जन्मदिन व सौ दिन का हिसाब किताब !

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सचमुच गणेश विसर्जन का दिन बहुत महत्वपूर्ण हो गया। इस दिन साहिबे हिंदुस्तान और विश्वगुरु का 74वां जन्मदिन था।अब वह समय शुरू हो गया है जिसमें भाजपा की नियमावली के तहत उन्हें कभी भी अडवाणी और मुरली मनोहर की तरह भाजपा के मार्गदर्शक मंडल का रास्ता दिखाया जा सकता है ये चर्चाएं चलने भी लगीं हैं, मोदी के बाद कौन?

बहरहाल, फिलहाल वे हिंदुस्तान के पीएम हैं। उनके जन्मदिवस पर हम सब को खुश होना ही चाहिए। संभव है अगले वर्ष पीएम कोई और हो। संयोग की बात है कि मोदी जी के जन्मदिन पर तीसरे बार के पीएम मोदीजी के काम के सौ दिन पूरे हो रहे हैं और सिर पर मंडराते चुनाव के मद्देनजर उन्हें इसका हिसाब किताब देना पड़ रहा है। ये सच है कि इन दिनों में पीएम ने कथित तौर पर बहुत सी खुशगवार योजनाओं की शुरुआत की है। 9 जून, 2024 को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद सरकार का फोकस सड़क, रेल, बंदरगाह व हवाई मार्ग, आठ हाई स्पीड रोड कॉरिडोर को मंजूरी देने पर था।

इसके अलावा उसका जोर किसान और बुनियादी संरचना विकास पर भी लगता है । इसे ही ध्यान में रखते हुए सरकार ने पहले 100 दिनों में तीन लाख करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं की घोषणा की है।सरकार की इन परियोजनाओं में बंदरगाह का निर्माण, करीब एक लाख करोड़ की लागत से गांवों को जोड़ने की योजना और बड़ी सड़कों का निर्माण शामिल है। इस दौरान सरकार ने बंगलुरु, पुणे, ठाणे जैसे कई शहरों में मेट्रो रेल परियोजनाओं को मंजूरी दी है। एक करोड़ महिलाओं को लखपति बनाने का भी उपक्रम हुआ है।

वे अपना जन्मदिन इस बार उड़ीसा में भगवान जगन्नाथ के द्वार पर मनाने गए। एक आदिवासी मां के घर खीर खाई और बहनों के लिए भगवान से जगन्नाथ की बहिन सुभद्रा योजना शुरू की गई। इस दिन से गांधी जयंती तक सेवा पखवाड़ा के तहत , रक्तदान   शिविर, सफाई वगैरह  सेवा करने का ऐलान भी हुआ।

सबसे बड़ी बात तो यह कह दी साहिबे आलम ने कि पहले 100 दिनों में विपक्ष द्वारा उनका अपमान किया गया, उनका उपहास किया गया और उनका मखौल उड़ाया गया  फिर भी उन्होंने रात दिन कड़ी मेहनत कर इन सौ दिनों में अपने वायदे पूरे किए। जबकि मखौल उड़ाने और अपमान करने का रिकॉर्ड तो, प्रतिपक्ष को भला बुरा कहने का भाजपा नेताओं ने कायम किया है।

साहिब आज जनता तो उस चुनावी वायदे की याद कर रही है। मुफ्त बिजली पानी का क्या हुआ। जिन कार्यों की आप जानकारी दे रहे हैं उससे जनता को क्या फायदा होने वाला है। क्या इससे महंगाई और बेरोजगारी दूर होगी। महिला सम्मान सुरक्षित रहेगा। पिछले कारनामों की पोल पट्टी तो बरसात ने खोल रखी है।  नए संसद भवन से लेकर , राम मंदिर,हवाई अड्डे, वन्दे भारत ट्रेन, हवाई जहाज में पानी टपक गया। नवनिर्मित कितने पुल बह गए। सड़कें बह गईं, अयोध्या का राजपथ बह गया।इतना ही नहीं महाकाल के सप्त श्रृषि और महाराष्ट्र के शिवाजी भी ढह गए। शिक्षा, स्वास्थ्य और रेल सुविधाएं में कटौती से देश की स्थिति बदतर हो गई।

भाजपा शासित प्रदेश और देश की अर्थव्यवस्था तबाह हो गई। ईमान की बात तो यह है कि यदि आपने जनहित में काम किया होता तो 2024 के चुनाव में आपकी ये वैशाखियों वाली हालत ना होती। सोचिए आपने हम और हमारे दो के लिए काम किया ख़ूब विदेशी दौरे किए।जनता का आर्थिक शोषण कर उन्हें अन्न के लिए मोहताज कर दिया यही वजह कि 80करोड़ लोग आज भी राशन की लाईन में हैं।चीन को भारत का बाजार ही नहीं देश की बड़ी ज़मीन पर कब्जा दे दिया। इन सब बातों का हिसाब कौन देगा। यहां तो हरि अनंत हरि कथा अनंता वाली स्थिति है।

 इधर पिछले आम चुनावों में  भाजपा की बदहाली देखते हुए अब संघ प्रमुख ने अपनी आंखें लाल कर ली हैं और यह बात सामने आ रही है कि संघ प्रमुख इस बार आपके नंबर वन दुश्मन संजय जोशी को भाजपा अध्यक्ष बनाने पर तुल ही गए हैं तो अब आपका क्या हश्र होगा। भाजपा विभाजन की ओर बढ़ रही है। इन दिनों एक चित्र सोशल मीडिया पर काफ़ी वायरल हो रहा है जिसमें आपकी उपेक्षा करते हुए नड्डा जी और अमित शाह जी अपने मोबाइल में मगन हैं आप मायूस नज़रों से उन दोनों को देख रहे हैं। मौसम बदल गया है जी हुजूरी में हाथ जोड़े और प्रशंसा के पुल बांधने वालों का ये हाल बहुत कुछ कहता है जनाब।

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया जी सही कह रही हैं राजनीति में अब आपका अवसान करीब है कुछ तो हिसाब किताब सुधार लें। सिर्फ चुनावी जीत के लिए आत्मदंभ के साथ झूठे वायदों का प्रचार अब कारगर नहीं रहा है। इसे समझ लीजिए। माननीय सीजेआई के घर जाकर गणेश पूजा की ओट में गुपचुप हुए कथित करार भी आपकी और माननीय सीजेआई साहिब की छवि धूमिल कर रहा है।उधर प्रतिपक्ष नेता राहुल के खिलाफ सभी षड्यंत्र आम जनता बखूबी समझने  लगी है। ध्यान दीजिए राहुल के साथ इंडिया गठबंधन की ताकत है। सांच को आंच नहीं आती। विदेशों में आपका डंका अब नहीं बज रहा। रूस, चीन, फ्रांस, यूक्रेन, अमरीका इंग्लैंड जैसे बड़े देश भारत की विदेश नीति से नाराज़ हैं। यहां तक पड़ोसी बांग्लादेश, लंका, नेपाल, पाकिस्तान जैसे छोटे मुल्क भी भारत से दूरी बनाते जा रहे हैं। 

साहिब जी, इन सौ दिनों में प्रतिपक्ष की कुछ बातें दबाव वश सुननी पड़ी लेकिन जितनी उम्मीद थी कि इन सौ दिनों में जनहित के काम होंगे वे जस के तस हैं। 75 वां जन्मदिन आने में लगभग एक साल है क्या आप देश की खुशहाली के लिए प्रतिपक्ष से विमर्श कर कुछ नया देने का प्रयास करेंगे। संघ के दबाव से बचने का एक रास्ता ये हो सकता है कि आप संविधान के इतर चल रहे सभी कार्यों पर रोक लगाएं।सनातन भारत की सद्भावना को अक्षुण्ण रखने जुट जाएं।बकौल राजनाथ सिंह आपका विल पावर स्ट्रांग है। देखेंगे।

(सुसंस्कृति परिहार एक्टिविस्ट और लेखिका हैं।)

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