अमेरिका का संगीन आरोप, पन्नू की हत्या की साजिश रच रहे थे भारतीय अधिकारी

पिछले कुछ माह से कनाडा-भारत के बीच कनाडाई नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले का विवाद ठंडा भी नहीं पड़ा था कि अब अमेरिका में एक अन्य खालिस्तान अलगावादी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचने के पीछे भारत सरकार के अधिकारियों का हाथ होने को लेकर अमेरिकी अदालत में मामला तक दर्ज हो चुका है। बता दें कि अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ़ जस्टिस ने अपने अभियोगपत्र में कहा है कि भारतीयों ने पन्नू की हत्या के लिए भेजी गई रकम को जिस भाड़े के हत्यारे को सौंपा था, असल में वह आदमी अमेरिका में एक अंडरकवर अधिकारी था।

इस खबर ने भारत सही पूरी दुनिया में हड़कंप मचा रखा है, और दुनियाभर के अखबार इसे प्रमुखता से आज अपने समाचारपत्रों की हेडलाइंस बनाये हुए हैं। भारत सरकार की ओर से अरिंदम बागची ने कल और आज पत्रकार वार्ता के दौरान एक बार फिर से दोहराया है कि 18 नवंबर को इस संबंध में भारत सरकार ने एक उच्च-स्तरीय जांच समिति का गठन किया है, जो सभी मामलों की जांच करेगी, जिसके आधार पर आवश्यक कदम उठाये जायेंगे।  

बता दें कि संयुक्त राज्य अमेरिका की फ़ेडरल प्रासीक्यूटर ने एक भारतीय ख़ुफ़िया अधिकारी पर न्यूयॉर्क में खालिस्तान अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू को कथित तौर पर जान से मारने के लिए भारत से एक साजिश की योजना बनाने और इसे निर्देशित करने का गंभीर आरोप लगाया है। इस साजिश में कथित तौर पर एक अन्य भारतीय नागरिक के साथ-साथ दो अन्य व्यक्तियों (जिसमें से एक स्रोत और दूसरा एक भाड़े का हत्यारा) शामिल था, जिसमें हिटमेन असल में ख़ुफ़िया अमेरिकी अधिकारी था। 

ये आरोप यूएस जस्टिस डिपार्टमेंट के द्वारा मैनहट्टन की एक संघीय अदालत में दायर एक अभियोगपत्र में लगाये गये हैं। अभियोगपत्र के मुताबिक 52 वर्षीय भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता, जिसे उसके उपनाम निक से भी जाना जाता है, एक भारतीय अधिकारी है। निखिल गुप्ता को इस साल 30 जून को चेक अधिकारियों ने हिरासत में लिया था, और उसके ऊपर भाड़े पर हत्या करने और भाड़े पर हत्या करने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया था। उनमें से प्रत्येक अपराध के लिए अधिकतम 10 वर्ष की जेल की वैधानिक सजा का प्रवधान है।

अभियोगपत्र में एक अन्य भारतीय अधिकारी को लेकर भी आरोप लगाया गया है, लेकिन इसके नाम का उल्लेख नहीं है। उसके नाम के स्थान पर उसे सीसी-1 के तौर पर संदर्भित किया गया है। अभियोग में कहा गया है कि उक्त भारतीय अधिकारी द्वारा खुद को “सीनियर फील्ड ऑफिसर” के तौर पर व्याख्यायित किया गया है,  जिसके पास “सुरक्षा प्रबंधन” एवं “इंटेलिजेंस” का कार्यभार है। यह भी जानकारी मिल रही है कि उक्त अधिकारी के पूर्व में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में कार्यरत होने और “बैटलक्राफ्ट” एवं “हथियारों” में प्रशिक्षण प्राप्त करने का रिकॉर्ड रहा है। 

अभियोगपत्र में यह भी कहा गया है कि मई 2023 में या उसके आसपास इस भारतीय अधिकारी के द्वारा अमेरिका में पन्नू की हत्या की साजिश रचने के लिए गुप्ता को तैनात किया गया था। इसमें यह भी कहा गया है कि उस अधिकारी द्वारा गुप्ता को इस बात के लिए आश्वस्त किया गया था कि “उसके गुजरात मामले को निपटाया जा रहा है और कोई भी उसे इसके बाद फिर कभी परेशान नहीं करेगा।”

उसने इसके बाद गुप्ता और एक डीसीपी (पुलिस उपायुक्त) के बीच एक मीटिंग की व्यवस्था करने की पेशकश की थी। अभियोग में आगे कहा गया है कि गुप्ता भारत में रहता है और उसने अधिकारियों और अन्य लोगों के साथ अपनी बातचीत में अन्तर्राष्ट्रीय नशीले पदार्थों एवं हथियारों की तस्करी में अपनी संलिप्तता का जिक्र किया है। भारतीय अधिकारी के निर्देश पर गुप्ता ने एक ऐसे व्यक्त से संपर्क किया जिसे वह एक आपराधिक किस्म का व्यक्ति समझता था, लेकिन असल में वह अमेरिकी कानून प्रवर्तन के साथ काम करने वाला एक ‘विश्वस्त सूत्र’ था। इसी विश्वसनीय सूत्र ने गुप्ता को एक कथित हिटमैन से मिलवाया, जो असल में एक अमेरिकी कानून प्रवर्तन अधिकारी (जिसे यूसी कहा जाता है) था, और अंडरकवर के तौर पर काम कर रहा था। 

इस प्रकार भारतीय अधिकारी ने गुप्ता के मार्फत अंडरकवर अधिकारी को पन्नू की हत्या के बदले 1,00,000 अमेरिकी डॉलर का भुगतान करने के सौदे में राजी करा लिया।

अभियोग में यह भी कहा गया है कि “2 जून 2023 या उसके आसपास भारतीय अधिकारी ने गुप्ता को संदेश भिजवाया और हत्या की साजिश को लेकर अपडेट मांगा, और कहा कि यह महत्वपूर्ण है और समय कम बचा है। गुप्ता ने इसके जवाब में कहा कि अगले दिन उसे इस बारे में अपडेट मिलने की उम्मीद है। अगले दिन 3 जून 2023 को गुप्ता ने विश्वस्त सूत्र से ऑडियो कॉल के जरिये संपर्क साधा और उससे अपने साथी संपर्क साधकर जल्द से जल्द इस हत्या को अंजाम देने का आग्रह किया। गुप्ता के शब्द कुछ इस प्रकार थे: “उसे खत्म कर दो भाई, उसे खत्म कर दो, ज्यादा समय बर्बाद मत करो… इन लोगों पर दबाव डालो, इन लोगों पर दबाव बनाओ…काम को खत्म करो।” 

इसमें आगे कहा गया है कि 9 जून को या उसके आसपास, “भारतीय अधिकारी और गुप्ता ने एक सहयोगी का प्रबंध किया, और हत्या को अंजाम देने के लिए अग्रिम भुगतान के तौर पर अंडरकवर अधिकारी को 15,000 डॉलर नकद एडवांस देने का आदेश दिया। इसके बाद भारतीय अधिकारी के सहयोगी ने मैनहट्टन में अंडरकवर अधिकारी तक 15,000 डॉलर पहुंचा दिए थे।” 

इसमें आगे कहा गया है कि, “जून 2023 या इसके आसपास भारतीय अधिकारी ने गुप्ता को पन्नून के बारे में कुछ व्यक्तिगत जानकारी प्रदान की, जिसमें न्यूयॉर्क शहर में पन्नू के घर का पता, उससे संबंधित फोन नंबर और पन्नू की दैनिक दिनचर्या के बारे में विवरण शामिल थे, जिसे गुप्ता ने अंडरकवर अधिकारी को आगे प्रेषित कर दिया था।” इसमें कहा गया है कि भारतीय अधिकारी ने गुप्ता को हत्या की साजिश की प्रगति को लेकर नियमित तौर पर सूचनाएं प्रदान करने का निर्देश दिया था, जिसे गुप्ता ने अन्य चीजों के अलावा, पन्नू की निगरानी तस्वीरों को भेजकर पूरा किया।

अभियोग में आगे कहा गया है कि “गुप्ता द्वारा अंडरकवर अधिकारी को जितनी जल्दी संभव हो सके इस हत्या को अंजाम देने का निर्देश दिया गया, लेकिन इसके साथ ही उक्त अंडरकवर अधिकारी को गुप्ता की ओर से विशेष रूप से निर्देश दिया गया था कि इस काम को आगामी हफ्तों में होने वाली उच्च-स्तरीय अमेरिकी-भारतीय अधिकारियों की वार्ता के दौरान अंजाम न दिया जाये। गुप्ता ने इस बारे में समझाया कि एक पन्नू की सार्वजनिक प्रोफाइल एक कार्यकर्त्ता की होने के चलते, उसकी मौत पर भारी विरोध प्रदर्शन की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है, जो “राजनीतिक चीजों को जन्म दे सकता है, और यदि नियोजित बैठकों के दौरान अमेरिकी धरती पर पन्नून की हत्या हो जाती है तो इसके भिन्न भू-राजनीतिक निहितार्थ हो सकते हैं।”

“गुप्ता ने इसके साथ ही यह बात भी कही नियोजित कार्यक्रम के बाद और भी काम, और काम निकलेगा, जिसका आशय था कि पीड़ित (पन्नू) की तरह और ज्यादा हत्याओं को अंजाम दिया जाना है। भारतीय अधिकारी ने गुप्ता को निर्देशित किया था कि वह इस हत्या को उच्च-स्तरीय अमेरिकी-भारतीय अधिकारियों की बैठक के दौरान अंजाम न दे। उदाहरण के लिए 11 जून 2023 या उसके आसपास, गुप्ता से पीड़ित पन्नू की अतिरिक्त कथित निगरानी वाली तस्वीरें मिलने के बाद भारतीय अधिकारी ने गुप्ता को संदेश भेजा: “यह आशाजनक लग रहा है, लेकिन हमें यह काम आज ही करना होगा, अगर आज नहीं हुआ तो इसे फिर 24 तारीख के बाद ही अंजाम देना होगा।” जिसका आशय था कि दोनों देशों के अधिकारियों की बैठक के बाद।

संयोग से प्रधानमंत्री मोदी 21 से 23 जून के बीच अमेरिका की राजकीय यात्रा पर थे, जिसमें उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ मुलाक़ात की थी। अभियोग में 18 जून को कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में एक सिख मंदिर के बाहर नकाबपोश बंदूकधारियों द्वारा हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का उल्लेख किया गया है। अभियोगपत्र कहता है, “उस शाम को भारतीय अधिकारी द्वारा गुप्ता को एक वीडियो क्लिप भेजा गया था, जिसमें निज्जर खून से लथपथ अपने वाहन के भीतर गिरा दिख रहा था। इसके जवाब में गुप्ता का कहना था कि काश उसने स्वयं इस हत्या को अंजाम दिया होता और उसने भारतीय अधिकारी से फील्ड में जाने की इजाजत मांगी।”

इसके जवाब में भारतीय अधिकारी का कहना था कि “गोपनीयता महत्वपूर्ण है” और “बेहतर होगा कि तुम एक्शन में शामिल न रहो।” इसके लगभग एक घंटे बाद भारतीय अधिकारी ने गुप्ता को न्यूयॉर्क शहर में पन्नू के आवास का पता भेज दिया था।

इसमें कहा गया है कि भारतीय अधिकारी से मिली खून से लथपथ निज्जर वीडियो क्लिप को गुप्ता ने कुछ मिनटों भीतर ही गोपनीय एवं अंडरकवर अधिकारी को फॉरवर्ड कर दी थी। अभियोगपत्र में कहा गया है कि “जल्द ही 19 जून या इसके आसपास गुप्ता ने एक ऑडियो काल के माध्यम से अंडरकवर अधिकारी को बताया कि निज्जर भी निशाने पर था, लेकिन निज्जर सूची में तीसरे या चौथे स्थान पर था, लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि हमारे पास और भी बहुत सारे टारगेट्स है, हमारे पास बहुत सारे टारगेट्स हैं। लेकिन अच्छी खबर यह है कि अब और इंतजार करने की कोई जरूरत नहीं है।”

इसके साथ ही गुप्ता ने अलग से स्रोत के साथ एक ऑडियो काल बातचीत की थी, जिसके दौरान उसने इस बात की पुष्टि की कि निज्जर भी निशाने पर था, जिसके बारे में उसने पूर्व में संभावित काम के तौर पर उल्लेख किया था और कहा, “यह रहा वो आदमी, मैं तुम्हें उसकी वीडियो भेजता हूं… हमने इस काम को “अंडरकवर को नहीं सौंपा, इसलिए किसी अन्य ने इस काम को कनाडा में अंजाम दिया है।” 

अभियोगपत्र में कहा गया है कि “उच्च-स्तरीय अमेरिकी एवं भारत सरकार के अधिकारियों के बीच निर्धारित वार्ता के बाद तक पन्नून को मारने में देरी करने के अपने पूर्व निर्देश में बदलाव करते हुए गुप्ता ने सूत्र को कहा कि अंडरकवर अधिकारी को पन्नू को जल्द से जल्द मार देना चाहिए। इसके साथ यह भी सूचित करते हुए गुप्ता ने स्रोत को कहा कि “हमें किसी भी समय, यहां तक कि आज, कल जितनी जल्दी संभव हो सके, इस काम को अंजाम देने की इजाजत मिल गई है।”

अभियोग में यह भी कहा गया है कि, “गुप्ता ने सूत्र से यह भी कहा कि निज्जर हत्याकांड के मद्देनजर पीड़ित (पन्नू) के पहले की तुलना में ज्यादा चौकन्ना रहने की संभावना है। वह पहले से अधिक चौकन्ना हो गया होगा क्योंकि कनाडा में उसका सहयोगी मार गिराया गया है। मैंने तुम्हें वो वीडियो भेजा था। इसलिए वह अधिक सतर्क होगा, इसलिए हमें उन्हें और मौका नहीं देना चाहिए, कोई भी मौका नहीं देना चाहिए।” इसके साथ ही गुप्ता ने कहा “अगर वह अकेला नहीं मिलता, और उसके साथ दो लोग या उससे अधिक होते हैं, तो सबको मार गिराना, प्रत्येक को मार गिराना है।”

अभियोग में कहा गया है, “निज्जर हत्याकांड के अगले दिन 19 जून को गुप्ता ने अंडरकवर को बताया था कि निज्जर भी टारगेट था, और “हमारे पास अभी कई टारगेट हैं।” निज्जर हत्याकांड के आलोक में गुप्ता का कहना था कि पीड़ित की हत्या करने के लिए “अब और इंतजार करने की जरूरत नहीं है।” 20 जून के आसपास भारतीय अधिकाई ने गुप्ता को पन्नू के बारे समाचारपत्र के एक लेख को भेजा और गुप्ता को संदेश भेजा, “अब यह प्राथमिकता पर है।” 

अभियोगपत्र में कहा ग्या है, “इसके फौरन बाद ही गुप्ता ने ऑडियो काल के माध्यम से गोपनीय स्रोत को पन्नू को मारने का “मौका ढूंढ़ने” और इस काम को जल्द से जल्द अंजाम देने के निर्देश दे दिए थे। गुप्ता का कहना था कि “29 जून से पहले हमें ऐसे चार काम पूरे करने हैं। पीड़ित (पन्नू), और उसके बाद “तीन और लोग कनाडा में” हैं।”

(रविंद्र पटवाल जनचौक की संपादकीय टीम के सदस्य हैं।)

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