माकपा ने की मरकाबेड़ा में पुलिसिया अत्याचार की न्यायिक जांच की मांग

Estimated read time 0 min read

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने बस्तर क्षेत्र के नारायणपुर जिले के मरकाबेड़ा गांव में पुलिस बलों की बर्बरता की निंदा की है। यहां पुलिस ने ग्रामीण आदिवासियों से मारपीट, लूटपाट और वहां ग्रामीणों द्वारा संचालित स्कूल में तोड़फोड़ की है। पार्टी ने हाई कोर्ट के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश से इसकी स्वतंत्र व निष्पक्ष न्यायिक जांच की मांग की है।

आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिव मंडल ने कहा है कि चार फरवरी की वारदात टाइम्स ऑफ इंडिया, हिंदुस्तान टाइम्स जैसे राष्ट्रीय अखबारों और एक स्थानीय चैनल आइएनएच के संवाददाता अंकुर तिवारी की रिपोर्टिंग के जरिये सामने आई है। यह रिपोर्टिंग पुलिस के खिलाफ प्रथम दृष्टया सुबूत है और पुलिस प्रशासन की सफाई कतई विश्वसनीय नहीं है। राज्य के प्रत्येक नागरिक के लिए शिक्षा की व्यवस्था करना सरकार का काम है, वह इसमें असफल रही है।

इसके बावजूद मरकाबेड़ा जैसे पहुंचविहीन और दूरस्थ गांव में ग्रामीणों के सहयोग से चलाए जा रहे स्कूल को तोड़ दिया गया है। पढ़ाने वाले शिक्षकों को नक्सली कहकर गिरफ्तार कर लिया गया है और पढ़ने वाले नाबालिग बच्चों को भी बुरी तरह पीटा गया है। 

माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार पूरे मामले को दबाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि जो पुलिस अपने कृत्यों से ही संदेह के घेरे में है और ग्रामीणों ने डीआरजी के आत्मसमर्पित नक्सलियों को पहचानकर आरोपित किया है और पुलिस के उच्च अधिकारी उनका बचाव कर रहे हैं। उसी पुलिस प्रशासन को घटना की जांच करने को कहना बेतुका है।

मानवाधिकार आयोग और सीबीआई ने अपनी कई रिपोर्टों में आदिवासियों पर अत्याचार करने के लिए पुलिस को आरोपित किया है। ऐसे में इस घटना की न्यायिक जांच जरूरी है। पराते ने बताया कि माकपा ने इस घटना की मीडिया रिपोर्टिंग के साथ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भी शिकायत प्रेषित कर जांच करने का अनुरोध किया है।

(रायपुर से जनचौक संवाददाता तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट।)

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author