आरएसएस और भाजपा लोगों को आपस में लड़ा रहे हैं, महिला आरक्षण एक जुमला: अरुंधति रॉय

नई दिल्ली। न्याय, बराबरी, महिला आजादी और अधिकारों को लेकर अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन(ऐपवा) का 9वां अधिवेशन दिल्ली के सुरजीत भवन में  30 सितंबर और 1 अक्टूबर को हुआ। जिसका थीम था “बेड़ियों को तोड़ आगे बढ़ती महिलाएं: लोकतांत्रिक, समतावादी भारत की तरफ बढ़ते कदम। अधिवेशन में देश के अलग-अलग हिस्सों से आई महिलाओँ ने हिस्सा लिया। सभी महिलाओं ने अपने पहनावे के जरिये अपने-अपने राज्य को रिप्रेंट किया साथ ही हक और बराबरी की हुंकार भरी। देश की प्रगतिशील महिलाओ ने क्रांतिकारी गीतों के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की। जहां डबली के साथ महिलाओँ ने गीतों में क्रांतिकारी अंदाज में अपना हक मांगा।

दो दिन तक चले इस अधिवेशन का उद्धाटन प्रसिद्ध लेखिका और सामजिक कार्यकर्ता अरुंधति रॉय ने अपने भाषण से किया। उन्होंने आरएसएस और भाजपा पर सीधा निशाना साधते हुए महिला आरक्षण बिल को जुमला बताया। उन्होंने कहा कि “ये लोगों का आपस में लड़ा रहे हैं। देश में जिन लोगों ने जाति व्यवस्था से निजात पाने के लिए धर्म परिवर्तन किया। आज उन्हीं पसमांदा मुसलमानों को मुगलों की औलाद कहा जा रहा है।“

उन्होंने कहा कि “देश में ज्यादातर लड़ाई जाति व्यवस्था की है और हमारी लड़ाई इसके खिलाफ है। क्योंकि इस वक्त एक देश, एक कंपनी है पीएम मोदी और गौतम अड़ानी की यह टीम है। जो देश को चला रहे हैं। हमें ये दोनों किस मोड़ पर छोड़ रहे हैं। हमें यह सारी बातें जाननी होंगी।“

अपने वक्तव्य में उन्होंने पीएम मोदी के दो साल के सेलिब्रेशन पर बात करते हुए कहा कि पिछले साल पीएम के जन्मदिन पर अफ्रीका से चीता मंगाए गए। आज उसमें से एक भी नहीं बचा। इस साल उनके जन्मदिन को भव्य बनाने के लिए गरीबों के घरों को उजाड़ दिया गया।

दरअसल पीएम मोदी के जन्मदिन पर सरदार सरोवर के रिसर्जवर में पानी भर कर रखा गया। लगातार बारिश हो रही थी। इसके बाद भी पानी नहीं खोला गया। पीएम के बर्थडे के लिए पानी को रिजर्व करके रखा गया था। अचानक पानी जब छोड़ा तो कई आदिवासी गांव डूब गए।

वहीं अधिवेशन में नवशरण कौर, आरफा खानम शेरवानी, नेहा सिंह, भाषा सिंह, मीना कोटवाल और सुदेश गोयल वक्ता थी। जिन्होंने अपनी बात रखी। 

2024 के बाद पसमांदा मुसलमानों की स्थिति होगी खराब

वरिष्ठ पत्रकार आरफा खानम ने आने वाले चुनाव में पसमांदा मुसलमानों और हिंदू महिलाओँ की स्थिति पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण बिल महिलाओं को लिए एक जुमला है। जो कहीं न कहीं हिंदू महिलाओं को और पीछे करने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि कुछ महिलाएं यह निर्धारित नहीं कर सकती हैं कि यह कानून अच्छा है। अगर यह सच में सही होता तो महिलाएं सड़कों पर जश्न मनातीं। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

उन्होंने मुसलमानों पर लगातार अटैक के बीच होने इशारा किया कि उच्च तबके के मुसलमान साल 2024 से पहले भाजपा की तरफ जा रहे हैं। उनका कहना था कि इसका नुकसान सीधा पसमांदा मुसलमानों को होगा।  अगर इलीट क्लास के मुसलमान भाजपा में शामिल हो जाएंगे तो गरीबों के पास दूसरा कोई चारा नहीं रह जाएगा। इसी तरह से मुसलमानों पर लगातार अत्याचार बढ़ता रहेगा।

शाहीनबाग की महिलाओं ने रचा इतिहास

वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने महिलाओँ की ताकत और जाति व्यवस्था पर मुखर रुप से अपनी बात रखी। उन्होंने अपने भाषण में सीएए-एनआरसी के खिलाफ शाहीन बाग में महिलाओँ की ओर से लड़ी गई लड़ाई का जिक्र किया और उनके साहस का परिचय दिया।

उन्होंने बताया कि कैसे पहले तिरंगे के तले हिंदूवादी संगठन, आरएसएस, विश्वहिंदू परिषद और अन्य रैलियां निकालते थे और इन रैलियों के तुरंत बाद दंगे होते थे। लेकिन शाहीन बाग की महिलाओँ ने अपनी ताकत और हिम्म्त से इसे पूरी तरह से खत्म कर दिया।

उन्होंने बताया कि साल 2019 में शाहीनबाग की महिलाएं कैसे एक आंदोलन खड़ाकर तिरंगे की शरण में आई। संविधान को सर्वोपरि मानते हुए उसकी प्रस्तावना का पाठ शुरु किया। उसका नतीजा यह हुआ कि आज कोई भी तिरंगा रैली निकालकर दंगा नहीं कर रहा है।

बृजभूषण के घर पर बुलडोजर कब चलेगा

सुदेश गोयल एक किसान नेता हैं। जो तीन कृषि कानूनों को लेकर हुए आंदोलन में मुखर रुप से आगे आई थीं। साथ ही रेसलर आंदोलन में शामिल हुई थीं। उन्होंने अपनी बात की शुरुआत ही इससे की आजकल भाजपा की सरकार किसी पर दोष साबित होने से पहले उसके घर पर बुलडोजर चला देती है। लेकिन यूपी के मुख्यमंत्री जो अपने आप को बाबा कहते हैं क्यों नहीं बृजभूषण सिंह के घर पर बुलडोजर चलाया। यह सभी लोग महिला विरोधी हैं।

महिला प्रतिनिधित्व पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने महिला आरक्षण बिल पास किया है।  अगर मोदी सरकार को महिलाओं की इतनी ही चिंता है तो आने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा 50 प्रतिशत महिलाओं को टिकट दे। ताकि पता चले कि ये कितने महिला हितैषी हैं।

भोजपुरी लोकगायिक नेहा सिंह राठौर ने अपने गीतों के साथ समां को बांधा और अपना विरोध का दर्ज किया। हॉल में बैठी महिलाओं ने उनके गानों का खूब आनंद लिया। नेहा ने बताया कि सरकार के कामों की आलोचना होनी चाहिए। लेकिन आज स्थिति ऐसी है कि आलोचना करने पर मुझ पर एफआईआर हो गई है।

लोगों का जातिवादी चेहरा सामने आ रहा है

द मूकनायक की संपादक मीना कोटवाल ने अपने वक्तव्य की शुरुआत डॉ. भीमराव आंबेडकर के प्रसिद्ध कोट “मैं किसी भी समाज की प्रगति वहां की महिलाओं के प्रगति से देखता हूं” से किया। उन्होंने कहा कि यहां तक पहुंचने वाली सभी महिलाओं ने बहुत संघर्ष किया है। कई पुरुष महिलावादी होने का हुंकार भरते हैं और उनके घर की महिलाएं घर से बाहर नहीं निकल पाती हैं।

अपने साथ हो रहे लगातार सोशल मीडिया लिचिंग पर उन्होंने कहा कि पुरुषवादी विचारधारा के पुरुष जो अपने आप को आंबेडकरवादी कहते हैं सुमित चौहान और सूरज बौद्ध ने लगातार मेरे महिला होने पर मुझ पर प्रहार किया। इतना ही नहीं रविश कुमार का जातिवादी चेहरा भी सबके सामने आ गया। जिसने यहां तक कहा कि महिला होने का फायदा उठाया जा रहा है।

मुस्लिम महिलाओं पर दोहरी मार

नवशरण कौर एक किसान नेता हैं। जो अपने परिवार की विरासत लोगों के हक के लिए लड़ना को आगे बढ़ा रही हैं। उनका कहना था कि आज देश के हिंदू समाज के कुछ लोगों को कुछ जायदा ही हक दे दिए गए हैं। जिसके दम पर वो लगातार लोगों का दमन कर रहे हैं। यहां तक की ये लोग संविधान की परवाह किए बगैर हिंसा कर रहे हैं। इसी तथाकथित हिंदू समाज ने मुसलमानों को अपना दुश्मन मान लिया है। महिलाओं पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि मुसलमान महिलाओं पर दबी जुबान से लगातार हिंसा हो रही है।

हाल में हुए नूंह हिंसा और महिलाओं का दर्द बताते हुए वह कहती हैं कि नूंह और पीछे भी हमें कई जगहों में देखा है कि दंगों के दौरान पुरुष  घर में बाहर कहीं शरण लेते हैं और महिलाएं डर के साए में अपने घर को डट कर संभालती हैं। यही है हम महिलाओं की ताकत। 

(पूनम मसीह की रिपोर्ट।)

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments