जनसेवक पैदा होता है। जनता का प्रतिनिधि पैदा होता है। ईवीएम से पैदा होने वाले अगर खुद को राजा मान लेंगे तो लोकतंत्र की मूल भावना ही हार जाएगी। जनता जनार्दन आपको ये अवसर देती है कि आप मेरी और क्षेत्र की सेवा करें। राजतंत्र तो न जाने कभी का खत्म हो गया है।”

अनुप्रिया के बयान से उठा बवंडर थोड़ा थम ही रहा था कि 22 मई 2023 को बनारस पहुंचे केंद्रीय राज्य मंत्री रामदास आठवले ने अनुप्रिया पटेल के समर्थन में बयान देकर इस मामले को और भी गरमा दिया है। उन्होंने कहा था कि, “राजा भैया का बैकग्राउंड पूरा यूपी जानता है। कुछ गुंडे लोगों को भी वोट मिलता है। लोगों को डराकर गुमराह कर वोट लेते हैं। ऐसे कई लोग चुन कर भी आते हैं। वोट लेने से कोई राजा नहीं बनता। नाम का राजा हो सकता है। अनुप्रिया पटेल ने जो बोला है, सही है।”

राजा भैया का कई सीटों पर प्रभाव

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कुछ दिनों पहले जब मुंबई में राजा भैया से मुलाकात की थी तब लगा था कि वो बीजेपी को समर्थन दे सकते हैं। इसी बीच अनुप्रिया पटेल के बयान ने भूचाल मचा दिया और उन्होंने किसी भी दल को समर्थन नहीं देने का ऐलान कर दिया। राजा भैया को मनाने के लिए बीजेपी के वरिष्ठ नेता संजीव बालियान भी पहुंचे, लेकिन उनकी नाराजगी दूर नहीं हुई। इस बीच राजा भैया ने यूपी में एंटीइन्कंबेंसी का मुद्दा उठाते हुए यह साफ कर दिया है कि वो परोक्ष रूप से समाजवादी पार्टी के साथ हैं।

राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि अगर राजा भैया समाजवादी पार्टी के गोल में खड़े हो जाते हैं तो सिर्फ प्रतापगढ़ और कौशांबी सीट ही नहीं, भदोही, मिर्जापुर, घोसी, जौनपुर, मछलीशहर और इलाहाबाद में बीजेपी को जबर्दस्त नुकसान उठाना पड़ सकता है। कौशांबी में वोट पड़ चुके हैं। प्रतापगढ़, भदोही, मिर्जापुर, इलाहाबाद में चुनाव होना बाकी है। इन सीटों राजा भैया का क्षत्रियों में काफी प्रभाव है। उनके समर्थकों की पूरी लॉबी पूर्वांचल में बीजेपी प्रत्याशियों के खिलाफ मुहिम में जुटी है। इसका असर जौनपुर, मछलीशहर, चंदौली, गाजीपुर, घोसी, आजमगढ़ से लगा लालगंज तक है। जौनपुर में धनंजय सिंह के मैदान में नहीं होने से राजा भैया करीब दो लाख राजपूत मतदाताओं को प्रभावित कर सकते हैं। उनकी ब्राह्मणों में भी अच्छी पैठ है।

घोसी में करीब 1.8 लाख राजपूत वोटर हैं जहां राजा भैया का काफी प्रभाव है। उनके समर्थक यहां मजबूत स्थिति में हैं। घोसी में वो ब्राह्मण, कुर्मी और पासी में भी काफी प्रभाव डाल सकते हैं। इसी तरह मछलीशहर सीट पर करीब 1.40 लाख राजपूत मतदाता हैं। प्रतापगढ़ से जुड़े होने की वजह से यहां भी उनका काफी प्रभाव है। जनसत्ता दल के कार्यकर्ता यहां काफी सक्रिय हैं। राजा भैया के समर्थक अनुप्रिया पटेल के विरोध में मिर्जापुर और आसपास की सीटों पर प्रचार कर रहे हैं। अटकलें लगाई जा रही हैं कि राजा भैया भी चुनाव के एक दिन पहले मिर्जापुर जा कर बैठकें कर सकते हैं। हालांकि राजनीतिक प्रेक्षकों का यह भी मानना है कि राजा भैया सीधे तौर पर बीजेपी के खिलाफ शायद नहीं उतरेंगे, क्योंकि प्रतापगढ़ के चर्चित डीएसपी हत्याकांड की फाइलें अभी बंद नहीं हुई हैं।

कई सीटों पर मुश्किल में बीजेपी

राजा भैया पिछले छह बार से बीजेपी के पक्ष में राज्यसभा और विधान परिषद बिना शर्त वोटिंग करते रहे हैं। उन्होंने बीजेपी से कभी कोई सौदेबाजी भी नहीं की। राष्ट्रपति के चुनाव में भी सत्तारूढ़ दल बीजेपी के प्रत्याशी के पक्ष में मतदान किया था। वरिष्ठ पत्रकार एवं चुनाव विश्लेषक विनय मौर्य कहते हैं, “पूर्वांचल में कोई सर्वमान्य राजपूत नेता नहीं है, लेकिन राजा भैया का कुछ जिलों में मजबूत आधार है। अनुप्रिया पटेल के विरोध में अगड़े समुदाय के लोग खड़े हो गए तो उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।”

मिर्जापुर की राजनीतिक विश्लेषक प्रज्ञा सिंह कहती हैं, “इस जिले में बीजेपी के जिलाध्यक्ष ब्रजभूषण सिंह राजपूत बिरादरी से है और वह अनुप्रिया के साथ काम कर रहे हैं, लेकिन वो राजपूतों में कितना असर डाल पाएंगे, कुछ नहीं कहा जा सकता। इतना जरूर है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्याथ से अनुप्रिया के बहुत अच्छे रिश्ते नहीं है। अनुप्रिया, एके शर्मा, संजय निषाद, ओमप्रकाश राजभर, दारा सिंह चौहान ये वो नेता हैं जो केंद्र से संचालित होते रहे हैं। आंतरिक तौर पर ये योगी का विरोध भी करते हैं।”

प्रज्ञा यह भी कहती हैं, “पूर्वांचल की सियासी नब्ज यह है कि घोसी उप-चुनाव की तरह ही इस चुनाव में भी अधिसंख्य सीटों पर बीजेपी का खेल बिगड़ सकता है। पूर्वांचल वह इलाका है जो बीजेपी को गढ़ माना जाता था और अबकी यही उसे सबसे ज्यादा भारी पड़ने जा रहा है। मिर्जापुर में अनुप्रिया की सीट तो पहले से ही फंसी हुई है, क्योंकि ब्राह्मण वोट बैंक बसपा में शिफ्ट हो रहा है। अनुप्रिया से बीजेपी और आरएसएस के लोग भी खासे नाराज हैं। मिर्जापुर में राजपूतों के करीब एक लाख वोटर हैं तो ब्राह्मणों की तादाद ढाई लाख है। ये दोनों वोटर इनसे खिसक रहे हैं। आरएसएस से जुड़े रहे मनोज श्रीवास्तव तो अनुप्रिया की विदाई के लिए मोर्चा खोल दिया है। सवर्णों ने अनुप्रिया का साथ छोड़ दिया तो उनकी राह आसान नहीं रह जाएगी। मिर्जापुर में इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी रमेश बिंद संविधान बचाओ मुहिम चला रहे हैं और स्थानीय बनाम बाहरी को मुद्दा भी उछाल रहे हैं।”

बीजेपी के लिए सबसे टफ पूर्वांचल

दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार अमरेंद्र राय गाजीपुर के मूल निवासी हैं और पूर्वांचल की राजनीति की उन्हें तगड़ी समझ है। वह कहते हैं, “योगी आदित्यनाथ केंद्र की पसंद से सीएम नहीं बने हैं। पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह, मनोज सिन्हा को यूपी का सीएम बनाना चाहते थे। संघ की मदद और खुद के बूते पर योगी मुख्यमंत्री बन गए। इसी के बाद से केंद्र उन्हें हमेशा घेरने की कोशिश करता रहा है। वो कभी दिल्ली से यूपी में अफसर तैनात करता है तो कभी ऊपर से पदाधिकारियों की तैनाती कर देता है। केंद्र ने एके शर्मा समेत कुछ लोगों को मंत्री बनाने के लिए यूपी भेजा। साथ ही उत्तर प्रदेश के कुछ नेताओं को योगी के खिलाफ लड़ने के लिए उनका कद भी बढ़ाया गया।”

“केंद्र की योजना यह थी कि योगी को ठीक से काम न करने दिया जाए और उनकी मर्जी से ही यूपी में सत्ता चले। योगी को यह मंजूर नहीं था। उन्होंने समय-समय पर इसका विरोध किया और अपने तरीके से यूपी की सत्ता चलाई। इससे परेशान होकर केंद्र ने कई बार योगी को बदलने की भी योजना बनाई। हर बार योगी उन पर भारी पड़े। अब जब लोकसभा के चुनाव हो रहे हैं तो योगी की पसंद का कोई उम्मीदवार यूपी में नहीं दिया गया। इस बीच यह भी चर्चा चल रही है कि जिस तरह से राजस्थान और मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री बदले गए, उसी तरह लोकसभा चुनावों के बाद यूपी में भी योगी को बदल दिया जाएगा। इस बात को योगी भी समझ रहे हैं। इसीलिए वह नाप-तौल कर कदम उठा रहे हैं।”

अमरेंद्र कहते हैं, “अमेठी में मतदान के बाद इस बात की चर्चा रही कि बीजेपी उम्मीदवार स्मृति इरानी ने योगी को फोन कर अपनी शिकायत दर्ज कराई कि आपके लोगों ने मेरा सहयोग नहीं किया। सच भी यही है कि इस बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कट्टर समर्थक केंद्र की ओर से थोपे गए उम्मीदवारों का समर्थन नहीं कर रहे हैं। उनकी सोच यह है कि अगर यूपी से ज्यादा लोग जीत जाएंगे तो केंद्र में मोदी के नेतृत्व में सरकार बन जाएगी। ऐसे में योगी को मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ेगा।”

“यूपी से ही योगी आदित्यनाथ के समर्थक बीजेपी उम्मीदवारों को इतना कमजोर कर दे रहे हैं कि अगर किसी तरह से उनकी सरकार बन भी जाए तो मजबूत योगी को केंद्र हटा न सके। इसीलिए समूचे यूपी और खासकर पूर्वांचल में जहां योगी का विशेष असर है वहां के उम्मीदवार हार की कगार पर हैं। जो लोग मोदी के विरोधी रहे हैं और केंद्र के करीबी रहे हैं, खासकर ओमप्रकाश राजभर और अनुप्रिया पटेल से योगी समर्थक काफी गुस्से में हैं और उन्हें हर हाल में सबक सिखाना चाहते हैं। जहां तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सवाल है तो वो भले ही अपनी सीट किसी तरह से निकाल लें, लेकिन आसपास के जिलों की सारी सीटें खतरे में आ गई हैं।”

(विजय विनीत बनारस के वरिष्ठ पत्रकार हैं)

You May Also Like

More From Author

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments