नारायणपुर। बस्तर के आदिवासी पिछले लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर अलग-अलग जगहों में धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ क्षेत्र में भी पांच जगहों पर पिछले एक साल से भी ज्यादा समय से ग्रामीण अपनी मांगों को लेकर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। ग्रामीण साल में दो-तीन बार पैदल यात्रा कर कलेक्टर को अपनी मांगों से अवगत कराने भी पहुंच चुके हैं।
20-22 नवंबर को नारायणपुर के ईरक्कभट्टी में इस आंदोलन की वर्षगांठ मनाई गई। जिसमें हजारों की संख्या में ग्रामीणों ने हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम के बाद नारायणपुर के ओरछा ब्लॉक के नदीपारा में धरना प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि पिछले शुक्रवार को डीआरजी के जवानों ने उनके साथ मारपीट कर धरना स्थल पर तोड़फोड़ की है। साक्ष्य के रूप में उन्होंने मीडिया को वीडियो भी दिए हैं।
थाने में मारपीट करने भी आरोप
ग्रामीणों का आरोप है कि धरना स्थल पर मारपीट की घटना के बाद पुलिस 21 लोगों को थाने लेकर गई और उनके साथ बेहोश होने तक मारपीट की, जिसमें महिलाएं भी शामिल थीं। इतना ही नहीं कुछ देर के बाद ग्रामीणों को छोड़ दिया गया और प्राथमिक उपचार भी दिया गया।
पिछले एक साल से 104 गांव के ग्रामीण अपनी मांगों को लेकर अपने पारंपरिक हथियारों के साथ धरना स्थल पर बैठे हुए हैं। इस घटना के बाद कुछ पत्रकार उस घटनास्थल पर गए, जहां ग्रामीणों के साथ मारपीट की गई। ‘माड़ बचाओ’ बैनर तले हो रहे इस आंदोलन में 104 गांव के लोग हिस्सा ले रहे हैं। वो तीन सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं।
धरना स्थल पर पहुंचने वाले रास्ते पर नक्सलियों ने स्लोगन लिखे हैं। धरना-प्रदर्शन में बड़ी संख्या में लोग शामिल हैं। जिसमें वह ग्रामीण भी हैं जिनके साथ मारपीट की गई है।

अबूझमाड के इस इलाके में माड़ जनजाति के लोग रहते हैं। जो ज्यादातर गोंडी में बातचीत करते हैं। इस धरना-प्रदर्शन में शामिल ज्यादातर लोग हिंदी न तो समझ पाते हैं और न ही बोल पाते हैं। धरना स्थल की झोपड़ियों को भी तोड़ने की कोशिश की गई थी।
धरने में शामिल लखेश्वर कुमार को हिंदी आती है। मारपीट की घटना पर उन्होंने बताया कि “हर दिन की भांति शुक्रवार को भी ग्रामीण धरने पर चर्चा कर रहे थे। इसी दौरान डीआरजी के जवान आए और ग्रामीणों के साथ मारपीट करने लगे। इस दौरान कुछ लोग रोड की तरफ निकल गए थे।”
लखेश्वर ने बताया कि “लगभग 150 जवान यहां पर आए और लगभग 70 लोगों के साथ मारपीट की गई। झोपड़ियों पर तोड़फोड़ की गई। इसके साथ 21 लोगों को थाने ले गए और वहां जाकर उनके साथ मारपीट की गई।”
तीर धनुष से पुलिस पर हमला करने के आरोप पर वह कहते हैं कि “यह हमारे पारम्परिक हथियार हैं। जिन्हें हम हमेशा पास में रखते हैं, इससे किसी तरह का कोई हमला नहीं किया गया।”
महिलाओं के साथ हुई मारपीट
इसी धरना-प्रदर्शन में बैठी सोमारी का कहना है कि “हम पिछले 11 महीने से धरने पर बैठे हैं, बीच-बीच में घर जाते हैं और फिर वापस यहीं आ जाते हैं।” आंदोलन पर बात करते हुए वह कहती हैं कि “हमें आधारभूत सुविधा तो चाहिए लेकिन चौड़ी सड़क नहीं। उतनी ही सड़क हो जिसमें आम जनता आना जाना कर सके, न कि कॉरपोरेट की गाड़ियां आकर हमारे जल, जंगल, जमीन को लूट कर ले जाएं।”

महिलाओं के साथ हुई मारपीट के बारे में सोमारी कहती हैं कि “शुक्रवार के दिन लगभग 11 महिलाओं के साथ मारपीट की गई। उन्हें थाने लेकर गए थे। वहां भी कुछ महिलाओं को मारा गया। धरने पर आई महिलाओं को देखा जा सकता है कि उन्हें हाथ पैर में चोट लगी है। एक महिला उठ भी नहीं पा रही है।”
धारा 144 में धरना-प्रदर्शन गलत
इस घटना पर हमने नारायणपुर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हिमसागर सिदार से बातचीत की। उन्होंने बताया कि “फिलहाल आचार संहिता लगी हुई है। जिसमें धारा 144 लागू है। ऐसे में धरना-प्रदर्शन करना ही गलत है।”
उन्होंने कहा कि पूर्व की नक्सली घटनाओं को देखते हुए पुलिस धरना-प्रदर्शन स्थल पर पूछताछ के लिए गई थी। इसी दौरान धरने में शामिल ग्रामीणों ने पुलिस के साथ छीना-झपटी की। पुलिस पर हमला करने की कोशिश की गई जिसमें कुछ जवान घायल भी हुए हैं।”
हमने ग्रामीणों के साथ मारपीट की सोशल मीडिया पर वायरल फोटो और वीडियो के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि “मुझे इस बात की कोई जानकारी नहीं है, ना ही ग्रामीणों ने इस घटना को लेकर कोई एफआईआर दर्ज कराई है।” फिलहाल ओरछा थाने में डीआरजी जवानों पर हमले के लिए अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
पुलिस का एक तर्क यह भी है कि पिछले सप्ताह ओरछा के साप्तहिक बाजार के दौरान किसी अज्ञात व्यक्ति ने डीआरजी जवान पर तीर-धनुष से हमला कर दिया था। इसी घटना को लेकर पुलिस धरना स्थल पर विवेचना करने के लिए गई थी। जहां उनके साथ झीना झपटी हुई।
(नारायणपुर से पूनम मसीह की ग्राउंड रिपोर्ट।)
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