सुप्रीम कोर्ट में प्रशांत भूषण:
कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए जाने के फैसले से मैं बहुत दुखी हूं। मैं इस बात को लेकर दुखी हूं कि मुझे पूरी तरह से गलत समझा गया। मैं इस बात से बेहद चकित हूं कि मेरी मंशा का बगैर कोई सबूत दिए कोर्ट अपने निष्कर्ष पर पहुंच गया।
मेरा यह मानना है कि संवैधानिक व्यवस्था की रक्षा के लिए किसी भी लोकतंत्र के भीतर खुली आलोचना जरूरी है। संवैधानिक व्यवस्था को बचाने का काम निजी और प्रोफेशनल दोनों स्तर पर होना चाहिए। मेरे ट्वीट उस दिशा में एक छोटा सा प्रयास हैं जिसे मैं अपना सबसे बड़ा कर्तव्य समझता हूं।
गांधी को कोट करते हुए प्रशांत भूषण ने कहा कि मैं दया नहीं मांगूंगा। मैं उदारता की भी अपील नहीं करूंगा। मैं पूरी खुशी के साथ उस सजा के लिए खुद को पेश करता हूं जो कोर्ट मुझे देगा।
मेरे ट्वीट एक नागरिक के तौर पर अपना कर्तव्य निभाने का एक प्रामाणिक प्रयास थे। इतिहास के इस मोड़ पर अगर मैं नहीं बोलता तो मैं अपने कर्तव्यों को पूरा करने में नाकाम हो जाता। कोर्ट जो भी जुर्माना देगा उसके लिए मैं तैयार हूं। मांफी मांग कर मैं बेहद तिरस्कृत महसूस करूंगा।
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