ग्रामीण भारत बंद की सफलता से किसानों में उत्साह, अब सिसौली की बैठक में बनेगी रणनीति

नई दिल्ली। किसानों का ‘दिल्ली चलो मार्च’ और संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) का ‘ग्रामीण भारत बंद’ का असर समूचे उत्तर भारत में देखा गया। इस तरह किसानों का आंदोलन शुक्रवार को चौथे दिन में प्रवेश कर गया। आज सुबह से ही किसान दिल्ली की सीमा में प्रवेश करने के लिए सुरक्षा बलों के साथ जद्दोजहद करते देखे गए। पंजाब-हरियाणा के शंभू सीमा पर प्रदर्शनकारी किसानों को आंसू गैस का सामना करना पड़ा, क्योंकि सुरक्षा बलों ने उन्हें तितर-बितर करने की कोशिश की।

किसान जहां अपनी मांग पर अड़े हैं वहीं सरकार किसानों को एक बार फिर आश्वासन देकर मनाना चाहती है। लेकिन किसान 23 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी, अपने कर्ज की माफी और 2020-21 के किसान आंदोलन के दौरान उनके खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। शुक्रवार सुबह पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, किसान संघों के प्रमुखों और केंद्रीय मंत्रियों पीयूष गोयल, अर्जुन मुंडा और नित्यानंद राय के बीच तीसरे दौर की वार्ता हुई। पहले के दो दौर की वार्ता की तरह इस बातचीत का भी कोई बहुत अर्थ नहीं निकला। लेकिन रविवार को किसान नेताओं और केंद्र सरकार के नुमाइंदों के बीच एक बार फिर बैठक होना तय हुआ है।

पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी यूपी में दिखा बंद का असर

एमएसपी की कानूनी गारंटी सहित किसानों की मांगों को स्वीकार करने के लिए सरकार पर दबाव बनाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा के ‘भारत बंद’ के आह्वान के जवाब में पंजाब पुलिस सड़कों से नदारद रहीं।

राज्य में कई स्थानों पर बाजार और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान भी बंद रहे, जबकि किसानों ने कई स्थानों पर प्रदर्शन किया और पठानकोट, तरनतारन, बठिंडा और जालंधर में राष्ट्रीय राजमार्गों को अवरुद्ध कर दिया। उन्होंने अपनी मांगें नहीं मानने पर केंद्र के खिलाफ नारे लगाये।

हरियाणा के हिसार में, हरियाणा रोडवेज सेवाएं ठप हो गईं क्योंकि उसके कर्मचारियों ने ‘भारत बंद’ का समर्थन किया और काम से दूर रहे। भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) के सदस्यों ने हरियाणा के कई टोल प्लाजा पर धरना दिया और अधिकारियों पर यात्रियों से टोल टैक्स न वसूलने के लिए दबाव डाला।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी विरोध प्रदर्शन हुए। भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) नेता राकेश टिकैत ने मुजफ्फरनगर में दिल्ली-देहरादून राष्ट्रीय राजमार्ग पर बागोवाली क्रॉसिंग पर आयोजित विरोध प्रदर्शन में भाग लिया।

भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) नेता राकेश टिकैत ने संवाददाताओं से कहा, “हम स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने, कर्ज माफी आदि मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।”

राकेश टिकैत ने कहा, “शनिवार को सिसौली (मुजफ्फरनगर) में एक बैठक निर्धारित है, जहां भविष्य की रणनीति की योजना बनाई जाएगी।”

बिजनौर में, बीकेयू सदस्यों ने कुछ गन्ना तौल केंद्रों पर काम बाधित किया। बागपत में बीकेयू सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन किया।

राष्ट्रीय राजधानी में सुरक्षा बढ़ाने के साथ दिल्ली पुलिस रही हाई अलर्ट पर

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) द्वारा दिए गए ‘भारत बंद’ के आह्वान के मद्देनजर दिल्ली पुलिस हाई अलर्ट पर रही और राष्ट्रीय राजधानी में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। पुलिस के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी में कई इलाकों में बैरिकेड लगाए जाने से यातायात प्रभावित रहा। दिल्ली और हरियाणा के बीच दो सीमा बिंदु यातायात के लिए बंद रहे और दंगा-रोधी सुरक्षाकर्मियों की भारी तैनाती की गई।

सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर भारी सुरक्षा बल को तैनात किया गया है। किसानों को राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने से रोकने के लिए बैरिकेड्स, कंटीले तारों और कंक्रीट ब्लॉकों की कई परतें लगाई गई हैं।

65 वर्षीय किसान का शंभू बॉर्डर पर दिल का दौरा पड़ने से मौत

पंजाब के एक 65 वर्षीय किसान का शंभू बॉर्डर पर दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह ‘दिल्ली चलो’ विरोध प्रदर्शन में शामिल थे। मृतक किसान का नाम ज्ञान सिंह है, वह गुरदासपुर जिले के चाचेकी गांव के रहने वाले थे।
उनके भतीजे जगदीश सिंह ने बताया कि ज्ञान सिंह शंभू बैरियर स्थल से लगभग एक किलोमीटर दूर पांच अन्य किसानों के साथ एक ट्रॉली में सो रहे थे, जब उन्होंने लगभग 3 बजे बेचैनी महसूस होने की सूचना दी।

जगदीश सिंह ने बताया, “हमने शंभू पुलिस स्टेशन के पास खड़ी एम्बुलेंस को बुलाया और उसे राजपुरा सिविल अस्पताल ले गए। हालांकि, उन्हें राजिंदरा मेडिकल कॉलेज, पटियाला रेफर कर दिया गया, क्योंकि उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। एंबुलेंस में उन्हें ऑक्सीजन सप्लाई दी गई। सुबह 5 बजे तक, हम मेडिकल कॉलेज पहुंच गए लेकिन अस्पताल में लगभग 7.45 बजे उनकी मृत्यु हो गई। ”

पैलेट चोटों के कारण 3 किसानों की आंखों की रोशनी चली गई

किसानों को दिल्ली की ओर मार्च करने से रोकने के लिए हरियाणा पुलिस द्वारा चलाए गए आंसू गैस के गोले और रबर की गोलियों से घायल 70 से अधिक किसानों में से कम से कम तीन किसानों की आंखों की रोशनी चली गई है।

पटियाला के घनौर के 22 वर्षीय किसान दविंदर सिंह भंगू शेखुपुरिया की आंख में गोली निकालने के लिए गुरुवार को सर्जरी की गई। चंडीगढ़ के सेक्टर 32 में स्थित सरकारी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने कहा कि संभव है कि उसकी बायीं आंख की रोशनी हमेशा के लिए चली गयी हो।

शेखुपुरिया कम से कम तीन किसानों में से एक हैं, जिन्होंने अन्य मांगों के अलावा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी की मांग कर रहे किसानों के चल रहे आंदोलन के दौरान गोली लगने से अपनी आंखों की रोशनी खो दी है। बुधवार को, हरियाणा पुलिस ने किसानों को दिल्ली की ओर मार्च करने से रोकने के प्रयास में, पंजाब-हरियाणा सीमा पर दो बिंदुओं- शंभू (पटियाला-अंबाला सीमा) और खनौरी (संगरूर-हिसार सीमा) पर आंसू गैस के गोले और रबर की गोलियां चलाईं।

पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने कहा, ”कम से कम तीन किसानों की आंखें चली गईं। उनमें से एक जीएमसीएच 32, चंडीगढ़ में है और उनमें से दो को राजिंदरा अस्पताल, पटियाला में भर्ती कराया गया है। हमने उनकी जांच कराई है और उनकी आंखें नहीं बचाई जा सकतीं। हरियाणा पुलिस ने न केवल पानी की बौछारें और आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल किया, बल्कि गोलियों और पैलेट गन का भी इस्तेमाल किया।”

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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