हरियाणा में किसान आंदोलन को कुचलने की सारी कोशिशें आज नाकाम हो गईं। किसानों ने अपनी सधी हुई रणनीति से हरियाणा की खट्टर सरकार को पराजित कर दिया। क़रीब दो लाख किसान इस वक्त करनाल अनाज मंडी में जमा हैं। किसान नेताओं ने करनाल में 7 सितम्बर को सिर्फ़ जिला स्तरीय प्रदर्शन की ही घोषणा की थी। लेकिन हरियाणा सरकार ने 24 घंटे पहले करनाल, जीन्द, पानीपत, कैथल और कुरुक्षेत्र में इंटरनेट पर पाबंदी और धारा 144 लगाकर इस आंदोलन को और हवा दे दी। हालाँकि अभी तो इसमें हरियाणा सरकार की बेवक़ूफ़ी दिख रही है लेकिन हो सकता है कि आगे चलकर यह बात साफ़ होगी कि हरियाणा सरकार ने अचानक ही करनाल में किसानों के प्रदर्शन को इतनी हवा क्यों दे दी और बाद में घुटने टेक दिए।
किसान नेताओं की सूझबूझ
किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी जब बाक़ी नेताओं के साथ कल शाम डीसी निशांत यादव से मिलने गए तो यह आंदोलन ज़िला स्तरीय था। लेकिन ‘ऊपर’ के लोगों के इशारे पर डीसी ने जिस लहजे में किसान नेताओं से बात की, उसी से साफ़ हो गया कि सरकार आंदोलन कुचलना चाहती है। डीसी दफ़्तर से बाहर निकलने के बाद चढ़ूनी ने बलबीर सिंह राजेवाल, दर्शन पाल, योगेन्द्र यादव और राकेश टिकैत को हालात की जानकारी दी। इन नेताओं ने चढ़ूनी से कहा कि अब वे लोग भी करनाल पहुँचेंगे और किसानों की पंचायत होकर रहेगी। किसान नेताओं को समझ में आ गया कि अगर सरकार मौक़ा दे रही है तो मुज़फ़्फ़रनगर के बाद अपनी ताक़त दिखाने का यह एक और मौक़ा है।
प्रशासन घुटनों पर आया
करनाल के डीसी, एसपी जो कल शाम तक बढ़चढ़कर बात कर रहे थे और सुरक्षा बलों की 40 कंपनियाँ तैनात करने की बात कर रहे थे, आज सुबह किसानों का हुजूम देखकर घुटनों पर आ गए। यह भी मुमकिन है कि आज खूनखराबा की आशंका के मद्देनज़र सरकार खुद पीछे हट गई। क्योंकि सुबह 11 बजे अधिकारियों ने किसान जत्थों को करनाल अनाज मंडी आने की इजाज़त दे दी। यह किसान नेताओं के लिए अप्रत्याशित था। इसके बाद लघु सचिवालय पर प्रदर्शन को टालने के लिए ज़िला प्रशासन ने 11 किसान नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया। किसान नेताओं ने भी बातचीत के आमंत्रण को स्वीकार कर लिया।
करनाल के आज के घटनाक्रम ने किसान आंदोलन को नई ऊँचाइयों पर पहुँचा दिया है। सरकार ने जिस तरह इंटरनेट बैन किया, धारा 144 लगाकर चारों तरफ़ बैरिकेडिंग कर दी, भारी पुलिस बल तैनात कर दिया, इसके बावजूद किसानों का हज़ारों की तादाद में पहुँचना बहुत मायने रखता है।
करनाल में तनाव बरकरार
इस रिपोर्ट को लिखे जाने तक करनाल अनाज मंडी को चारों तरफ़ से पुलिस और सुरक्षा बलों ने घेर रखा है। किसान बाहर नहीं आ पा रहे हैं। मंशा साफ़ है कि किसानों को लघु सचिवालय की तरफ़ बढ़ने से रोकना। ऐसे में कब क्या हो जाए कहा नहीं जा सकता। क्योंकि ज़िला प्रशासन के अधिकारी एक तरफ़ तो बातचीत का नाटक कर रहे हैं तो दूसरी तरफ़ दबाव भी बढ़ा रहे हैं। हालात पर हम लोगों की नज़र है। नया घटनाक्रम होने पर यह रिपोर्ट नए सिरे से पेश की जाएगी।
इस बीच हरियाणा के सीएम ने चंडीगढ़ में मीडिया से बात करते हुए कहा कि लोकतंत्र में सभी को प्रदर्शन का अधिकार है। करनाल में किसानों से बातचीत चल रही है, कोई न कोई रास्ता निकलेगा।
किसानों की माँग
28 अगस्त को प्रदर्शन के दौरान पुलिस के बर्बर लाठीचार्ज से किसान सुशील काजला की मौत हो गई थी। उसी दिन एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा पुलिस वालों से यह कहते हुए नज़र आ रहा है कि किसानों के सिर फोड़ दो। मैं देख लूँगा। उसने कई बार दोहराया कि बात समझ में आ गई ना? इस वीडियो के आधार पर संयुक्त किसान मोर्चा और किसान संगठनों ने आईएएस आयुष सिन्हा पर धारा 302 के तहत केस दर्ज करने और उसे बर्खास्त करने की माँग रख दी है। उनका कहना है कि किसान सुशील काजला के परिवार को मुआवज़ा दिया जाए और परिवार के सदस्य को नौकरी दी जाए।
(यूसुफ किरमानी वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं।)