Saturday, April 27, 2024

संयुक्त किसान मोर्चा ने फिर शुरू किया आंदोलन, राज्यों की राजधानियों में 26-28 नवंबर को किसान महापड़ाव

नई दिल्ली। संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर किसान आंदोलन का ऐलान कर दिया है। मोर्चा ने 26 से 28 नवंबर तक देशभर के राज्यों की राजधानियों में किसान महापड़ाव का ऐलान किया है। किसान मोर्चा ने किसानों से अपील की है कि वो 26 से 28 नवंबर के बीच प्रदेश की राजधानियों में आयोजित हो रहे किसान महापड़ाव में बड़ी संख्या में शामिल हों, ताकि एमएसपी की गारंटी और दिसंबर 2021 में देश के किसानों से केंद्र सरकार द्वारा किए गए वादों को पूरा करने की मांग को पूरी ताकत से उठाया जा सके।

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि मोदी सरकार भारतीय और विदेशी कंपनियों को कृषि और ग्रामीण व्यापार को नियंत्रित करने, महंगे इनपुट बेचने, औने-पौने दाम पर फसल खरीदने, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग स्थापित करने और खाद्य बाजार पर एकाधिकार जमाने में मदद करने वाली कॉर्पोरेट समर्थक नीतियों को जारी रखे हुए है। इससे किसान दरिद्र हो रहे हैं, भूमि से बेदखल हो रहे हैं और वे सस्ते श्रम में सिमट गये हैं।

किसान मोर्चा ने कहा कि धान की खरीद शुरू हो गई है लेकिन खरीद की सरकारी सुविधाएं कम हैं और बिचैलियों का राज है, जिससे किसानों को अपना धान एमएसपी से 500 रुपये कम पर बेचना पड़ रहा है। एसकेएम बिचैलियों के नियंत्रण की कड़ी निंदा करता है और मांग करता है कि छोटे किसानों के धान की खरीद की गारंटी हो, कठिन ऑनलाइन पंजीकरण की शर्तों को समाप्त किया जाए और अधिक धान खरीद केंद्रों को स्थापित किया जाए।

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना चुनावों में भाजपा और कांग्रेस ने बड़े पैमाने पर एमएसपी और अन्य वादे किये हैं, जो साबित करते हैं कि किसान गहरे संकट में हैं और एसकेएम की मांगें जायज़ हैं। ग्रामीण संकट भारत की 68.9 फीसदी आबादी को प्रभावित करता है।

किसान मोर्चा ने कहा कि बीजेपी ने मध्य प्रदेश में गेहूं का एमएसपी 2700 रुपये प्रति क्विंटल और राजस्थान में अतिरिक्त बोनस देने का वादा किया है, वहीं कांग्रेस ने 2600 रुपये एमएसपी और राजस्थान में एमएसपी पर सुनिश्चित खरीद का कानून बनाने के साथ उसे महंगाई दर से जोड़ने का वादा किया है। घोषित एमएसपी केवल 2275 रुपये है जबकि एसकेएम मांग कर रहा था कि इसे 2800 रुपये प्रति क्विंटल किया जाए।

धान में अंतर और बड़ा है। जहां बीजेपी ने एमपी में 3100 रुपये प्रति क्विंटल का वादा किया है, वहीं कांग्रेस ने तेलंगाना में 500 रुपये बोनस देने का ऐलान किया है, जो कुल मिलाकर मोदी सरकार द्वारा घोषित 2183 रुपये से कहीं ज्यादा है।

संयुक्त किसान मोर्चा ने बटाईदारों के पंजीकरण के साथ उन्हें सरकारी योजनाओं की गारंटी देने की मांग की है। किसान मोर्चा ने कहा कि कांग्रेस ने तेलंगाना में किसानों को 15,000 रुपये प्रति एकड़ और बटाईदारों को 12,000 रुपये प्रति एकड़ वार्षिक मदद देने का वादा किया है और बीआरएस ने 16,000 रुपये प्रति एकड़ देने का वादा किया है। यह किसानों की दुर्दशा को उजागर करता है जो खेती की बढ़ती लागत को सहन करने में असमर्थ हैं।..

.. जबकि सरकार ने फॉस्फेटिक उर्वरक की कीमतें 50 फीसदी तक बढ़ा दी हैं, यूरिया की आधिकारिक कीमत 270 रुपये प्रति 45 किलोग्राम से दोगुनी कीमत पर खुलेआम कालाबाजारी की जा रही है। भाजपा सरकार विशेष रूप से किसानों को बर्बाद करने के लिए समर्पित है क्योंकि कोई भी भाजपा सरकार किसानों को लागत के लिए कोई सहायता नहीं देती है। प्रति वर्ष 6000 रुपये की केंद्रीय किसान सम्मान निधि सहायता के कार्यान्वयन में 50 से 70 फीसदी की कमी है।

किसान मोर्चा ने कहा कि किसान नए बिजली बिल 2022 को तत्काल वापस लेने की मांग कर रहे हैं, भारत सरकार और राज्यों में बिजली दरों को लगभग दोगुना तक बढ़ाया जा रहा है। ग्रामीण लोगों को प्री-पेड मीटर लगाने के लिए मजबूर किया जा रहा है। ये लगान की तरह है जिसे अंग्रेजों ने तत्कालीन सामंतों के माध्यम से भारतीय किसानों से वसूला था। ट्यूबवेलों के बिजली कनेक्शन काटे जा रहे हैं और किसानों पर आपराधिक आरोप लगाए जा रहे हैं।

एसकेएम ने कहा कि किसान संगठनों ने लगातार सभी ग्रामीण परिवारों और ग्रामीण व्यापारियों के लिए 300 यूनिट मुफ्त बिजली और ट्यूबवेलों के लिए मुफ्त बिजली की मांग की है। जहां कांग्रेस ने 200 यूनिट का चुनावी वादा किया है, वहीं बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने रसोई गैस की कीमत मौजूदा दर से लगभग आधी करने का वादा किया है। इससे यह साबित होता है कि एसकेएम की मांगें जायज हैं।

एसकेएम ने एमएसपी और सभी फसलों की सुनिश्चित खरीद के साथ-साथ लोगों को उचित भोजन की गारंटी की भी मांग की है। खाद्य सुरक्षा में गिरावट के साथ यह और भी जरूरी हो जाता है। भारत सरकार के आंकड़े बताते हैं कि 2014-16 में अल्पपोषण 14 फीसदी था और 2022-23 में यह बढ़कर 5 साल से कम उम्र के सभी बच्चों में 16.6 फीसदी हो गया।

ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत आज 125 देशों में से 111वें स्थान पर है और हर साल इसकी स्थिति गिरती जा रही है। एसकेएम ने राशन के तहत प्रति व्यक्ति दाल सहित 14.5 किलोग्राम अनाज वितरण की मांग की है। यह केवल कृषि उत्पादन और खरीद में सुधार करके ही किया जा सकता है।

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि मोदी सरकार लखीमपुर में 4 किसानों और एक प्रेस रिपोर्टर के नरसंहार के मुद्दे को हल करने में पूरी तरह से विफल रही है और कानून की प्रक्रिया ने न्याय सुनिश्चित नहीं किया है। हत्या का आरोपी व्यक्ति गृह राज्यमंत्री के पद पर बना हुआ है। यहां तक कि किसानों पर दर्ज झूठे मुकदमे भी वापस नहीं लिए गए।

संयुक्त किसान मोर्चा ने सभी किसानों और लोकतांत्रिक ताकतों से अपील की है कि वे भारत के किसानों के इन महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाने के लिए राज्यों की राजधानियों में हो रहे महापड़ाव में शामिल हों और स्वामीनाथन फॉर्मूले के आधार पर एमएसपी के भुगतान और अन्य मुद्दों के लिए नए सिरे से आंदोलन खड़ा करें।

(जनचौक की रिपोर्ट)

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