न्यूजक्लिक के खिलाफ केंद्र सरकार चला रही ‘टारगेटेड कैंपेन’, प्रेस क्लब और पत्रकार संगठनों ने किया विरोध

Estimated read time 1 min read

नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा न्यूज़पोर्टल ‘न्यूज़क्लिक’ और उससे जुड़े पत्रकारों पर एक बार फिर निशाना साधा जा रहा है। न्यूज़़क्लिक के एडिटर इन चीफ प्रबीर पुरकायस्थ पर भी प्रवर्तन निदेशालय ने कार्रवाई की है। यह सब केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचनात्मक जांच करने के कारण किया जा रहा है। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया समेत दो अन्य पत्रकार संगठनों ने एक बयान जारी कर न्यूज़क्लिक और उससे जुड़े पत्रकारों को निशाना बनाए जाने की निंदा की है। इन संगठनों ने इसे पत्रकारों के खिलाफ टारगेटेड कैंपेन बताया है। यह बयान प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष उमाकांत लखेड़ा, प्रेस एसोसिएशन के अध्यक्ष सीके नायक और दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट की अध्यक्ष सुजाता मधोक ने संयुक्त रूप से जारी किया है।

बयान में कहा गया है कि “कुछ संसद सदस्यों समेत वरिष्ठ राजनीतिक हस्तियों द्वारा हाल ही में लगाए गए आरोप, जिसमें कहा गया है कि न्यूज़ पोर्टल पड़ोसी देश के लिए मुखपत्र के रूप में कार्य करता है, अनुचित और निंदनीय दोनों हैं। जबकि न्यूज़क्लिक, बाक़ी मीडिया आउटलेट्स की तरह, सरकारी कार्यों की आलोचनात्मक जांच करता है, ऐसा करना इसे देशद्रोही या किसी विदेशी देश का टूल नहीं बनाता है। यह पोर्टल निष्ठावान और सार्थक व्यक्तियों के योगदान को प्रदर्शित करता है। वे लेख जो अन्य देशों की नीतियों पर आलोचनात्मक लेकिन सराहनीय दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं, उन्हें लेकर ऐसी भूल नहीं की जानी चाहिए की वे लेख उनकी ओर से वकालत कर रहे हैं, न ही उन्हें राष्ट्र-विरोधी या देशद्रोही के रूप में लेबल किया जाना चाहिए।”

बयान में आगे कहा गया है कि “अगर न्यूज़क्लिक पोर्टल की फंडिंग के स्रोत को लेकर जांच हो रही है तो इसी तरह पारदर्शिता उन न्यूज पोर्टलों के लिए भी होनी चाहिए, जो सरकार समर्थक हैं और उसके कामों का समर्थन करती हैं। ऐसे सभी पोर्टल की फंडिंग की जांच करके उसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए। पूर्ण पारदर्शिता के हितों के लिए यह ज़रूरी है कि ऐसे सभी पोर्टलों के स्पॉन्सर्स और फंडिंग स्रोतों का खुलासा किया जाए। इस तरह के खुलासे के बिना, न्यूज़क्लिक को निशाना बनाने वाली हालिया कार्रवाइयों को सही मायने में ‘विच-हंट’ के रूप में देखा जा सकता है।”

प्रेस संगठनों ने कहा कि मीडिया संस्थान भारतीय कानून के तहत काम करते हैं। एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए ज़रूरी है कि मीडिया आउटलेट्स को, उनके एफिलियेशन की परवाह किए बिना और सरकार या कॉर्पोरेट दबाव के बिना काम करने की स्वतंत्रता हो। लोकतंत्र की जीवंतता स्वतंत्र मीडिया से अटूट रूप से जुड़ी हुई है।

आपको बता दें कि न्यूयॉर्क टाइम्स में न्यूजक्लिक से संबंधित एक खबर प्रकाशित हुई थी। जिसमें उसके वेबपोर्टल को बाहर से डोनेशन मिलने का जिक्र किया गया था। लेकिन उसमें न तो राशि दी गयी थी और न ही कोई दूसरी जानकारी लेकिन उसको लेकर केंद्र सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने एक प्रेस कांफ्रेंस की और तमाम तरह के पोर्टल पर आरोप लगाए। संसद में बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे 38 करोड़ रुपये तक का जिक्र कर डाला। जिसका उस खबर में कोई जिक्र नहीं है। और पूरे मामले पर न्यूजक्लिक की तरफ से जो सफाई आई है उसमें कहा गया है कि सारा मामला कोर्ट में है और अभी तक कोर्ट ने किसी गंभीर आरोप की तरफ इशारा नहीं किया है। ऐसे में इस तरह का आरोप पोर्टल को महज बदनाम करने के लिए किया जा रहा है।

(जनचौक की रिपोर्ट।)

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author