Friday, April 26, 2024

पीएम तक पहुंची यौन शोषण के खिलाफ महिला पहलवानों के आंदोलन की आग

नई दिल्ली। महिला पहलवान यौन शोषण मामले में नया मोड़ आ गया है। और ऐसा इस मामले के आरोपी बृजभूषण शरण सिंह के ट्वीट से हुआ है। जिसमें उन्होंने कहा है कि पीएम मोदी कहेंगे तो इस्तीफा दे दूंगा, अमित शाह और नड्डा कहेंगे तो भी दे दूंगा। सिंह के इस ट्वीट के बाद ही विपक्ष के निशाने पर पीएम मोदी और अमित शाह आ गए हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने बृजभूषण शरण सिंह के इस ट्वीट को रिट्वीट करते हुए कहा है कि नरेंद्र मोदी ही हां कर दीजिए न्याय को आप की हां का इंतजार है।

मीडिया से लेकर सोशल मीडिया में भी इसकी अलग-अलग व्याख्याएं शुरू हो गयी हैं। एबीपी न्यूज़ के पूर्व समाचार संपादक सुमित अवस्थी ने एक ट्वीट कर कहा कि 

“बृजभूषण शरण सिंह ने अपने कुश्ती संघ के विवाद  में पीएम, गृहमंत्री और पार्टी अध्यक्ष का नाम घसीटकर आलाकमान के लिये आफत ही खड़ी कर दी है! (ऐसा लग रहा है कि बीजेपी आलाकमान ने ही सिंह से कहा है कि कुश्ती संघ के अध्यक्ष की कुर्सी से चिपके रहो, चाहे महिला खिलाड़ी कितना भी विरोध करते रहें)!” 

इसके पहले एबीपी से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार दिबांग को दिए एक साक्षात्कार में बृजभूषण शरण सिंह ने इस पूरे मामले के पीछे बाबा का हाथ होने का आरोप लगाया है। हालांकि ये बाबा कौन है इसको लेकर कयासों का बाजार गर्म है। कोई कह रहा है कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हो सकते हैं क्योंकि उनका भी सिंह से रिश्ता खराब है। तो कुछ दूसरे लोग बाबा रामदेव की तरफ इशारा कर रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि बाबा रामदेव से भी सिंह के रिश्ते ठीक नहीं रहे हैं। पतंजलि नाम को लेकर एक दौर में दोनों के बीच काफी विवाद हो गया था।

बहरहाल इस तरह के बयानों से यह बात साफ होती जा रही है कि सिंह पूरे मामले को एक राजनीतिक रंग देना चाह रहे हैं जिसके तहत वह न केवल विपक्षियों को घेर रहे हैं बल्कि खुद अपनी पार्टी से जुड़े लोगों को भी उससे जोड़ देने की कोशिश कर रहे हैं। 

इस बीच महिला पहलवानों को समाज के विभिन्न हिस्सों से मिलने वाले समर्थन का दायरा बढ़ता जा रहा है। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत कल महिला खिलाड़ियों के धरने का समर्थन करने के लिए पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि किसान भी इन महिला खिलाड़ियों के समर्थन में 2 मई से उतरेंगे। अपने ट्वीट में राकेश टिकैत ने कहा, “पदक जीतकर जिन्होंने विदेशों तक तिरंगा फहराया और देश को गौरव की अनुभूति का एहसास कराया वो आज मान और सम्मान बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं इस न्याय की लड़ाई में शामिल होने के लिए हम भी 02/05/2023 को जंतर-मंतर दिल्ली पहुंच रहे हैं”।

जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है भाजपा की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। महिला खिलाड़ियों के समर्थन में अधिक से अधिक लोग आगे आ रहे हैं और बृज भूषण शरण सिंह के बारे में कई रहस्यों से पर्दा उठ रहा है। यह भाजपा के लिए 2024 के चुनाव में एक बड़ी मुसीबत साबित हो सकता है। ऐसा लगता है कि भाजपा आलाकमान और बृजभूषण शरण सिंह ने अंदाजा लगा रखा था कि अगर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एफआईआर दर्ज कर ली जाती है, तो मामला सुलझ जाएगा और खिलाड़ी जंतर-मंतर पर अपने धरने को खत्म कर देंगे।

लेकिन उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि इस बार महिला खिलाड़ी पिछली गलतियों से सबक सीख कर आई हैं और उन्हें सिर्फ एफआईआर से ही न्याय मिल पाने का भरोसा नहीं रह गया है।

विनेश फोगाट ने एक बयान में साफ-साफ कहा, “बृज भूषण शरण सिंह फेडरेशन को अध्यक्ष पद से ही नहीं बल्कि उनकी संसद सदस्यता भी रद्द की जानी चाहिए और उन्हें जेल की सलाखों के पीछे डालने पर ही उनके खिलाफ मामलों की निष्पक्ष जांच संभव है। हम सभी जानते हैं कि वह कितने ताकतवर हैं और उनका रसूख कहां तक है। यदि वे अपने पद पर बने रहते हैं तो वे जांच को प्रभावित कर सकते हैं, और ऐसे में हमें न्याय नहीं मिलेगा।”

महिला रेसलर अंशु मलिक ने जंतर-मंतर की सभा में एक बड़ा खुलासा किया है। उनके मुताबिक कुछ जूनियर खिलाड़ियों ने उन्हें बताया कि कंपटीशन के दौरान फेडरेशन के अध्यक्ष जूनियर खिलाड़ियों के रूम के सामने ही अपना रूम लेते थे। और अपने रूम को हमेशा खोल कर रखते थे। महिला खिलाड़ियों ने बताया कि वे अपने रूम से सिर्फ ट्रेनिंग के लिए ही बाहर निकला करती थीं।

कंपटीशन में भाग लेने में यदि आप कंफर्टेबल फील नहीं कर रहे हैं तो प्रतियोगिता में अच्छा-प्रदर्शन कैसे कर सकते हैं जबकि फेडरेशन के नियम में यह स्पष्ट है कि जिस होटल में खिलाड़ी रुके हुए हों उस होटल में फेडरेशन का अध्यक्ष या अन्य पदाधिकारी नहीं रह सकते हैं। ऐसे में स्थिति यह थी कि लड़कियां अपने रूम पर भी नहीं जा रही थीं क्योंकि उनके कमरे के सामने ही फेडरेशन के अध्यक्ष का रूम था। जूनियर खिलाड़ी जब इतनी परेशान थीं तो आप समझ सकते हैं कैसी स्थिति रहती है।

यहां पर बड़ी बात यह है कि जब पहली बार महिला खिलाड़ी 3 महीने पहले धरने पर बैठी थीं तो उन्होंने इस मुद्दे को इतनी गंभीरता से नहीं उठाया था और कहीं न कहीं उन्हें केंद्र सरकार पर भी न्याय दिलाने का भरोसा था। तब तक सांसद बृजभूषण सिंह के बारे में भी बहुत जानकारियां नहीं थीं।

सिर्फ यहीं तक बात सीमित थी कि उत्तर प्रदेश का यह सांसद बाहुबली है और योगी आदित्यनाथ के साथ-साथ बाबा रामदेव और महाराष्ट्र के नवनिर्माण सेना के राज ठाकरे के साथ इसकी अदावत है लेकिन 3 महीने इंतजार के बाद भी जब इन खिलाड़ियों की बात नहीं सुनी गई और बृजभूषण सिंह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई तो इस बार यह पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरी हैं। पिछली बार के विपरीत उन्होंने न सिर्फ अपने मंच को सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए खोल दिया बल्कि 1 लंबी लड़ाई की तैयारी के मद्देनजर धरना स्थल पर रहने और अपनी ट्रेनिंग के लिए आवश्यक साजो सामान भी जमा किए। 

अपने खानपान की व्यवस्था के लिए हरियाणा से रसोइया बुलाया और उसके जरिए तीनों टाइम का भोजन और दूध दही मट्ठा हरियाणा से मंगवा रहे हैं जैसे हर मामले में आंदोलन के बाद मामला ठंडा पड़ जाता है कुछ उसी प्रकार की सोच कर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने इस मुद्दे को भी कोई खास तवज्जो नहीं दी। लेकिन अब जब महिला खिलाड़ियों ने इसे अपने कैरियर से भी ज्यादा अहम बना लिया है तो ऐसे में मोदी सरकार के लिए या एक बड़ा सिर दर्द साबित होने जा रहा है।

बृजभूषण सिंह ने इस्तीफे की मांग को स्वीकार कर लिया है लेकिन इसके लिए वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष नड्डा का इशारा चाहते हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या अभी तक बृजभूषण सिंह की गिरफ्तारी, एफआईआर और इस्तीफा नरेंद्र मोदी जी के कारण ही रुकी हुई थी? क्या उन्हीं के इशारे पर सोशल मीडिया पर महिला खिलाड़ियों के बारे में ट्रोल आर्मी अनाप-शनाप लिख रही है? यह सवाल खुद बृजभूषण सिंह के बयान से भी स्पष्ट होता है। 

क्या ऐसा माना जा सकता है कि बृजभूषण सिंह ने भाजपा नेतृत्व को कटघरे में खड़ा करने के लिए यह बयान दिया है। क्या यह 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा नेतृत्व के लिए सीधी सीधी धमकी नहीं मानी जानी चाहिए? यदि यह बृजभूषण सिंह की भाजपा को धमकी है तो इसका असर अवध क्षेत्र के कम से कम एक दर्जन लोकसभा क्षेत्रों में पड़ेगा। यहां पर सबसे बड़ा सवाल यह है कि भाजपा को बिहार, कर्नाटक और महाराष्ट्र में करीब 40 से 50 सीटों का घाटा साफ नजर आ रहा है।

ऐसे में देश के लोकसभा चुनाव के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश में 12 सीटों पर भाजपा को नुकसान होता है तो उस स्थिति में केंद्र में सरकार के गठन की संभावना और दूर हो जाती है। 2019 के मुकाबले 2024 में निश्चित रूप से गैर भाजपा विकल्प बड़ा आयाम बना रहा है कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का असर आज कर्नाटक में नजर आ रहा है। कल यही असर लोकसभा चुनाव में भी नजर आएगा। ऐसे में 12 सीटें कितना अधिक मायने रखती हैं यह बात 24 x7 चुनावी गुणा-भाग में ही डूबी रहने वाली मोदी की भाजपा से भला बेहतर कौन जानता है।

(लेखक और टिप्पणीकार रविंद्र सिंह पटवाल की रिपोर्ट।)

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