“मैं ये बात पक्के तौर पर नहीं कह सकता कि साल 2019 का चुनावी जनादेश ‘ग़ैरक़ानूनी जासूसी’ से प्रभावित था या नहीं लेकिन इससे बीजेपी को जीत हासिल करने में मदद मिली हो सकती है”- ये कहना है पूर्व गृहमंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम का।
समाचार एजेंसी पीटीआई को दिये इंटरव्यू में पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि प्रधानमंत्री को पेगासस मामले में संसद में बयान देकर स्पष्ट करना चाहिए कि निगरानी की गई थी या नहीं।
उन्होंने आगे कहा है कि केंद्र सरकार को या तो पेगासस जासूसी मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय कमेटी के गठन के लिए तैयार हो जाना चाहिए या फिर सुप्रीम कोर्ट से मौजूदा जज की नियुक्ति के लिए आग्रह करना चाहिए।
पीटीआई को दिए इंटरव्यू में पी चिदंबरम ने स्पष्ट कहा है कि इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलॉजी मामलों की संसद की स्थाई समिति की जांच की तुलना में संयुक्त संसदीय कमेटी के द्वारा की गई जांच ज़्यादा असरदार होगी।
पिछले दिनों शशि थरूर की अध्यक्षता वाले आईटी पैनल ने ये कहा था कि पेगासस मामले पर उनकी कमेटी विचार कर रही है और जेपीसी की ज़रूरत नहीं है। जबकि वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने शशि थरूर के दावे पर संदेह जताते हुए पूछा कि क्या बीजेपी सदस्यों के बहुमत वाला आईटी पैनल इस मामले की पूर्ण जांच करने देगा। उन्होंने आगे कहा कि, “संसदीय कमेटी के नियम ज़्यादा सख़्त हैं। उदाहरण के लिए वे सार्वजनिक रूप से साक्ष्य नहीं ले सकते हैं लेकिन संयुक्त संसदीय कमेटी को संसद से ये अधिकार प्राप्त है कि वो सार्वजनिक रूप से साक्ष्य दर्ज कर सकती है। वो गवाहों को समन कर सकती है, दस्तावेज़ पेश कर सकती है। इसलिए मुझे लगता है कि जेपीसी के पास पार्लियामेंट्री कमेटी की तुलना में अधिक शक्तियां हैं। हालांकि मैं संसदीय समिति की भूमिका को कमतर करके नहीं आंकना चाहता हूं और वो चाहे तो इस मामले की जांच कर सकती है।
गौरतलब है कि पिछले रविवार को एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया कंसोर्शियम ने रिपोर्ट किया था कि इसराइली कंपनी एनएसओ के पेगासस जासूसी सॉफ़्टवेयर से भारत के 300 से भी ज़्यादा मोबाइल नंबरों का निगरानी के लिए कथित तौर पर चुना गया था। निगरानी के लिए कथित तौर पर टारगेट पर लिए गए इन लोगों में दो केंद्रीय मंत्री, 40 से ज़्यादा पत्रकार, तीन विपक्षी नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और कुछ कारोबारी शामिल थे। केंद्र सरकार ने इस मामले में विपक्षी राजनेताओं के आरोपों को खारिज़ किया है।
संसद में आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव के बयान पर पी चिदंबरम ने पीटीआई से कहा है कि, “उन्होंने किसी अनधिकृत निगरानी की बात से इनकार किया है। उन्होंने इस बात से भी इनकार नहीं किया कि कोई अधिकृत निगरानी हुई है। इसमें कोई शक़ नहीं है कि उन्हें अधिकृत निगरानी और अनधिकृत निगरानी के बीच का फर्क़ मालूम है।”
उन्होंने आगे कहा कि, “अगर जासूसी के लिए पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल किया गया है तो इसे किसने खरीदा ? क्या इसे सरकार ने खरीदा या किसी सरकारी एजेंसी ने।”
पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने आगे कहा कि सरकार को अपना स्टैंड साफ़ करना चाहिए। ये सीधे सादे सवाल हैं जो आम लोग पूछ रहे हैं और मंत्री जी सीधे इनका जवाब देना चाहिए। आख़िरकार फ्रांस ने ये बात सामने आने के बाद कि राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों के नंबर को हैक किया गया था, जांच के आदेश दिए हैं। इस्राइल ने भी नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल को जांच के आदेश दिए हैं। अगर बड़े देश जांच का आदेश दे सकते हैं तो भारत क्यों नहीं जांच करा सकता है। “
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