पटना। भाकपा-माले के पहले महासचिव का. चारू मजुमदार के 52 वें स्मृति दिवस और पार्टी पुनर्गठन की 50 वीं वर्षगांठ के अवसर पर पार्टी के केंद्रीय कमिटी के आह्वान पर आज पूरे बिहार में पार्टी ब्रांचों की बैठक हुई। 28 जुलाई के आह्वान का पाठ किया गया और पार्टी के विस्तार व सुदृढ़ीकरण का संकल्प लिया गया।
पटना में राज्य कार्यालय सहित दीघा, भोला पासवान शास्त्री नगर, आशियान नगर, कंकड़बाग, बेउर मुसहरी, गुलजारबाग, मालसलामी आदि इलाकों में कार्यक्रम आयोजित किए गए। पार्टी के सुदृढ़ीकरण हेतु पार्टी ब्रांचों की बैठक अगले तीन दिनों तक जारी रहेंगे।
राज्य कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में पार्टी के वरिष्ठ नेता स्वदेश भट्टाचार्य, राज्य सचिव कुणाल, अमर, मीना तिवारी, केडी यादव, शिवसागर शर्मा, संतलाल, उमेश सिंह, प्रो. भारती एस कुमार, प्रो. संतोष कुमार, प्रकाश कुमार, मनमोहन कुमार, अनिल अंशुमन, प्रमोद यादव, विभा गुप्ता आदि नेताओं ने भाग लिया। सबसे पहले शहीदों की याद में एक मिनट का मौन रखा गया और फिर का. चारू मजुमदार को श्रद्धांजलि दी गई।
मौके पर पार्टी के वरिष्ठ नेता का. स्वदेश भट्टाचार्य ने कहा कि हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में पार्टी को मिली सफलता ने पार्टी के विकास व विस्तार की बड़ी संभावना पेश की है। फासीवादी ताकतों की निर्णायक शिकस्त के लिए माले का विस्तार व सुदृढ़ीकरण जरूरी है, जो वाम के सशक्त व उर्जावान हस्तक्षेप की कुंजी है। 2024 के जनादेश की दिशा व भावना, जिसने मोदी सरकार को चेतावनी देते हुए इंडिया गठबंधन को पर्याप्त ताकत दी है, को नकारते हुए भाजपा अपने पुराने ढर्रे पर ही चल रही है। गैर-न्यायिक हिंसक अभियानों के पूरक बन संघ ब्रिगेड की हत्यारी भीड़ और दंगाई गिरोह फिर से सड़कों पर घूम रहे हैं, हिंसा का वही चक्र शुरू हो गया है।
राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि पार्टी ने सदस्यता भर्ती अभियान और ब्रांचों को संगठित करने के काम को फोकस किया है। वहीं दूसरी ओर गरीबों की दावेदारी मजबूत करने व उनके अधिकार की लड़ाई को आगे बढ़ाने के लिए ‘हक दो-वादा निभाओ’ अभियान चलाने का भी फैसला किया है।
जाति आधारित सर्वेक्षण के उपरांत राज्य के तकरीबन 95 लाख महागरीब परिवारों को लघु उद्यमी योजना के तहत 2 लाख रु. की सहायता राशि की सरकारी घोषणा की बात मुख्यमंत्री ने सदन के अंदर तो कही, लेकिन हकीकत में कुछ नहीं हो रहा है। इस राशि के लिए 72 हजार रु. से कम वार्षिक आमदनी के आय प्रमाण की शर्त लगा दी गई है, जबकि प्रशासन 1 लाख रु. से नीचे का प्रमाण पत्र जारी नहीं कर रहा है। जब सरकार के पास पहले से 95 लाख महागरीब परिवारों का डाटा उपलब्ध है तो फिर आय प्रमाण पत्र क्यों मांगा जा रहा है? सरकार की ओर से जारी लघु उद्यमों की सूची में पशुपालन जैसा महत्वपूर्ण क्रियाकलाप शामिल ही नहीं है, जो गरीबों के जीवन-जिंदगानी का सबसे बड़ा सहारा है।
इस प्रश्न के अलावा किसानों, महिलाओं, छात्र-युवाओं, विकास के विभिन्न मुद्दों, बिहार के विशेष राज्य का दर्जा, 65 प्रतिशत आरक्षण को संविधान की अनुसूची में डालने, पूरे देश में जाति गणना करवाने, आवास भूमि के लिए भूमिहीनों को 5 डिसमिल जमीन देने, देश में लोकतंत्र व संविधान बचाने के सवालों को आंदोलन का विषय बनाया जाएगा।
15 अगस्त तक सघन ग्राम बैठक करके 2 लाख रु. अनुदान की राशि के लिए आय प्रमाण पत्र और 5 डिसमिल जमीन व पक्का मकान के लिए आवेदन भरवाकर 21, 22 व 23 अगस्त को अंचलाधिकारी के समक्ष प्रदर्शन किया जाएगा। सितंबर महीने में प्रखंड स्तर पर किसान, महिला, छात्र-युवा, विकास और लोकतंत्र के सवाल पर जनसंवाद आयोजित किए जाएंगे। अक्टूबर के अंत या नवंबर मध्य तक उपरोक्त तमाम विषयों को जोड़कर हरेक प्रखंड में बड़ी सभाएं व प्रदर्शन आयोजित किए जाएंगे। ऐसा करके ही गरीबों की दावेदारी को मजबूती मिलेगी और पार्टी का व्यापक विस्तार होगा तथा फासीवादी भाजपा से मुकाबला में हमें ताकत मिलेगी।
(प्रेस विज्ञप्ति)
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