Thursday, April 25, 2024

न्यायपालिका को विपक्षी पार्टी की भूमिका निभाने के लिए मजबूर कर रहे हैं कुछ पूर्व जज: किरण रिजिजू

केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने शनिवार को बड़ा और गंभीर आरोप लगाते हए कहा कि सेवानिवृत्त न्यायाधीश, जो भारत विरोधी गिरोह का हिस्सा हैं, न्यायपालिका को एक विपक्षी पार्टी की भूमिका निभाने के लिए मजबूर कर रहे हैं। कानून मंत्री ने चेतावनी देते हुए कहा कि ये लोग राष्ट्रविरोधी कारगुजारी का अंजाम जरूर भुगतेंगे। किरेन रिजिजू ने कहा कि भारतीय न्यायपालिका को कमजोर करने के लिए सोच-समझकर प्रयास किया जा रहा है।

दिल्ली में इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में बोलते हुए किरेन रिजिजूने कहा कि हाल ही में न्यायाधीशों की जवाबदेही पर एक संगोष्ठी हुई थी। लेकिन किसी तरह पूरी संगोष्ठी बन गई कि कैसे कार्यपालिका न्यायपालिका को प्रभावित कर रही है। रिजिजू ने कहा कि कुछ न्यायाधीश ऐसे हैं जो एक्टिविस्ट हैं और एक भारत विरोधी गिरोह का हिस्सा हैं, वे न्यायपालिका को विपक्षी दलों की तरह सरकार के खिलाफ करने की कोशिश कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि कुछ लोग सुप्रीम कोर्ट भी जाते हैं और कहते हैं कि कृपया सरकार पर लगाम लगाएं। यह तो नहीं हो सकता। न्यायपालिका तटस्थ है और न्यायाधीश किसी समूह या राजनीतिक संबद्धता का हिस्सा नहीं हैं। ये लोग खुले तौर पर कैसे कह सकते हैं कि भारतीय न्यायपालिका को सरकार का सामना करना चाहिए?

कानून मंत्री ने सवाल किया कि अगर राहुल गांधी या कोई भी कहता है कि भारतीय न्यायपालिका को हाईजैक कर लिया गया है या देश में लोकतंत्र खत्म हो गया है, न्यायपालिका मर चुकी है, इसका क्या मतलब है? भारतीय न्यायपालिका को कमजोर करने के लिए सोच-समझकर प्रयास किया जा रहा है। कानून मंत्री ने कहा कि यही कारण है कि दिन-ब-दिन वे यह कहने की कोशिश कर रहे हैं कि सरकार भारतीय न्यायपालिका को अपने कब्जे में लेने की कोशिश कर रही है ।

विभिन्न संस्थानों के बीच संवैधानिक लक्ष्मण रेखा का आह्वान करते हुए, रिजिजू ने पूछा कि क्या न्यायाधीश प्रशासनिक नियुक्तियों का हिस्सा बनते हैं, जो न्यायिक कार्य करेंगे। यह बयान चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट के 2 मार्च के फैसले के बारे में एक सवाल के जवाब में था। चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति संविधान में निर्धारित है। संसद को कानून बनाना है। उसी के अनुसार नियुक्ति की जानी है। मैं मानता हूं कि संसद में इसके लिए कोई कानून नहीं है, एक खालीपन है। चुनाव आयोग में होने वाली नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले पर रिजिजू का सवाल था कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया और जज हर नियुक्ति पर बैठने लग गए तो फिर न्यायपालिका के अपने कामों का क्या होगा। उनका कहना था कि जजों का अपना बहुत सारा काम है। उन्हें उसे करना चाहिए।

रिजिजू ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा जजों की नियुक्ति के लिए सिफारिश किए गए कुछ नामों पर सरकार की आपत्तियों को दोहराने के अपने कारणों और दोनों को सार्वजनिक करने के फैसले की भी आलोचना की।

कानून मंत्री ने कहा कि कांग्रेस की सरकारें जजों की नियुक्ति में बेवजह दखल देती थीं। इसी वजह से कॉलेजियम सिस्टम अस्तित्व में आया। उनका कहना था कि संविधान के मुताबिक जजों की नियुक्ति का काम सरकार का है।जजों की नियुक्ति के मसले पर सरकार और सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम के बीच बीते कुछ समय के दौरान संबंध काफी कटु हुए हैं।

कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने रिटायर्ड जजों के सिर इसका ठीकरा फोड़ते हुए कहा है कि वो सरकार और जूडिशियरी के बीच गलतफहमी पैदा कर रहे हैं। उसी अंदाज में जिस तरह से विपक्ष के लोग अक्सर करते हैं। कानून मंत्री ने चेतावनी देते हुए कहा कि ये लोग राष्ट्रविरोधी कारगुजारी का अंजाम जरूर भुगतेंगे।

उनका कहना था कि संविधान के मुताबिक जजों की नियुक्ति का काम सरकार का है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया और हाईकोर्ट के जजों से सलाह मशविरा करने के बाद सरकार को सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति करनी होती है। उनका कहना था कि जब तक कोई दूसरी व्यवस्था इजाद नहीं हो जाती, जजों की नियुक्ति के मामले में अभी कॉलेजियम सिस्टम ही काम करता रहेगा।

कुछ जजों की नियुक्ति को मंजूरी न देने के सवाल पर उनका कहना था कि वो इस बहस में नहीं पड़ना चाहते। उनका कहना था कि जिन लोगों की जजों के तौर पर नियुक्ति करने के प्रस्ताव को सरकार ने मंजूरी नहीं दी उसके पीछे कोई न कोई कारण ज़रूर था। उनका कहना था कि कॉलेजियम को इस बात का पता है कि सरकार ने इन प्रस्तावों को क्यों रोका। हमें भी पता है कि इन लोगों के नाम क्यों प्रस्तावित किए गए थे।

किरेन रिजिजू ने कहा कि अमेरिका में जज रोजाना चार से पांच केस ही सुनते हैं। जबकि भारत में जज रोजाना 50 से 60 केस सुनते हैं। कई बार तो केसों की तादाद सौ के पार हो जाती है। उनका कहना था कि जिस तरह से जज लगातार काम कर रहे हैं, उन्हें अवकाश की बेहद जरूरत है।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles