डीजल-पेट्रोल के बढ़े दामों की वापसी के लिए संगठनों का प्रदर्शन

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पटना। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल सस्ता होने के बावजूद डीजल-पेट्रोल के दाम में लगातार वृद्धि के खिलाफ आज पटना में इनौस, खेग्रामस और किसान सभा के कार्यकर्ताओं ने विरोध-प्रदर्शन किया।

देश व्यापी प्रतिवाद दिवस के तहत आज पटना के जीपीओ गोलम्बर पर इन संगठनों के कार्यकर्ता एकत्रित हुए और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर अपना प्रतिवाद दर्ज किया।

इस मौके पर खेग्रामस के महासचिव धीरेन्द्र झा, ऐपवा नेता शशि यादव, माले नेता अभ्युदय, किसान नेता उमेश सिंह, ऐक्टू नेता रणविजय कुमार, ऑटो रिक्शा चालक यूनियन के नेता मुर्तजा अली, इनौस की तरफ से पटना के सचिव विनय कुमार सहित विजय यादव, अखिलेश कुमार, राहुल कुमार, राजीव कुमार, सन्नी कुमार आदि ने मार्च का नेतृत्व किया।

वक्ताओं ने कहा कि कहां तो मोदी ने वादा किया था कि हम सरकार में आते ही जनता के दुःख-दर्द दूर कर देंगे लेकिन दुर्ख दर्द दूर करने की बात तो दूर मौजूदा सरकार खुद जनता के लिए मुसीबत बन गई है। नेताओं ने कहा कि कोरोना का भय दिखाकर जिस बेतरतीबी से लॉकडाउन थोपा गया वह समाज के हर तबके के लिए एक आपदा ही साबित हुआ है। इस विपत्ति काल में डीजल-पेट्रोल की कीमतों में हुई बेलगाम बढ़ोत्तरी जनता के दैनिक जीवन की मुश्किलें बढ़ाने वाला है जिसे कत्तई सहन नहीं किया जा सकता है। 

उन्होंने कहा कि जो डीजल-पेट्रोल की मूल्य वृद्धि के खिलाफ पिछली सरकार को कोसते हुए थकते नहीं थे वही सत्ता में आने के बाद रिकॉर्ड तोड़ मूल्य वृद्धि के बावजूद आपराधिक मौन धारण किए हुए हैं। उनका कहना था कि ऐसी जनविरोधी सरकार से जनता ऊब गयी है और बहुत जल्द ही जनता इस सरकार को इसकी सजा भी देगी। जिसकी शुरुआत बिहार से हो सकती है।         

संगठनों के नेताओं ने कहा कि कोरोना संकट काल में जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम गिर रहे थे तब केंद्र सरकार ने 14 मार्च को पेट्रोल, डीजल दोनों पर उत्पाद शुल्क में तीन रुपये प्रति लीटर की वृद्धि कर दी थी। इसके बाद पांच मई को फिर से पेट्रोल पर रिकार्ड 10 रुपये और डीजल पर 13 रुपये उत्पाद शुल्क बढ़ाया गया।

नेताओं का कहना था कि डीजल-पेट्रोल के बढ़े हुए दाम के कारण किसानों को लगभग 1000 रुपया प्रति एकड़ खर्च बढ़ेगा और साथ ही साथ जरूरी सामानों के दाम बढ़ने के कारण आम गरीब जनता जो पहले से ही लॉकडाउन की मार झेल रही है ,पर बहुत बड़ा बोझ, सरकार के इस फैसले के कारण पड़ेगा। 

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित खबर।)

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