देश के लिए फसल उगाने वाले किसानों की राह में बोई जा रहीं सरिया और कीलें

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देश के लिए फसल उगाने वाले किसानों के रास्ते में मोदी सरकार नुकीले सरिया और कीलें बो रही है, ताकि वो दिल्ली न पहुंच सकें। इतना ही नहीं, भारत-पाक और इंडो-चाइना बॉर्डर से भी तगड़ी सुरक्षा व्यवस्था ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर की गई है।

यहां 12 लेयर की बैरिकेडिंग करके नुकीले तार की बाड़, नुकीली सरिया के अवरोधक और सशस्त्र अर्द्धसैनिक बलों की टुकड़ियां तैनात की गई हैं। कमोबेश यही स्थिति सिंघु बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर की है, जहां दोनों ओर से बॉर्डर को सील कर दिया गया है और कई लेयर की बैरिकेडिंग के पीछे सशस्त्र पुलिस बल तैनात हैं।

मानों सरकार को सबसे ज्यादा ख़तरा अपने ही देश के किसानों से हो। अब सरकार किसानों के खिलाफ़ अघोषित युद्ध लड़ रही है! खिसानों के खिलाफ़ मोदी सरकार के इस अघोषित युद्ध पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्विटर पर ग़ाज़ीपुर बॉर्डर का वीडियो शेयर करके हुए कैप्शन में लिखा है, ”प्रधानमंत्री जी, अपने किसानों से ही युद्ध?”

वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा है, “भारत सरकार, आप पुल बनाइए दीवार नहीं।”

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया है, “सियासत तू है कमाल, उठाके रास्ते में दीवार, बिछाकर कंटीले तार, कहती है आ करें बात। #किसान #नहीं_चाहिए_भाजपा।”

सीपीआईएमएल महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने किसानों के लिए नुकीले तार और सरिया बिछाने और बैरिकेड्स वाली तस्वीरें शेयर करते हुए कहा है, “उभरता हुआ! टुकड़े-टुकड़े का खाका! दिल्ली के आसपास नई ‘लाइन ऑफ कंट्रोल’! ऐसा तब होता है जब कोई सरकार जनता पर युद्ध छेड़ने लगती है, जिसमें कई ऐसे मतदाता भी शामिल हैं जिन्होंने इन्हें वोट दिया था।”

वहीं ट्विटर पर #FencingLikeChinaPak टॉप ट्रेंड कर रहा है। इस हैशटैग को अब तक एक लाख 57 हजार ट्वीट मिले हैं। लोग बाग मोदी सरकार की इस कार्रवाई पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।

एक ट्विटर यूजर ने लिखा है, “शाबाश मोदी जी। चीन और पाक के बॉर्डर झूला झूलने और बिरियानी खाने के लिए खुले रखिए। देश को असली ख़तरा इन देशद्रोही किसानों से ही है। अब तोप और राफेल भी ग़ाज़ीपुर, टिकरी और सिंघु बॉर्डर पर तैनात करवा ही दीजिए।”

पत्रकार सागरिका घोष लिखती हैं, “स्पाइक्स, कीलें, दीवारें, कंटीले तार, इंटरनेट बंदी। यह सब अन्नदाता पर लक्षित है या जो किसान हमें अपना दैनिक भोजन देते हैं, केवल इसलिए क्योंकि वो चाहते हैं कि उन्हें सुना जाए।”

पत्रकार कमल शुक्ला लिखते हैं, “बजट: स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि के बजट पर इस साल बैरिकेटिंग का बजट भारी, कई खरब लगाए जाएंगे, अगले साल आंदोलन की बाढ़ आने की संभावना, बचा-खुचा देश इसी साल बेच दिए जाने का लक्ष्य।”

हरियाणा के झाड़ोदा बॉर्डर पर दिल्ली पुलिस की ओर से रेती-रोड़ी और मिट्टी से भरे ट्रकों को बैरिकेड के स्थान पर खड़ा किया गया है। यहां पर चार लेयर की बैरिकेडिंग की गई है। पहली लेयर में लोहे के बैरिकेड, दूसरी लेयर में सीमेंट के जर्सी बैरियर में रोड़ी भरकर लगाया गया है। वहीं तीसरी लेयर में कंक्रीट की तीन फुट चौड़ी और चार फुट ऊंची दीवार बनाई गई है।

इसके बाद, चौथी लेयर में ट्रकों में मिट्टी भरकर उन्हें खड़ा किया गया है। सड़कों पर नुकीली सरिया ठोकी गई है। इसके बाद दिल्ली पुलिस और सुरक्षा बलों के जवानों के अलावा महिलाएं भी तैनात की गई हैं। इतना ही नहीं 100 मीटर आगे तीन लेयर की एक और बैरिकेडिंग कर सुरक्षा व्यवस्था की गई है। यहां भी कड़ी बैरिकेडिंग की गई है।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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