Saturday, April 20, 2024

यूपी के किसानों ने भी बोला दिल्ली पर धावा! गाजीपुर बॉर्डर पर बैरिकेड तोड़कर बैठे धरने पर

ग़ाजीपुर बॉर्डर पर पुलिस बैरिकेडिंग तोड़कर उत्तर प्रदेश के सैंकड़ों किसान दिल्ली की सीमा में घुस गए हैं। पुलिस को उन्हें रोकने के लिए आपतकालीन स्थित में ट्रक की बैरिकेडिंग लगानी पड़ी है।

बता दें कि दिल्ली के मथुरा, बागपत, मेरठ, मुजफ्फ़रनगर से किसान ट्रैक्टरों और डाला में बैठकर दिल्ली डेरा डालने के लिए आज सुबह ही निकले हैं। ये किसान भारतीय किसान यूनियन यूपी के नेता राकेश टिकैत के नेतृत्व व आह्वान पर यहां पहुंचे हैं।

यूपी पुलिस और दिल्ली पुलिस यूपी के किसानों को समझाने की कोशिश कर रही है। पुलिस की तरफ से किसानों को बिना ट्रैक्टर के ही बुराड़ी स्थित निरंजनी मैदान जाने की इज़ाज़त दी गई है। लेकिन किसान दिल्ली के जंतर-मंतर जाने देने से कम की किसी भी शर्त पर राजी नहीं हो रहे हैं। किसान वहीं गाजीपुर बॉर्डर पर ही सड़क पर हुक्का पानी लेकर धरना देने बैठ गए हैं। भारतीय किसान संघ के नेता राकेश टिकैत का कहना है कि “सलाह मशविरा करने के बाद यहां से आगे बढ़ेंगे। तब तक यहीं डेरा डालेंगे।”   

ये ख़बर उन लोगों के लिए है जो लगातार यह सवाल उठा रहे थे कि यदि ये किसानों का आंदोलन है तो इसमें यूपी, बिहार, तमिलानड़ु के किसान क्यों नहीं शामिल हैं। हरियाणा के मुख्य़मंत्री मनोहर सिंह खट्टर जो पंजाब के आंदोलनकारी किसानों को खालिस्तानी समर्थक बता रहे हैं उन्हें उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए भी कोई सूटेबल शब्द ढूँढ लेना चाहिए।

बता दें कि उत्तर प्रदेश के किसान कल मथुरा एक्सप्रेस वे को ब्लॉक करके सड़क पर बैठ गए थे। जबकि बागपत मेरठ, मुजफ्फरनगर के किसान दिल्ली कूच के लिए निकले थे। गाजियाबाद, नोएडा, गाजीपुर, लोनी समेत तमाम यूपी-दिल्ली बॉर्डर को पुलिस ने सील कर दिया था। साथ ही गाजियाबाद, वैशाली समेत यूपी के तमाम मेट्रो स्टेशन को बंद करके रखा गया था।    

दिल्ली पुलिस ने अपने सभी जिलों की यूनिट को अलर्ट पर रखा है। लोकल इंटेलिजेंस यूनिट के भी कई दर्जन अधिकारियों को दिल्ली के सभी  बॉर्डर पर पहले से ही तैनात किया जा चुका है। इसके मद्देनज़र दिल्ली-यूपी के भोपुरा बॉर्डर, अप्सरा बॉर्डर, कासना बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए हैं।

गृहमंत्री अमित शाह ने किसान नेता जोगेंद्र सिंह को किया फोन

ख़बर है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने टिकरी बॉर्डर पर डेरा डाले बैठे किसान नेता जोगेन्द्र सिंह को फोन करके टिकरी बॉर्डर छोड़ बुराड़ी स्थित निरंकारी समागम ग्राउंड जाने को कहा है। जोगेन्द्र सिंह ने अमित शाह से कहा कि फिर आप हमें जंतर-मंतर जाने दीजिए। इसके जवाब में अमित शाह ने कहा इतने बड़े पैमाने पर किसानों के साथ जंतर-मंतर नहीं जाने दिया जा सकता।

सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने फूँका नरेंद्र मोदी का पुतला

वहीं पिछले तीन दिनों से सिंघु बॉर्डर पर डटे किसानों ने आज दिल्ली-हरियाणा सिंघु बॉर्डर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला फूंका है। बता दें कि सिंघु बॉर्डर अभी भी दोनों ओर से बंद है और दिल्ली पुलिस ने लोगों से वैकल्पिक मार्ग का सहारा लेने की अपील की है। जबकि मुकरबा चौक और जीटीके रोड से ट्रैफिक डायवर्ट किया गया गया है क्योंकि वहां ट्रैफिक जाम है और गाड़ियों का काफिला लगा है। पुलिस ने भी ट्वीट करके लोगों से कहा है कि वो सिग्नेचर ब्रिज से रोहिणी और इसके विपरीत, GTK रोड, NH-44 और सिंघु बॉर्डर तक बाहरी रिंग रोड से बचें।

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (AIKSCC) ने सरकारी दमन की निंदा की

एआईकेएससीसी, आरकेएमएस, बीकेयू (रजेवाल), बीकेयू (चडूनी) व अन्य किसान संगठनों ने भारत सरकार से अपील की है कि वह किसानों की समस्याओं को सम्बोधित कर उन्हें हल करे और बिना किसी समाधान को प्रस्तुत किए, वार्ता करने का गैरगम्भीर दिखावा न करें।

सभी संघर्षरत संगठनों के संयुक्त प्रेस बयान में आज यह बात कही गयी, जबकि दसियों हजार की संख्या में किसान भाजपा सरकार की पुलिस द्वारा दमन करने व रास्ते में भारी बाधाएं उत्पन्न करने के बावजूद दिल्ली की ओर आगे बढ़ते जा रहे हैं। दिल्ली की सीमाओं से उनकी रैली 80 किमी दूर तक खड़ी हुई है।

साथ ही किसानों के संयुक्त मोर्चे ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राज्य के किसानों पर बर्बर दमन की कड़ी निन्दा की है। उत्तराखण्ड के किसान भी बड़ी संख्या में यूपी में धरनारत हैं क्योंकि यूपी की पुलिस उन्हें दिल्ली की ओर आगे बढ़ने नहीं दे रही है।

यह विशाल गोलबंदी देश के किसानों के अभूतपर्व व ऐतिहासिक प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसमें किसान तब तक दिल्ली रुकने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जब तक उनकी मांगें पूरी न हों। किसान संगठनों ने कहा कि देश के किसान दिल्ली रुकने के लिए नहीं आए हैं, अपनी मांगे पूरी कराने आए हैं। सरकार को इस मुख्य बिन्दु को नजरंदाज नहीं करना चाहिए। 

गाजीपुर में धरने पर बैठे किसान।

किसान संगठनों ने भारत सरकार की कड़े शब्दों में आलोचना करते हुए कहा कि वह किसानों द्वारा उठाई गई मांग – तीन कृषि कानून व बिजली बिल 2020 को रद्द किये जाने को संबोधित ही नहीं कर रही है। जहां सरकार अब भी इन कानूनों के पक्ष में किसानों व उनकी आमदनी में मददगार होने के बयान दे रही है, देश भर के किसानों की मांग है कि ये कानून रद्द कर दिये जाएं। ये कानून ना केवल सरकारी खरीद व एमएसपी को समाप्त कर देंगे, ये पूरी खेती के काम को भारतीय व विदेशी कम्पनियों द्वारा ठेका खेती में शामिल करा देंगे और किसानों की जमीन छिनवा देंगे तथा उनकी सम्मानजनक जीविका समाप्त हो जाएगी। ठेका खेती के अनुभव भयंकर विनाशकारी रहे हैं और किसान समझते हैं कि इससे उनकी कर्जदारी व जमीन की बिक्री बढ़ जाएगी। किसान नेताओं ने इन कानूनों पर हमला करते हुए कहा है कि ये राशन व्यवस्था को बरबाद कर देंगे, खाने की कीमतों से नियंत्रण समाप्त करा देंगे, कालाबाजारी को बढ़ावा देंगे और खाद्यान्न सुरक्षा को समाप्त कर देंगे। 

(जनचौक संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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